रहे तैयार, कई सख्त फैसले ले सकती है सुक्खू सरकार
कर्ज के बोझ तले दबी हिमाचल प्रदेश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए सुक्खू सरकार कई सख्त निर्णय ले सकती है। बीत दिनों ही सरकार ने डीजल पर तीन रुपये प्रति लीटर वैट बढ़ाया है और अब सीएम ने संकेत दिए हैं कि इसी तरह के कई और निर्णय सरकार ले सकती है। सीएम सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने साफ कहा है कि प्रदेश पर कर्जे का बोझ लेकर आगे नहीं बढ़ा जा सकता है और आने वाले समय में और भी कड़े फैसले लेने होंगे। सरकार संसाधन बढ़ाने के लिए काम कर रही है और उन्होंने सभी से सहयोग की अपील की है।
सीएम सुक्खू ने प्रदेश की खराब आर्थिक स्थिति के लिए जयराम सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। सीएम का कहना है कि जयराम सरकार प्रदेश पर करीब 75 हजार करोड़ का कर्ज छोड़कर गई है और इसके अलावा करीब 11 हजार करोड़ रुपये कर्मचारियों की बकाया देनदारी है। इस तरह 86 हजार करोड़ का कर्ज सरकार पर है जिसके साथ आगे नहीं बढ़ा जा सकता। ऐसे में कड़े आर्थिक निर्णय लेने के सिवाए सरकार के पास कोई विकल्प नहीं है। सरकार आने वाले समय में कर्ज का बोझ नहीं बढ़ाना चाहती।
सीएम सुक्खू ने दो टूक कहा है कि चुनावी फायदे के लिए जयराम सरकार ने सात रुपये वैट घटाया था और अब उनकी सरकार ने सिर्फ तीन रुपये बढ़ाया है। इसके बाद भी हिमाचल प्रदेश में डीजल उत्तराखंड, पंजाब, जम्मू-कश्मीर से सस्ता है। उन्होंने कहा कि जयराम सरकार ने चुनावी लाभ के लिए आखिरी 6 माह में 900 संस्थान खोले जिनके लिए कोई वित्तीय प्रबंध नहीं है। इन संस्थानों को चलाने के लिए करीब पांच हजार करोड़ की आवश्यकता है, ऐसे में सरकार इन्हें डी नोटिफाई किया है। जरुरत होने पर आवश्यक वित्तीय प्रबंध कर नीड बेस संस्थान खोले जायेंगे।
एरियर भुगतान में लग सकता है तीन साल का वक्त
सीएम सुक्खू ने स्पष्ट किया है कि कर्मचारियों-पेंशनरों का बकाया एरियर देने के लिए सरकार को तीन वर्ष तक का समय लग सकता है। प्रदेश की आर्थिक स्थिति ठीक होने के बाद ही कर्मचारियों के बकाया का भुगतान होगा। हालांकि संसाधन जुटाने पर इसका भुगतान जल्द भी हो सकता है। उन्होंने कर्मचारियों से सहयोग की अपील की है।