चार वर्षों के मुकाबले दिवाली पर इस बार प्रदूषण तुलनात्मक रूप से रहा कम
नई दिल्ली: दावों को देखें तो लगता है कि बीते चार वर्षों के मुकाबले दिवाली पर इस बार प्रदूषण तुलनात्मक रूप से कम रहा, लेकिन क्षितिज में फैली जहरीली धुंध पर और सांसों में जाती प्रदूषित हवा को देखें तो महसूस होता है कि राहत की बातें सिर्फ एक धोखा है। यूं इस बार देश की राजधानी दिल्ली में सरकार ने जागरूरकता अभियान चलाने और लेजर शो के आयोजन से लेकर कई ऐसे प्रबंध किए थे, ताकि लोग दिवाली पर पटाखे चलाने से बाज आएं, लेकिन इस प्रकाश पर्व के अगले दिन एयर क्वॉलिटी इंडेक्स से जुड़े आंकड़े साफ कर रहे थे कि सांस लेने लायक साफ हवा अभी भी एक सपना ही है। आंकड़ों में प्रदूषण का स्तर भले ही पिछले वर्षों के मुकाबले कुछ कम दिखाई दे रहा हो, लेकिन दिल्ली से सटे गाजियाबाद - नोएडा आदि शहरों का धुंधलाया आसमान यह गवाही दे रहा है कि पटाखों पर प्रतिबंध की बात हो या इस इलाके में लागू ग्रेडेड रेस्पांस एक्शन प्लान, ये सभी महज दिखावटी उपाय साबित हुए है।