जयसिंहपुर : कुज्ज्वा स्थान से जाना जाता है भगवान शिव का कुंज्जेश्वर महादेव मंदिर

नरेंद्र डाेगरा। जयसिंहपुर
जिला कांगडा उपमंडल जयसिंहपुर के अंतर्गत प्राचीन शिव मंदिर कुंज्जेश्वर महादेव मंदिर लंबागांव में स्थित है, जो कि ब्यास नदी के किनारे होंने से इस मंदिर को और भी खुब सूरत बना देता हैं। कुंज्जेश्वर महादेव एक जालन्धर पीठ स्थान है। पौराणिक कथा के अनुसार त्रेता युग में जालंधर देत्य भगवान शिव के क्रोध से उत्पन्न हुए थे। जालंधर देत्य भगवान विष्णु, शिव और ब्रह्मा जी का महान तपस्वी था। इसने अपने क्षेत्र में 355 देवालयों व चार मुख्य द्वारपालों की स्थापना की थी। कुंज्जेश्वर महादेव लम्बागांव, नंदी केश्वर महादेव चामुंडा, कालेश्वर महादेव नादौण, भ्कुवेश्वर महादेव ( जो अब पौंग बाध में जल मग्न हो गए हैं) और अंतिम क्षणों में भगवान शिव से यह वरदान प्राप्त किया था कि जो भी भक्त (उपासक) जालंधर पीठ के इन चार द्वार पाल में शैव व शक्त की अराधना करेगा, उसे अराधना से चार गुना से भी अधिक फल प्राप्त होगा। भगवान शिव जालंधर की तपस्या से प्रसन्न होकर अपने अंश से जिन चार देवतायों को द्वार पाल के रूप में प्रकट किया था। उनमें से एक कुंज नाम का देवता है। कहा जाता है कि यह भगवान शिव का कुंज्ज्वा (51) स्थान है। इसलिए इसे कुंज्जेश्वर के नाम से जाना जाता हैं।
कुंज्जेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण
कलयुग में आज से 500 वर्ष पहले मंदिर की दोनों तरफ ब्यास नदी बेहती थी और बीच में एक पहाड़ी (टापू) था, जहां पर अब मंदिर स्थित है, लेकिन कथाओं के अनुसार जब ब्यास नदी का पानी कम हो जाता था, तो ग्वाले यहां पर पशुओं को चराने के लिए ले जाते थे। एक दिन की बात है, जो चार पांच दिन से दूध नहीं दे रही थी। घर वालों ने गवाले से जिसका नाम कुंज था उससे पूछा कि क्या बात है।