देहरा : बाबा कांशीराम के योगदान पर राष्ट्रीय वेब संगोष्ठी का हुआ आयोजन
भारत की आज़ादी के लिए अनेक क्रांतिकारियों ने असंख्य कष्ट सहकर आम जनमानस में स्वतंत्रता की लौ जगाई। ऐसे क्रांतिकारियों में ‘पहाड़ी गाँधी’ और ‘बुलबुले-ए-पहाड़’ के नाम से प्रसिद्ध बाबा कांशीराम का योगदान अतुलनीय था। उन्होंने अपनी कविताओं और साहित्य के माध्यम से पहाड़ी जनमानस में आज़ादी की लौ जलाई। उन्होंने लगभग 500 कविताएँ और 8 कहानियां लिखी है। वह 11 बार जेल भी गए। उनके इसी योगदान के लिए पंडित जवाहरलाल नेहरु ने बाबा कांशीराम को ‘पहाड़ी गाँधी और सरोजिनी नायडू ने ‘बुलबुले-ए-पहाड़’ कहकर संबोधित किया। यह शब्द प्रो ओम प्रकाश शर्मा, अध्यक्ष डॉ यशवंत सिंह परमार पीठ, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला ने शोध छात्र परिषद् हिमाचल प्रान्त एवं ठाकुर जगदेव चंद स्मृति शोध संस्थान नेरी हमीरपुर द्वारा बाबा कांशीराम की 139वीं जयंती के उपलक्ष्य पर आयोजित राष्ट्रीय वेब संगोष्ठी में कहे। इस दौरान ऋषि कुमार भारद्वाज कार्यक्रम संयोजक, शोध छात्र परिषद् के प्रान्त संयोजक लकेश चौहान, राम पाल, सतीश कुमार, डॉ ज्योति, जगबीर चन्देल, मनोज, नेमराज, बनिता, अंजना, भुवनेश्वर सिंह, सोम पाठक व अन्य अनेक विद्वान एवं शोधार्थी उपस्थित रहे ।