थी बेशुमार उम्मीदें और हिस्से आई जरा सी राहत
डेढ़ साल से कोरोना के जख्म झेल रहे प्रदेश के कर्मचारी वर्ग को मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से 15 अगस्त के दिन बड़ी आस थी। कर्मचारियों को लग रहा था कि जो पिछले साढ़े तीन सालों में नहीं हुआ वो शायद अब हो जाएगा। उम्मीद थी की 15 अगस्त को सीएम प्रदेश के लिए बड़े एलान करेंगे। कर्मचारियों को महंगाई भत्ता मिलेगा, अनुबंध काल को घटा दिया जाएगा और बाकि सभी मांगें भी पूरी होंगी। महत्वकांक्षाएं बहुत थी मगर जो राहत मिली वो ऊंट के मुँह में जीरे समान थी। कर्मचारियों की निगाहें रविवार को मंडी जिला के सेरीमंच पर टिकी रही मगर हाथ कुछ ख़ास नहीं आया। 75वें राज्यस्तरीय स्वतंत्रता दिवस के कार्यक्रम में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने प्रदेश के ढाई लाख सरकारी कर्मचारियों और सवा लाख पेंशनरों को महंगाई भत्ते (डीए) की छह प्रतिशत किस्त जारी करने का एलान किया। सरकारी कर्मचारियों और पेंशनरों को 1 जुलाई 2021 से महंगाई भत्ते की किस्त जारी होगी। कोविड काल में किस्तें फ्रीज करने की वजह से महंगाई भत्ता एक जनवरी 2020 से 1 जुलाई 2021 तक लंबित था। ऐसे में अधिकांश कर्मचारी संगठन मुख्यमंत्री की इस घोषणा से असंतुष्ट नज़र आ रहे है। उनके अनुसार इतने समय के इंतज़ार के बाद मिली ये राहत अधूरी है।
यदि कर्मचारियों को छठे वेतनमान का निर्धारण हो गया होता तो डीए 11 फीसद बनता। गत वर्ष कोरोना संक्रमण महामारी के चलते केंद्र सरकार ने जनवरी, 2020 से देय डीए को फ्रीज कर दिया था और जिसकी अवधि जून, 2021 तक थी। केंद्र ने केंद्रीय कर्मचारियों को डीए जारी कर दिया है, जिसके चलते उन्हें एरियर का भुगतान नहीं होगा। वर्तमान में केंद्रीय कर्मचारियों को 164 फीसद डीए मिल रहा है, जबकि प्रदेश के कर्मचारियों को 153 फीसद। पुराने पे-स्केल के मुताबिक डीए का निर्धारण होता है तो प्रदेश के कर्मचारियों का तीस फीसद से अधिक डीए बनता है। जबकि इस डीए में से सरकार ने कर्मचारियों को सिर्फ 6 प्रतिशत देने की ही घोषणा की है। इसके अलावा बाकि जो भी मांगे कर्मचारियों की लंबित थी उन्हें भी पूरा नहीं किया गया।
15 अगस्त से पहले हिमाचल प्रदेश अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ ने भी अपना 26 सूत्री मांग पत्र सरकार को सौंपा था। इसमें पहली जनवरी, 2020 से लेकर पहली जुलाई, 2021 तक के लंबित महंगाई भत्ते की किश्त जारी करने की प्रमुख मांग थी। इसी प्रकार हिमाचल के कर्मचारियों की इस समय ज्वलंत मांग अनुबंध कार्यकाल कम करना भी इसमें शामिल था। नियुक्ति की तिथि से वरिष्ठता प्रदान करना और केंद्र की पुरानी पेंशन बारे 2009 की अधिसूचना को प्रदेश में लागू करना भी कर्मचारियों की मांग का हिस्सा था। पर ये मांगे पूरी नहीं की गई।
6 प्रतिशत महंगाई भत्ता भद्दा मजाक : संजीव
सचिवालय कर्मचारी सेवायें संगठन के अध्यक्ष संजीव शर्मा का कहना है की हिमाचल सरकार ने जो घोषणाएं कर्मचारियों के लिए की है उससे हिमाचल प्रदेश का कर्मचारी वर्ग खासा निराश है। पिछले दो साल की महंगाई ने कर्मचारी वर्ग की कमर तोड़ दी है। पेट्रोल और डीजल के दाम सौ रुपए से ऊपर है, रसोई गैस एक हजार रुपए, सरसों तेल दो सौ रुपए प्रति लीटर और अन्य खाद्य वस्तुओं के दाम भी आसमान को छू रहे हैं। छः परसेंट डीए देना सरकार का कर्मचारियों के साथ एक बेहद भद्दा मजाक है।
कर्मचारियों में रोष, भुगतना पड़ सकता है खामियाज़ा : अरुण
अनुबंध कर्मचारी संगठन के अध्यक्ष अरुण भारद्वाज का कहना है कि इस बार भी मुख्यमंत्री ने कर्मचारियों की उम्मीदों पर पानी फेरा है। कर्मचारियों को उम्मीद थी की सरकार अनुबंध काल घटा देगी मगर सरकार ने इस बार भी वही पुराना आश्वासन देकर कर्मचारियों को वापस लौटा दिया। अब आखिरी उम्मीद सिर्फ जेसीसी बैठक की है वो भी अगर इसी महीने या 15 सितंबर से पहले पहले हो तभी कर्मचारियों को कुछ फायदा होगा। कर्मचारियों में भारी रोष व्याप्त है जिसका खामियाज़ा सरकार को उपचुनाव में भुगतना पड़ सकता है।
सिर्फ कर्मचारियों के लिए वित्तीय संकट : पीसमील कर्मचारी मंच
एचआरटीसी के पीसमील कर्मचारियों का कहना है की ये राहत ऊंट के मुँह में जीरे समान है। पीस मिल कर्मचारी मंच का कहना है कि ये मज़ाक सरकार को महंगा भी पड़ सकता है। जब मंत्रियों और विधायकों का वेतन व भत्ते बढ़ाने हो तो इन्हें कोई वित्तीय संकट नज़र नहीं आता। मगर जब बात कर्मचारियों को उनके हक़ की कमाई देने की हो तो सरकार को सब कुछ याद आ जाता है।
सीएम की घोषणा का स्वागत : प्राथमिक शिक्षक संघ
कोरोना काल में कर्मचारियों का डीए की किश्ते जारी नहीं हो पाई थी। अभी 15 अगस्त को मुख्यमंत्री द्वारा कर्मचारियों को 6 प्रतिशत डीए की घोषणा का प्राथमिक शिक्षक संघ हिमाचल प्रदेश स्वागत करता है और आशा करता है कि जल्द ही कर्मचारियों को अन्य लाभ जी प्रदेश सरकार द्वारा प्रदान किए जाएंगे।
हेमराज, अध्यक्ष प्राथमिक शिक्षक संघ हिमाचल प्रदेश
महंगाई भत्ता निर्धारित राष्ट्रीय मानक से छेड़छाड़
महंगाई भत्ते की घोषणा पर हिमाचल प्रदेश अराजपत्रित कर्मचारी सेवाएं महासंघ (विनोद गुट) ने भी कड़ी आपत्ति जाहिर कर इसे महंगाई भत्ते के निर्धारित राष्ट्रीय मानकों से छेड़छाड़ बताया है। उन्होंने कहा कि हिमाचल सरकार की यह मनमर्जी सभी की समझ से परे है। प्रदेशाध्यक्ष विनोद कुमार, वरिष्ठ उपाध्यक्ष अश्वनी शर्मा, उपाध्यक्ष नीरज कपूर व चंद्रशेखर शर्मा और महासचिव गीतेश पराशर ने कहा कि छह फीसदी महंगाई भत्ते की घोषणा कर सरकार ने केंद्र के पैटर्न से अलग अपना ही पैटर्न तय किया है ,जो इतिहास में कभी नहीं हुआ है। महासंघ के नेताओं ने कहा कि महंगाई भत्ता राष्ट्रीय मूल्य सूचकांक पर आधारित होता है जो पूरे देश के कर्मचारियों/पेंशनरों पर एक समान लागू रहता है। इसमें कोई भी राज्य सरकार छेड़छाड़ नहीं कर सकती है। इससे राज्य के कर्मचारियों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है और छठे वेतन आयोग की रिपोर्ट के लागू होने पर ये कर्मचारियों के हितों पर कुठाराघात करेगा। महंगाई भत्ते के पैटर्न से छेड़छाड़ कर सरकार ने अपनी मंशा यहां पर यह जाहिर कर दी है कि प्रदेश के कर्मचारियों को अब छठे वेतन आयोग से अलग करने की भी तैयारी है। महासंघ ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि इस घोषणा की पूर्ण समीक्षा कर केंद्र सरकार की तर्ज पर 11 प्रतिशत महंगाई भत्ता संशोधित वेतनमान पर तथा पूर्व संशोधित वेतनमान पर केंद्रीय कर्मचारियों के समान किया जाए ताकि महंगाई भत्ते के तय राष्ट्रीय मानक विखंडित न हो। राष्ट्रीय मानकों के आधार पर पूर्व संशोधित मूल वेतन पर महंगाई भत्ता जुलाई 2021 को 189 फीसदी जारी किया गया है जबकि हिमाचल में यदि छह प्रतिशत डीए को भी शामिल किया जाए तो यह 159 फीसदी ही बनता है, यानी 30 प्रतिशत डीए सरकार नहीं दे रही है और इस राशि का लेखा जोखा सरकार की फिजूलखर्ची में शामिल है। महासंघ ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि इस घोषणा की पूर्ण समीक्षा कर केंद्र सरकार की तर्ज पर 11 प्रतिशत महंगाई भत्ता संशोधित वेतनमान पर तथा पूर्व संशोधित वेतनमान पर केंद्रीय कर्मचारियों के समान दिया जाए ताकि महंगाई भत्ते के तय राष्ट्रीय मानक विखंडित न हों।