अब चुप नहीं बैठेंगे, बेरोजगार अध्यापकों की हुंकार
पिछले लम्बे समय से सरकार के आगे नौकरी की गुहार लगाने वाले बेरोज़गार अध्यापक अब चुप बैठने को तैयार नहीं है। हिमाचल प्रदेश बेरोजगार अध्यापक संघ के सदस्यों ने मुख्यमंत्री से जवाब मांगा है कि जयराम सरकार जनता को स्पष्ट करें कि चार साल में 2555 एसएमसी शिक्षकों के स्थान पर नियमित शिक्षक भर्ती क्यों नहीं किए गए। इनका कहना है कि शिक्षा विभाग ने जुलाई, 2021 को हाई कोर्ट में लिख कर दिया है कि एसएमसी शिक्षकों की भर्तियां स्टॉप गैप अरेंजमेंट है और इन शिक्षकों द्वारा भरी गई पोस्ट खाली मानी जाती हैं। संघ ने कहा कि खाली पोस्टों को भरना सरकार की जिम्मेदारी थी। बेरोज़गार अध्यापक संघ का कहना है कि नेता प्रतिपक्ष विधानसभा में बजट सत्र के दौरान शिक्षा मंत्री से जानना चाह रहे थे कि पिछले शिक्षा मंत्री एसएमसी शिक्षकों को नियमित करने की बात करते थे, लेकिन क्या अब सरकार इनको नियमित करने पर विचार कर रही है या नहीं। शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने विधानसभा में उत्तर देते हुए कहा कि 2555 एसएमसी शिक्षक मात्र उद्देश्य पूर्ति के लिए रखे गए थे। सुप्रीम कोर्ट ने इनको नियमित करने के लिए नहीं कहा है। इसलिए सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन कर रही है।
बेरोज़गार अध्यापक संघ का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा 17-7-2012 को बनाई गई एसएमसी पॉलिसी के तहत की गई नियुक्तियों को जिस उद्देश्य पूर्ति के लिए की गयी थी उसे सही माना है। यदि उपरोक्त एसएमसी पॉलिसी ठीक है तो उसमें लगाई गई तमाम शर्तों का अनुसरण करना भी अनिवार्य है। इस एसएमसी पॉलिसी की शर्त नंबर 9 और 10 यह कहती है कि हर साल नया सिलेक्शन प्रोसेस होगा और पहले से तैनात एसएमसी शिक्षक की सेवाओं को किसी भी सूरत में आगामी शैक्षणिक स्तर के लिए सेवा विस्तार नहीं दिया जा सकता तथा जैसे ही नियमित शिक्षक आएगा, उसकी सेवाएं अपने आप समाप्त हो जाएंगी। पर 2013 से लेकर आज तक सरकार ने हर साल सिलेक्शन नहीं किया बल्कि हर साल एक-एक साल के लिए 2555 एसएमसी शिक्षकों की सेवा में लगातार विस्तार किया है।
नियमित शिक्षकों की भर्ती क्यों नहीं हुई ?
हिमाचल प्रदेश बेरोजगार अध्यापक संघ का कहना है कि 2555 शिक्षकों की भर्तियां बिना कमीशन के की गयी है। कांग्रेस और भाजपा ने 2012 से 2018 तक 15 हजार शिक्षक बैकडोर से भर्ती किए, जिससे लाखों बेरोजगारों का तथा लाखों विद्यार्थियों का जीवन बर्बाद हो गया है। संघ का कहना है कि बैकडोर भर्ती से शिक्षा की गुणवत्ता भी गिरती है तथा संविधान की अवमानना भी होती है। इसलिए जयराम सरकार जनता को स्पष्ट करे कि चार साल में 2555 एसएमसी शिक्षकों के स्थान पर नियमित शिक्षकों की भर्ती क्यों नहीं की गई। हिमाचल प्रदेश बेेरोजगार अध्यापक संघ प्रदेशाध्यक्ष निर्मल सिंह धीमान, वरिष्ठ उपाध्यक्ष अजय रतन, संजय राणा, महासचिव राजेश धीमान, अतिरिक्त महासचिव लेख राम, सचिव स्वरूप कुमार, मुख्य संगठन सचिव पुरुषोत्तम दत्त, वित्त सचिव संजीव कुमार, प्रेस सचिव प्रकाश चंद, संगठन सचिव यतेश शर्मा, जिलाध्यक्ष कांगड़ा जगदीप जम्वाल, जिलाध्यक्ष बिलासपुर किशोरी लाल व जिलाध्यक्ष ऊना रजनी बाला ने सरकार से मांग है कि एसएमसी शिक्षकों को अब सेवा विस्तार न दिया जाए प्रशिक्षित बेरोज़गार अध्यापको को मौका दिया जाए।