क्या खता हमसे हुई कि हुक्मरान सुध लेना भूल गए | Himachal News
एचआरटीसी को हिमाचल प्रदेश की जीवन रेखा माना जाता है। आज हिमाचल के लगभग हर कोने तक एचआरटीसी की बसें पहुँचती है। हिमाचल के दूर दराज़ क्षेत्रों तक पहुँचने वाली इन बसों को सड़क तक पहुँचाने में पीस मिल कर्मचारियों का बड़ा योगदान रहता है। ये पीस मिल वर्कर एचआरटीसी में मकैनिक, कारपेंटर, इलेक्ट्रिशियन, टायर मैन, कुशन मेकर्स, बसों की सीटें बनाने वाले, वेल्डर एवं पेंटर के रूप में कार्य करते हैं। प्रदेश की जनता की सहायक एचआरटीसी बसों को सड़कों तक पहुँचाने वाले ये कर्मकारी सरकार से खूब खफा है। पीस मील कर्मचारियों का कहना है की सरकार उन्हें लगातार आश्वासन के झूले झूला रही है मगर उनकी मांगे पूरी नहीं कर रही। कर्मचारियों की सरकार के साथ हुई पहले की बातचीत के दौरान आश्वासन दिया गया था कि उन्हें अनुबंध पर लाने के लिए नीति बनाई जाएगी। इसके लिए 25 नवंबर तक का समय भी दिया गया था, लेकिन 25 नवंबर तक नीति न बनने के बाद अब पीस मील वर्करों ने आक्रामक रुख अख्तियार कर लिया है। एचआरटीसी पीस मील कर्मचारी संघ धर्मशाला डिवीजन प्रधान संजीव कुमार ने बताया कि पांच व छह सालों के बाद भी उन्हें अनुबंध में नहीं लाया जा सका है। पीस मील वर्कर को अनुबंध में लाने की उम्मीद जेसीसी की बैठक में थी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। लंबे समय से पीस मील कर्मचारी अपनी मांगों को उठा रहे हैं। कई बार ज्ञापन दे चुके हैं, लेकिन मांग को नहीं माना गया है। अंत में करीब एक हजार पीस मील कर्मचारियों को हड़ताल का सहारा लेना पड़ा। सुनील कुमार बताते है कि कर्मचारियों कि इस मांग के संबंध में 18 अक्तूबर 2021 को अतिरिक्त मुख्य सचिव परिवहन के साथ हुई वार्ता में अक्तूबर 2021 के अंत तक इसके बारे में निर्णय लेने का आश्वासन मिला था। इसके उपरांत 16 नवंबर 2021 को प्रबंध निदेशक के साथ हुई बैठक जिसमें 26 नवंबर तक मामले को अंतिम रूप देने बारे आश्वासन मिला था। परिवहन मंत्री द्वारा समय-समय पर कर्मियों के साथ बैठक में सितंबर 2021 तक इन्हें अनुबंध पर लाने का आश्वासन दिया गया है। जबकि पूर्व में लगभग 450 पीसमील कर्मचारियों को अनुबंध पर लिया जा चुका है और शेष बचे 950 पीसमील कर्मचारि अब भी इंतज़ार कर रहे है। परंतु हर स्तर पर अनेक बार आश्वासन दिए जाने के बावजूद इस समस्या का समाधान नहीं निकाला जा रहा जिस कारण पीस मील कर्मचारी अनिश्चितकालीन काम छोड़ो आंदोलन पर चले गए, जिससे कर्मशालाओं में बसों के रखरखाव व मरम्मत का कार्य प्रभावित हो रहा है तथा आने वाले समय में परिवहन व्यवस्था पर इसका प्रभाव पड़ सकता है।
संयुक्त समन्वय समिति भी साथ
एचआरटीसी कर्मचारियों की संयुक्त समन्वय समिति भी पीस मील कर्मचारियों की हड़ताल का समर्थन कर रही है। संयुक्त समन्वय समिति के सचिव खेमेन्द्र गुप्ता ने एचआरटीसी प्रबंधन व सरकार को चेताया है कि अगर एचआरटीसी में कार्यरत कर्मचारियों को पीस मील से अनुबंध पर लाने की घोषणा जल्द नहीं की जाती है तो फिर एचआरटीसी के सभी कर्मचारियों द्वारा सरकार और एचआरटीसी प्रबंधन के खिलाफ बड़ा आंदोलन किया जाएगा। हिमाचल परिवहन कर्मचारी संयुक्त समन्वय समिति के अध्यक्ष प्यार सिंह ठाकुर भी मानते है कि सरकार व निगम प्रबंधन एचआरटीसी पीस मील कर्मचारियों की मांगों को पूरा करने के लिए गंभीर नहीं है। बार-बार आश्वासनों का झुनझुना इन कर्मचारियों को दिया जा रहा है। परिवहन कर्मचारी संयुक्त समन्वय समिति द्वारा पीस मील कर्मचारियों को अनुबंध पर लाने के लिए बहुत लंबे समय से मांग की जा रही है। संयुक्त समन्वय समिति ने सरकार व निगम प्रबंधन से अनुरोध किया है कि पीस मील कर्मचारियों को पूर्व निर्धारित नीति अनुसार ही शीघ्र अनुबंध पर लाने की औपचारिकताएं पूरी कर इन्हें अनुबंध पर लाया जाए अन्यथा निगम का प्रत्येक कर्मचारी इनके पक्ष में एक बड़े आंदोलन करने के लिए विवश होगा, जिससे होने वाली किसी भी प्रकार की हानि के लिए सरकार व निगम प्रबंधन जिम्मेदार होंगे।
जयराम सरकार ने नहीं दी अब तक कॉन्ट्रैक्ट पर नियुक्ति
हिमाचल प्रदेश में साल 2008 से पीस मील वर्करों की भर्ती की जा रही है, जब प्रदेश में भाजपा की सरकार थी और प्रोफेसर प्रेम कुमार धूमल मुख्यमंत्री थे। उस वक्त इन कर्मचारियों के लिए 8 साल के बाद अनुबंध पर लाने की पॉलिसी बनाई गई थी। यानी 8 सालों तक सेवाएं देने के बाद इन कर्मचारियों को अनुबंध पर लाया जाता था और अनुबंध काल पूरा होने के बाद इन्हें बतौर नियमित कर्मचारी नियुक्ति दी जाती थी। तदोपरांत पिछली सरकार में परिवहन मंत्री रहे जीएस बाली द्वारा बनाई गई नीति के अनुसार आईटीआई डिप्लोमा धारकों को 5 साल बाद और गैर डिप्लोमा धारकों को 6 वर्षों के बाद अनुबंध पर लेने की नीति बनाई गई। कायदे से होना भी ऐसा ही चाहिए लेकिन समस्या यह है कि जयराम सरकार ने अपने कार्यकाल में ये अवधि पूरी कर चुके लोगों को अब तक कॉन्ट्रैक्ट पर नियुक्ति नहीं दी है। पीस मिल कर्मचारी की आवाज़ लगातार हुक्मरानो तक पहुंचाने वाले संगठन पीस मिल कर्मचारी संघ द्वारा सरकार से इन कर्मचारियों को अविलंब अनुबंध में शामिल करने की मांग लगातार उठाई जा रही है। एचआरटीसी पीस मिल कर्मचारी संघ का कहना है कि एचआरटीसी के 28 डिपुओं में कार्यरत पीस मिल कर्मचारियों की दुर्दशा पर कोई भी ध्यान नहीं दे रहा। संघ का कहना है कि सरकार द्वारा इन कर्मचारियों को प्रति कार्य के आधार पर वेतन दिया जाता है जो नाममात्र वेतन है और उस आय से कर्मचारियों के लिए परिवार चलाना बहुत मुश्किल हाे जाता है। इसके कारण कर्मचारियों को परेशानियों से दो चार होना पड़ रहा है।
8 से 10 घंटे ड्यूटी, पर सुविधा नाममात्र
पीस मिल कर्मचारी संघ का कहना है कि इनके लिए कोई सरकारी सुविधा उपलब्ध नहीं है। ये रेगुलर कर्मचारियों की तरह ही 8 से 10 घंटे ड्यूटी दे रहे है मगर रेगुलर कर्मचारियों की तरह सरकारी नौकरी के कोई भी लाभ इन्हें नहीं दिए जाते। कोरोना काल में भी इन कर्मचारियों ने अपनी पूरी सेवा दी है। बसों का मैकेनिकल कार्य किया और उनको रोड पर पहुंचाया। ये कर्मचारी अपनी नौकरी से नाखुश है क्योंकि इन्हें इनका मासिक वेतन भी कई बार पूरा नहीं दिया जाता।
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