कुछ शिक्षक संगठनों का काम सिर्फ सरकार की चमचागिरी करना : चौहान
"कुछ शिक्षक संगठनों का काम सिर्फ सरकार की चमचागिरी व पब्लिसिटी करना मात्र रह गया है", ये कहना है हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ के प्रदेश अध्यक्ष एवं अखिल भारतीय माध्यमिक शिक्षक महासंघ के उपाध्यक्ष वीरेंद्र चौहान का। हिमाचल में कर्मचारियों के आपसी मतभेद एवं गुटबाज़ी कोई नई बात नहीं है। मुख्य राजनीतिक दलों की ही तर्ज पर कर्मचारी संगठनों में भी राजनीति गरमाई रहती है। कभी अंदरखाते तो कभी ये आपसी रार खुले मंच पर साफ़ साफ़ दिखाई देती है। ताज़ा मामला शिक्षकों का है ,जहां मांगें पूरी होने के बाद क्रेडिट को लेकर घमासान मचा हुआ है। हिमाचल राजकीय अध्यापक महासंघ के अध्यक्ष वीरेंद्र चौहान ने अन्य शिक्षक संगठनों को आड़े हाथों लेते हुए कहा है कि कुछ संगठनों का काम सिर्फ सरकार की चमचागिरी वह पब्लिसिटी करना मात्र रह गया है। चौहान का कहना है कि शिक्षकों को गुमराह करने वाले ऐसे संगठन श्रेय लेने के लिए सबसे आगे खड़े हो जाते हैं।
दरअसल हाल ही में हिमाचल सरकार ने कैबिनेट बैठक में जेबीटी और सी एंड वी शिक्षकों के स्थानांतरण नीति में बदलाव को लेकर कुछ महत्वपूर्ण और कर्मचारी हितेषी निर्णय लिए है। चौहान का कहना है जो निर्णय लिया है उसे हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ लंबे समय से सरकार के समक्ष उठा रहा था और इस दिशा में संघ में सरकार और विभाग को कई मर्तबा अल्टीमेटम भी दिया था l एक मई 2018 को तत्कालीन शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज एवं शिक्षा सचिव अरुण शर्मा ने हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ के साथ सचिवालय में हुई बैठक में इस मुद्दे पर अपनी सहमति दी थी, जिसमें जेबीटी और सी एंड वी के स्थानांतरण के लिए ठहराव अवधि को 13 साल से 5 वर्ष करने एवं कोटा 1 प्रतिशत से 5 प्रतिशत करने की बात को स्वीकारा था l पर लंबे समय तक इस मांग को सरकार ने पूरा नहीं किया जिसके लिए संघ ने सरकार को अल्टीमेटम भी दिया था। चौहान का कहना है कि प्रयास हमने किये और श्रेय कोई और ले रहा है। उन्होंने कहा कि श्रेय लेने वाले संगठन बताएं कि उन्होंने कितनी बार सरकार को मांगे न माने जाने पर अल्टीमेटम दिया या सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन या विरोध प्रकट किया l वहीँ चौहान के इन आरोपों को दूसरे शिक्षक संगठनों ने पूरी तरह खारिज किया है। उनका कहना है चौहान एक ऐसे संगठन के अध्यक्ष है जिसे संगठन कहा ही नहीं जा सकता क्योंकि उसमें लोग ही नहीं है। सभी शिक्षक जानते है की सरकार ने किसके कहने पर ये फैसला लिया है। चौहान इस तरह के बयान देकर सिर्फ सुर्ख़ियों में रहना चाहते है और कुछ नहीं।
अन्य ज्वलंत मुद्दे हल करवाएं, मैं नतमस्तक हो जाऊंगा : चौहान
हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र चौहान का कहना है कि " यदि चापलूसी से या शांतिपूर्ण तरीके से शिक्षकों की मांगों का समाधान हो जाता है तो मैं इन संगठनों को चुनौती देता हूँ कि वह शिक्षकों के जो अन्य ज्वलंत मुद्दे है उन्हें जल्द हल करवाएं। इनमें 4-9-14 टाइम स्केल को बहाल करना, 2016 से केंद्र सरकार के पे - कमीशन को लागू करना, पुरानी पेंशन बहाल करने , केंद्र सरकार की तर्ज पर सभी भत्ते हिमाचल में भी दिलवाना, 15 साल की स्टैग्नेशन पर सी एंड वी की तर्ज पर अन्य वर्गों को भी दो वेतन वृद्धि दिलवाना, 300 से अधिक अर्जित अवकाश को सर्विस बुक पर क्रेडिट करवाना, नए मानदंडों के तहत वाइस प्रिंसिपल की पोस्ट मुहैया करवाना, स्कूल न्यू को हटाकर प्रवक्ता स्कूल पदनाम दिलवाना, 2017 से 2021 तक के कार्यभार युक्त प्रधानाचार्य को नियमित पदोन्नति दिलाना, सभी स्कूलों मे प्री प्राइमरी कक्षा का प्रावधान कर नियमित एनटीटी शिक्षक लगवाना प्रमुख है। यदि ऐसा होता है तो मैं इनके आगे नतमस्तक हो जाऊंगा।"
जेसीसी में मिले प्रतिनिधित्व :
हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ का कहना है कि शिक्षकों के तमाम मुद्दों का हल तब तक नहीं हो सकता जब तक शिक्षकों के लिए अलग से जेसीसी का प्रावधान न हो। इसकी अध्यक्षता मुख्यमंत्री स्वयं करें और बैठक में सरकार के सभी आला अधिकारी और संगठनों के पदाधिकारी शामिल हो। इसीलिए संघ लगातार 9 सालों से शिक्षकों के लिए अलग से जेसीसी की बैठक करवाने की मांग कर रहा है अन्यथा सरकार को शिक्षकों के लिए भी जेसीसी के वर्तमान प्रारूप में प्रतिनिधित्व देना चाहिए जिससे शिक्षक और शिक्षार्थी हित की बात भी की जा सके।