मंडी : पहली से 12वीं तक कला एवं शिल्प विषय अनिवार्य करने के लिए सरकार से करेंगे बात : दयाराम ठाकुर
स्कूलों का नया स्कूली पाठ्यक्रम आधुनिक और भारतीय कला संस्कृति का मिशन होगा। बच्चों को कोडिंग वह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, कला एवं शिल्प (आर्ट एजुकेशन) की भी शिक्षा दी जाएगी। फिलहाल राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) में सभी स्कूलों में पहली से 12वीं कक्षा कक्षा तक कला को अनिवार्य रूप से पढ़ने की शुरुआत की है। इसके लिए सभी स्कूलों में अनिवार्य रूप से कला शिक्षक भी नियुक्त करने का सुझाव दिया है।
एनसीईआरटी के कला एवं सौंदर्यबोध विभाग ने यह सिफारिश ऐसे समय की है, जब नए स्कूली पाठ्यक्रम को तैयार करने का काम तेजी से चल रहा है। इस सिफारिश में न सिर्फ कल को एक विषय के रूप में सभी स्कूलों में पढ़ने की सिफारिश बल्कि इसकी मुलाकात को जरूरी बताते हुए परीक्षा परिणाम में इसके अंकों को जोड़ने की पैरवी भी की है। कल की शिक्षा को लेकर अभी तक राष्ट्रीय स्तर पर कोई गाइडलाइन नहीं थी।
कला शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए एनसीईआरटी क्लास शिक्षा में 4 वर्षीय इंटीग्रेटेड बीएड शुरू करने की तैयारी में जुटी है। अगले साल से शुरू होने वाले 4 वर्षीय इंटीग्रेटेड बीएड कोर्स के साथ इसे भी शुरू करने की संभावना है। इसमें 12वीं तक कला की पढ़ाई करने वाले छात्र सीधा दाखिला दे सकते हैं।
जिला मंडी सीएंडवी अध्यापक संघ के अध्यक्ष दयाराम ठाकुर ने बताया कि हिमाचल प्रदेश में इस समय कला एवं शिल्प विषय कक्षा 6 से कक्षा 10 तक पढ़ाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह हर्ष की बात है कि राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने इसकी सिफारिश की है। दयाराम ठाकुर ने कहा है कि जल्द ही इस विषय के बारे में मुख्यमंत्री से और शिक्षा मंत्री से मिलेंगे और अगले शैक्षिक सत्र 2025-26 कला एवं शिल्प विषय को कक्षा एक से कक्षा 12 तक अनिवार्य करने के बारे में निवेदन करेंगे।