सरकार वादों से पेट नहीं भरता, रहम करो
हिमाचल प्रदेश परिवहन निगम में कार्यरत पीसमील कर्मचारी 26 अगस्त तक हड़ताल पर है। इस दौरान सभी पीसमील कर्मचारी सुबह नौ से शाम पांच बजे तक हड़ताल कर रहे है। ना एचआरटीसी की वर्कशॉप में कोई काम हो रहा है, ना बसों की सर्विस और ना ही कोई छोटे-बड़े काम कर्मचारियों द्वारा किये जा रहे है। इन कर्मचारियों के अनुसार आज तक निगम व सरकार से कर्मचारियों की मांगों पर महज आश्वासन ही मिले हैं। ऐसे में 26 अगस्त तक लगातार उनका टूल डाउन आंदोलन जारी रहेगा। इनका कहना है की सरकार वादों से पेट नहीं भरता, रहम करो। प्रदेश के 28 डिपुओं में तैनात 900 से अधिक पीस मिल कर्मचारी वो कर्मचारी है जिनकी मांगें पिछले कई सालों से अनसुनी की जा रही है, जिनकी दैनिक आय दिहाड़ी मज़दूरों से भी कम है और जिनकी मांगो को पिछले कई सालों से दरकिनार किया जा रहा है।
एचआरटीसी को हिमाचल प्रदेश की जीवन रेखा माना जाता है। आज हिमाचल के लगभग हर कोने तक एचआरटीसी की बसें पहुँचती है। हिमाचल के दूर दराज़ क्षेत्रों तक पहुँचने वाली इन बसों को सड़क तक पहुँचाने में पीस मिल कर्मचारियों का बड़ा योगदान रहता है। ये पीसमील वर्कर एचआरटीसी में मैकेनिक, कारपेंटर, इलेक्ट्रीशियन, टायर मैन, कुशन मेकर्स, बसों की सीटें बनाने वाले, वेल्डर एवं पेंटर के रूप में कार्य करते हैं। हिमाचल प्रदेश में साल 2008 से पीसमील वर्करों की भर्ती की जा रही है, जब प्रदेश में भाजपा की सरकार थी और प्रोफेसर प्रेम कुमार धूमल मुख्यमंत्री थे। उस वक्त इन कर्मचारियों के लिए 8 साल के बाद अनुबंध पर लाने की पॉलिसी बनाई गई थी। यानी 8 सालों तक सेवाएं देने के बाद इन कर्मचारियों को अनुबंध पर लाया जाता था और अनुबंध काल पूरा होने के बाद उन्हें बतौर नियमित कर्मचारी नियुक्ति दी जाती थी। तदोपरांत पिछली सरकार में परिवहन मंत्री रहे जीएस बाली द्वारा बनाई गई नीति के अनुसार आईटीआई डिप्लोमा धारकों को 5 साल बाद और गैर डिप्लोमा धारकों को 6 वर्षों के बाद अनुबंध पर लेने की नीति बनाई गई। कायदे से होना भी ऐसा ही चाहिए लेकिन समस्या यह है कि अब तक जयराम सरकार ने अपने कार्यकाल में ये अवधि पूरी कर चुके लोगों को अब तक कॉन्ट्रैक्ट पर नियुक्ति नहीं दी है।
पीस मिल कर्मचारियों की दुर्दशा और सरकार मौन : संजीव
पीस मिल कर्मचारी की आवाज़ लगातार हुकमरानों तक पहुंचाने वाले संगठन पीस मिल कर्मचारी संघ द्वारा सरकार से इन कर्मचारियों को अविलंब अनुबंध में शामिल करने की मांग लगातार उठाई जा रही है। एचआरटीसी पीस मिल कर्मचारी संघ धर्मशाला डिवीजन प्रधान संजीव कुमार ने बताया कि एचआरटीसी के 28 डिपुओं में कार्यरत पीस मिल कर्मचारियों की दुर्दशा पर कोई भी ध्यान नहीं दे रहा। इन डिपुओं में एक हजार के करीब पीस मिल कर्मचारी अपनी सेवाएं दे रहे है। संघ का कहना है कि सरकार द्वारा इन कर्मचारियों को प्रति कार्य के आधार पर वेतन दिया जाता है जो नाममात्र वेतन है और उस आय से कर्मचारियों के लिए परिवार चलाना बहुत मुश्किल हो जाता है। इसके कारण कर्मचारियों को परेशानियों से दो चार होना पड़ रहा है। साथ ही सरकार पूर्व में बनाई गई नीति का भी उल्लंघन कर रही है। संजीव शर्मा के अनुसार ये कर्मचारी अपने हक़ के लिए कोर्ट का दरवाज़ा भी खटखटा चुके है। कुल 397 पीस मिल कर्मचारियों ने सरकार के खिलाफ कोर्ट में केस किया। बावजूद इसके सरकार ने इन कर्मचारियों के लिए अब तक कोई ठोस नीति नहीं बनाई।
खुद को शोषित महसूस कर रहे हैं पीस मील कर्मचारी : अश्वनी
पीस मील कर्मचारी यूनियन हमीरपुर डिवीज़न के प्रधान अश्वनी कुमार ने कहा कि कई कर्मचारी तो 8 से 10 साल से कार्य कर रहे हैं, लेकिन इनको अभी तक अनुबंध पर नहीं लाया गया है, जिस वजह से यह लोग खुद को शोषित महसूस कर रहे हैं। लंबे समय से कर्मचारी यूनियन के माध्यम से अपनी मांगों को उठा रहे हैं, लेकिन उनकी कहीं भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। उन्होंने जल्द से जल्द एचआरटीसी प्रबंधन और प्रदेश सरकार से पीस मील कर्मचारियों को अनुबंध पर लाने की मांग उठाई है। वर्तमान समय में हालात ऐसे हैं कि कर्मचारियों को छह से आठ हजार रुपये वेतन मिल रहा है। इससे उनका गुजारा मुश्किल है। प्रदेश में विभिन्न एचआरटीसी डिपो में 900 से अधिक पीस मील कर्मचारी काम कर रहे हैं, ऐसे में इन कर्मचारियों की भी इच्छा है कि इनके बच्चे अच्छे स्कूलों में पढ़ें और वह भी अपने परिवार का पोषण अच्छे से कर सकें।
50 वर्ष की आयु पूरी कर चुके कई कर्मचारी : विनोद
पीस मील कर्मचारी मंच चंबा के पदाधिकारी विनोद कुमार ने कहा कि जिला चंबा में कुल 27 पीस मिल कर्मचारी हैं। ये कर्मचारी आईटीआई पासआउट के लिए पांच वर्ष और बिना आईटीआई के कर्मचारियों को छह वर्ष में अनुबंध में लाकर नियमित करने की मांग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पहले 410 पीस मील कर्मचारियों को नियमित किया गया है लेकिन, अकारण वर्ष 2017 से इस पॉलिसी को लागू नहीं किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि ये पॉलिसी लागू न होने से सात से आठ वर्ष पूरे कर चुके पांच सौ से अधिक पीस मील कर्मचारियों को लाभ मिलेगा। वर्तमान समय में पॉलिसी लागू न हो पाने से दस प्रतिशत पीस मील कर्मचारी तो 50 वर्ष की आयु भी पूरी कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि वे सरकार से काफी लम्बे समय से अपनी मांगों को पूरा करने की गुहार लगा रहे हैं, लेकिन सरकार उनकी मांगों को पूरा नहीं कर रही है।
जल्द नियुक्ति, वर्ण होगा उग्र आंदोलन : अभिजीत
पीस मिल कर्मचारी मंच परवाणू के प्रधान अभिजीत ने बताया कि टूल डाउन हड़ताल का उन्हें खेद है। उन्होंने कहा कि हड़ताल से जहां हिमाचल के लोगों को कठिनाई होगी, वहीं एचआरटीसी बसों को भी नुकसान होगा। 2017 से इस लड़ाई को लड़ा जा रहा है। कर्मचारियों ने मांग की है 5 से 6 साल पुरे कर चुके कर्मचारियों को जल्द से जल्द नियुक्ति दी जाए वरना ये आंदोलन और अधिक उग्र होगा।
हड़ताल और आंदोलन ही एकमात्र रास्ता
पीसमील कर्मचारी मंच रामपुर ने भी मांगों को मनवाने के लिए हड़ताल शुरू कर दी है। मंच के पदाधिकारियों ने कहा कि तीन अगस्त को हिमाचल प्रदेश परिवहन के मुख्य कार्यालय में पीस मील कर्मचारियों द्वारा पालिसी बहाली के विषय में प्रबंधक निदेशक को अपना मांग पत्र सौंपा था और वहां से उन्हें 15 अगस्त तक का आश्वासन मिला था, लेकिन इस पर कोई अमल नहीं किया गया। अब हड़ताल और आंदोलन ही एकमात्र रास्ता है।