आत्मनिर्भरता की मशाल जलाकर जागरूक करने निकली बिलासपुर की बेटी आंकाक्षा गौतम
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत की अवधारणा को अपना ध्येय मानकर समाज में आत्मनिर्भरता की मशाल जलाकर जागरूक करने निकली बिलासपुर की बीस वर्षीय बेटी आंकाक्षा गौतम ने अपनी दूरदर्शी सोच से सबको प्रभावित किया है। अपने हुनर से कायल करने वाली आंकाक्षा ने ग्रामीण विकास, पंचायती राज, कृषि, पशु पालन व मत्स्य मंत्री वीरेन्द्र कंवर को भी न सिर्फ प्रभावित किया बल्कि उन्हें इस बच्ची के द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट पर अमल करने के लिए बाध्य किया। बता दें कि उत्थान के लिए नई किरण लेकर उभरी गुरू अंगद देव वैटनरी एंड एनिमल साईंस यूनिवर्सिटी में बैचुलर आफ फिशरीज साइंसिज संकाय की द्वितीय वर्ष की छा़त्रा आकांक्षा गौतम मीडिया की सुर्खियों में रही तथा यह भी एक पिता के लिए गौरव का विषय है कि स्वतंत्रता दिवस पर बिलासपुर में ध्वजारोहण करने आए मंत्री विरेंद्र कंवर ने स्वयं फोन कर इस बेटी से मिलने की इच्छा जताई। आकांक्षा ने मंत्री को चैलेंजिज एंड अपाॅच्र्यूनिटिज इन फिशरीज फाॅर आत्मनिर्भर हिमाचल नाम की प्रोजेक्ट रिपोर्ट भी सौंपी। आकांक्षा गौतम ने बताया कि वर्तमान में फिशरीज कल्चर को बचाना ही सबसे बड़ी चुनौती है, क्योंकि खड्डों, नदी, नालों में हो रहे अवैध खनन और धड़ल्ले से विकास के नाम पर लग रहे हाइड्रो पावर प्रोजेक्टस से मत्स्य पर्यावरण को बहुत बड़ा नुकसान हो रहा है, यदि इन पर अंकुश नहीं लगता है कि आने वाले समय में मछली से पेट पालने वाले परिवार सड़कों पर आ जाएंगे। उन्होंने बताया कि इस जलाशय में सबसे बड़ी एक और समस्या सीडिंग की है, वेस्ट बंगाल से आने वाला बीज अधिकांश तौर पर रास्ते में दम तोड़ देता है, उपर से इस पर ट्रांस्पोटेशन का भारी भरकम खर्च होता है। जबकि जलाशय में बीज डालने के बाद इसकी सुध
लेना और ग्रोथ देखना लाजिमी होता है। बिलासपुर के गोविंद सागर जलाशय में मछली की दस प्रजातियां पाई जाती है जिसमें केवल काॅमन व सिल्पर कार्प ही सरवाईव करती है। बीज उत्पादन के लिए हिमाचल में प्राइवेट हैचरीज नहीं है, जो सरकारी है उनकी देखभाल बहुत कम हैं। हर जिला में फिशरीज हैचरीज का बनना जरूरी है तथा विभिन्न किस्म की मछलियों का यहां पर बीज तैयार हो सके और लोगों को अतिरिक्त रोजगार प्राप्त हो सके। उन्होंने बताया कि पंजाब और हरियाणा में यह कल्चर शुरू हो चुका है। आकांक्षा ने बताया कि जागरूकता के अभाव में यह व्यवसाय दम तोड़ रहा है, यदि इस पर वैज्ञानिक तरीके से काम किया जाए तो हिमाचल में यह उत्पाद अन्य व्यवसायिक उत्पादों से छह गुणा लाभ देगा, जिसमें कृषि संबंधी सभी फसलें शामिल है। यह एक ऐसा व्ववसाय है जिसमें खर्चा बहुत कम है और इसके निम्न स्तर से शुरू किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि देष और प्रदेश की उन्नति के लिए कल्चर बेस्ड कैप्चर अभियान की नितांत आवश्यकता है। उन्होंने मत्स्य मंत्री विरेंद्र कंवर से आग्रह किया कि हिमाचल प्रदेश में फिशरीज कालेज यदि खुलता है तो आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वरोजगार के साथ मत्स्य शिक्षा से ही मिलेंगे। वहीं ग्रामीण विकास, पंचायती राज, कृषि, पशु पालन व मत्स्य मंत्री वीरेन्द्र कंवर ने आकांक्षा गौतम की बातों को गौर से सुना तथा आश्वस्त किया कि वे कल्चर बेस्ड कैप्चर तथा मछुआरों के साथ-साथ विभागीय अधिकारियों को विज्ञानिक तौर तरीकों के साथ आधुनिक तकनीक के बारे में जागरूक करने के लिए सेमीनार का आयोजन किया जाएगा।