ओपीएस : गहलोत का मास्टर स्ट्रोक, अब अन्य पर अपेक्षाओं का बोझ
- राजस्थान ने कर दिखाया, अब शेष राज्यों पर दबाव
सियासत में आने से पहले अशोक गहलोत जादूगर थे, और राजनीति में भी उनका जादू अक्सर चलता रहा है। देशभर में पुरानी पेंशन बहाली के हो हल्ले के बीच एक बार फिर गहलोत चुपचाप अपना जादू कर गए। गहलोत ने किसी को कानों कान खबर नहीं लगने दी और अचानक राजस्थान में पुरानी पेंशन बहाल कर सबको चौंका दिया। पश्चिम बंगाल के बाद राजस्थान अब वो दूसरा राज्य बन गया है जहां कर्मचारियों को पुरानी पेंशन दी जाएगी। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 23 फरवरी को विधानसभा में वित्त वर्ष 2022-23 का बजट पेश करते हुए सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन स्कीम बहाल कर दी। जैसा अपेक्षित था देशभर में कर्मचारी वर्ग द्वारा उनके इस फैसले की खूब तारीफ हो रही है। उधर, माहिर मान रहे है कि ये अशोक गहलोत का मास्टर स्ट्रोक है, जिससे न सिर्फ राजस्थान में मिशन रिपीट को बल मिलेगा बल्कि देशभर में कांग्रेस की दशा भी सुधरेगी और पार्टी को दिशा भी मिलेगी। माना जा रहा है कि अब अन्य कांग्रेस शासित प्रदेश भी जल्द गहलोत का अनुसरण करेंगे।
पुरानी पेंशन बहाली की घोषणा ने राजस्थान के कर्मचारियों को तो रहता दी है मगर केंद्र और अन्य राज्यों की सरकारों के लिए गहलोत का ये निर्णय आफत से कम नहीं है। हालहीं में पांच राज्यों में हुए चुनावों में पुरानी पेंशन का मुद्दा खूब गूंजा है। कई नेताओं ने इसे अपने घोषणा पत्र में शामिल कर वोट बटोरने का भरपूर प्रयास किया, तो कई ने वर्तमान वित्तीय स्थिति को समझते हुए इसे टालने की कोशिश की। पर कोई भी पार्टी कर्मचारियों को पुरानी पेंशन से इंकार करने का हाई रिस्क लेती नहीं दिखाई देती। सर्विदित है कि सरकार बनाने या गिराने में कर्मचारियों का बड़ा हाथ होता है और पुरानी पेंशन की बहाली इस वक्त कर्मचारियों का सबसे बड़ा मुद्दा है।
राजस्थान में पुरानी पेंशन मिलने के बाद बाकि राज्यों के कर्मचारी भी राजस्थान का हवाला देकर पुरानी पेंशन बहाली की मांग कर रहे है। हर तरफ ये मुद्दा आंदोलन का रूप लेता दिखाई दे रहा है। पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने के लिए लगातार सरकार पर दवाब बनाया जा रहा है। राजस्थान के बाद कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ में भी पुरानी पेंशन लागू होने की उम्मीद है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री इसका संकेत दे चुके है। झारखंड में भी स्थिति कुछ ऐसी ही बनती दिख रही है। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन कह चुके है कि वे पुरानी पेंशन योजना पर विचार करेंगे। यूपी चुनाव में सपा प्रमुख एवं पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने भी यह घोषणा की है कि प्रदेश में सपा सरकार का गठन होते ही पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू कर दी जाएगी। केरल सरकार भी इस मुद्दे पर विचार कर रही है। मध्यप्रदेश और हिमाचल प्रदेश में ये मुद्दा आंदोलन का रूप ले चूका है। हिमाचल में कर्मचारी पुरानी पेंशन बहाली के लिए पदयात्रा कर रहे है तो वहीं मध्यप्रदेश में कर्मचारी 13 मार्च को भोपाल में बड़ा प्रदर्शन करने की चेतावनी दे चुके है।
कांग्रेस कर रही पुरानी पेंशन का समर्थन :
सियासी जानकारों का मानना है कि पुरानी पेंशन का मुद्दा जिस तरह से पूरे देश में गूँज रहा है, उसे देखते हुए जो भी पार्टी इसका समर्थन करेगी उसे इसका लाभ मिलेगा। राजस्थान की कांग्रेस सरकार का ये फैसला बाकि राज्यों में भी कांग्रेस के पक्ष में कार्य कर सकता है। लगभग हर राज्य में कांग्रेस पूरी तरह पुरानी पेंशन मांग रहे कर्मचारियों का समर्थन कर रही है। कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भी पुरानी पेंशन का मुद्दा उठा चुके हैं। प्रियंका गांधी भी इस मसले पर बोलती रही हैं। ऐसे में कांग्रेस शासित अन्य राज्यों में भी पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू की जा सकती है। अगर ऐसा होता है तो ये कांग्रेस पार्टी के लिए कारगर साबित हो सकता है। पुरानी पेंशन लागू करने से जहां कांग्रेस के लिए राह आसान होगी, वहीं भाजपा के लिए स्थिति और अधिक विकट हो सकती है। सिर्फ राज्यों के ही कर्मचारी नहीं बल्कि केंद्र के कर्मचारी भी पुरानी पेंशन मांग रहे है। भाजपा अब तक ये तर्क देती रही है कि कोई भी राज्य ओपीएस बहाल करने की स्थिति में नहीं है परन्तु राजस्थान में ओपीएस आने के बाद अब भाजपा शासित सरकारों की परेशानी में इजाफा तय है।
जयराम सरकार पर भी बढ़ा दबाव :
हिमाचल प्रदेश में पुरानी पेंशन का मुद्दा पिछले लम्बे समय से गूंज रहा है। वार्ता, ज्ञापन, प्रदर्शन, कर्मचारी हर तरीका अपना चुके है, मगर हर बार प्रदेश पर बढ़ता ऋण और खराब होती आर्थिक स्थिति बाधा बनती रही है। धर्मशाला में कर्मचारियों ने उग्र प्रदर्शन किया तो सरकार थोड़ी नरम पड़ी और पुरानी पेंशन बहाली के लिए कमेटी के गठन का आश्वासन दिया गया। कर्मचारी इंतजार करते रहे मगर कमेटी नहीं बनी, तो बड़े आंदोलन की तैयारी की गई। अब प्रदेश में पुरानी पेंशन को लेकर कर्मचारी मंडी से शिमला तक पदयात्रा कर रहे है और तीन मार्च को विधानसभा घेराव की तैयारी है। सरकार कर्मचारियों से वार्ता कर मसला सुलझाने की बात कह रही है मगर कर्मचारी अब बात करने को तैयार नहीं। कर्मचारियों की मांग है कि इस बजट सत्र में पुरानी पेंशन की घोषणा हो मगर सरकार आर्थिक स्थिति का हवाला देकर समझाने का प्रयास कर रही है। दूसरी ओर कांग्रेस कर्मचारियों को यकीन दिला रही है कि सत्ता वापसी की स्थिति में वो ही पुरानी पेंशन लाएंगे। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर अक्सर ये कहते रहे है कि कोई भी प्रदेश पुरानी पेंशन देने की स्थिति में नहीं है, कांग्रेस कोरी घोषणाएं कर रही है। पर अब राजस्थान में पुरानी पेंशन लागू करने की घोषणा हुई है तो ज़ाहिर है कर्मचारियों को जवाब देना सरकार के लिए कठिन होने वाला है।