जाने नवरात्रि में क्यों बोए जाते हैं जौ
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नवरात्रि का त्योहार 26 सितंबर 2022 से शुरु हो चुका है। सनातन धर्म में नवरात्रि के त्योहारों को बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। नवरात्रि के दिनों में लोग जवारे बोते हैं और इसका विशेष महत्व है। नवरात्रि के पहले दिन से ही जौ बोए जाते हैं। इसके पीछे मान्यता है कि धरती की रचना के बाद जो सबसे पहली फसल उगाई गई थी, वह जौ ही थी। नौ दिनों की नवरात्रि पूजा के बाद इसको नदी या तालाब में विसर्जित कर दिया जाता है।
मान्यता के अनुसार प्रकृति की शुरुआत में जो फसल सबसे पहले बोई गई थी, वह जौ थी, इसलिए इसे पूर्ण फसल भी कहा जाता है। नवरात्रि के दिनों में सिर्फ जौ बोने से ही सब कुछ नहीं होता बल्कि इसके बढ़ने की गति भी बहुत कुछ बताती है। इन नौ दिनों में जौ कितनी तेजी से बढ़ रही है, यह बहुत महत्वपूर्ण है। माना जाता है कि इसे बोने के पीछे कुछ शुभ और अशुभ संकेत भी छुपे होते हैं।
यदि नवरात्रि में जौ बोने के कुछ समय बाद ही उगने लगें और जल्द ही हरी-भरी हो जाएं तो यह आपके लिए एक बहुत ही शुभ संकेत है। मान्यता है कि इससे संकेत मिलता है कि आपके घर के कामों में आ रही हर प्रकार की रुकावट जल्द ही दूर होगी और घर के सदस्यों का स्वास्थ्य भी अच्छा बना रहेगा। तेजी से जौ बढ़ने का अर्थ है कि घर में सुख-समृद्धि आना शुरू हो चुकी है। यदि आपके घर की जौ सफेद और हरे रंग में तेजी से बढ़ रही है तो यह एक शुभ संकेत माना गया है और माना जाता है कि माता ने आपकी पूजा स्वीकार की है। पीले रंग में उगने वाली जौ को भी घर में खुशियों की दस्तक माना जाता है।
पर यदि नवरात्रि में बोई गई जौ ठीक प्रकार से नहीं उग रही हैं तो यह आपके घर के लिए एक अशुभ संकेत हो सकता है। यदि जौ काले रंग की टेढ़ी-मेढ़ी होती हैं तो इसे भी एक अशुभ संकेत माना गया है। ऐसे में आपको माता दुर्गा से प्रार्थना करनी चाहिए कि वह आपकी सारी परेशानियों को दूर करें।