उत्तरकाशी : जहां फेल हो गई बड़ी-बड़ी मशीनें, वहां काम आए इंसान के हाथ
-संजीवनी साबित हुई रैट होल माइनिंग
-इस पर 2014 में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने लगा दिया था प्रतिबंध
उत्तराखंड़ के उत्तरकाशी जिले में 12 नवंबर को सिल्क्यारा टनल में काम कर रहे 41 मजदूर फंस गए थे। मजदूरों को निकालने के लिए विदेशों से एक्सपर्ट बुलाए गए, बड़ी-बड़ी मशीनों से काम किया गया, लेकिन किसी न किसी वजह से ऑपरेशन रुकता रहा। जहां बड़ी-बड़ी मशीनें भी फेल हो गईं वहां काम आए इंसान के हाथ और 17 दिन में पहली बार मजदूरों तक पहुंचने में कामयाबी मिली। मजदूरों को निकालने के लिए की जा रहीं तमाम कोशिशों में रैट होल माइनिंग संजीवनी साबित हुई है। इसमें 12 माइनर्स की छोटी-छोटी टीमें अंदर भेजी गईं, एक माइनर मिट्टी खोदता गया तो दूसरा मलबा साफ करता और तीसरा मलबे को बाहर फेंकता गया।
इस तरह धीरे-धीरे टनल खोद कर 41 मजदूरों तक पहुंचा गया। ये वही रैट होल माइनिंग है, जिसे 2014 में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने मजदूरों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इस पर प्रतिबंध लगा दिया था। दरअसल मेघालय में कोयला निकालने के लिए रैट होल माइनिंग का ज्यादा इस्तेमाल किया जाता था, लेकिन माइन में नदी का पानी आने से कोल पिट में 15 माइनर्स फंसकर मर गए थे। तबसे एनजीटी ने इस प्रक्रिया को खतरनाक बताते हुए इस पर रोक लगा दी थी। आज इसी तकनीक से सिल्क्यारा टनल में रेस्क्यू ऑपरेशन सफल साबित हो पाया है।