सीआरआई कसौली में होती है सभी टीको की टेस्टिंग
केंद्रीय अनुसंधान संस्थान (सीआरआई) कसौली जीवन रक्षक दवाओं का उत्पादन कर मानव जीवन के कल्याण में अहम भूमिका निभा रहा है। न केवल भारत में बल्कि दुनिया में (सीआरआई) कसौली टीकों के क्षेत्र में अग्रणी है। एंटी रैबीज वैक्सीन का आविष्कार भी इसी संस्थान में किया गया था। देश की एकमात्र सेंट्रल ड्रग्स लेबोरेटरी (सीडीएल) 1940 में यहां स्थापित की गई थी। 1906 में सीआरआई ने देश में पहली बार सर्पदंश के इलाज के लिए सीरम और टायफायड बुखार के लिए वैक्सीन का उत्पादन शुरू किया गया था। आज सीआरआई सरकारी क्षेत्र में जीएमपी (गुड मेन्यूफेक्चरिंग प्रेक्टिस) के तहत दवा उत्पादन करने वाला पहला संस्थान बन चुका है। संस्थान में करोड़ों की राशि से बना जीएमपी भवन तमाम उन आधुनिक सुविधाओं से लैस है, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों के अनुरूप है। संस्थान में मुख्य रूप से एंटी सिरा, एंटी रैबीज वैक्सीन, डीटी वैक्सीन, टीटी वैक्सीन, डीपीटी ग्रुप ऑफ वैक्सीन, यलो फीवर वैक्सीन, जैपनीज एनसेफालिटिस वैक्सीन, डायग्नोस्टिक रीजेंट, एंटी डॉग बाइट व एंटी स्नेक बाइट वैक्सीन, एकेडी वैक्सीन, एंटी वेनम सीरम, टोकसाइड सीरम यहां के मुख्य उत्पादन हैं। वर्तमान में सभी तरह के टीकों की टेस्टिंग केंद्रीय औषधि प्रयोगशाला (सीडीएल), कसौली में होती है। देश में किसी भी वैक्सीन को बाजारों में उतारने से पहले देश की एकमात्र केंद्रीय औषधि प्रयोगशाला (सीडीएल) कसौली से अनुमति लेना जरूरी होता है। इसके लिए वैक्सीन की गुणवत्ता जांचने व परखने के लिए बैच सीडीएल में भेजे जाते हैं। सीडीएल कसौली अभी तक विभिन्न कंपनियों की कोरोना वैक्सीन डोज का परीक्षण करने के बाद जारी कर चुका है। इसमें कोविशील्ड, कोवैक्सीन, माडरना वैक्सीन, जानसन एंड जानसन वैक्सीन, स्पुतनिक वी वैक्सीन, जायकोव-डी आदि वैक्सीन के डोज शामिल है। इसमें कोविशील्ड व कोवैक्सीन के ज्यादा डोज शामिल हैं। कोरोना काल में सीडीएल के कर्मचारियों व अधिकारियों की मेहनत का नतीजा है कि आज देश में एक अरब, 35 करोड़ से अधिक वैक्सीन डोज का सफल परीक्षण किया जा चुका है व उसका लाभ देश के लोगों को मिल रहा है।