ओमिक्रोन के मामले कई देशों में मिलने के बाद एक्शन में भारत सरकार, संशोधित गाइडलाइन जारी
कोरोना के नए वेरिएंट आने से दुनियाभर में दहशत का माहौल है। ओमिक्रोन के मामले कई देशों में मिलने के बाद भारत सरकार इस पर एक्शन लेते हुए सोमवार को संशोधित गाइडलाइन जारी की है। इसके मुताबिक, वैक्सीनेशन के बावजूद जोखिम वाले देशों से आने वाले अंतरराष्ट्रीय पैसेंजर्स को एयपोर्ट पर पहुंचने के बाद कोरोना टेस्ट अनिवार्य होगा। 'जोखिम वाले देशों' के रूप में पहचाने जाने वाले देशों से भारत आने के लिए प्रस्थान से 72 घंटे पहले किए गए पूर्व-प्रस्थान COVID-19 परीक्षण के अलावा आगमन पर हवाई अड्डे पर अनिवार्य रूप से आगमन पर COVID-19 परीक्षण से गुजरना पड़ता है। इन परीक्षणों में पॉजिटिव पाए गए यात्रियों के लिए, उन्हें क्वारंटीन किया जाएगा और नैदानिक प्रबंधन प्रोटोकॉल के अनुसार इलाज किया जाएगा। इसके अलावा उनके नमूने भी पूरे जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए जाएंगे। नकारात्मक पाए गए यात्री हवाई अड्डे से जा पाएंगे, लेकिन 7 दिनों के लिए घर से अलग रहना होगा। इसके बाद भारत में आगमन के 8वें दिन दोबारा परीक्षण किया जाएगा, इसके बाद 7 दिनों तक स्व-निगरानी होगी।
गौरतलब है कि ओमिक्रोन के खतरे को देखते हुए केन्द्र सरकार की तरफ से रविवार को नई गाइडलाइन जारी की गई थी। कोरोना वायरस के अधिक संक्रामक स्वरूप ‘ओमिक्रोन’ को लेकर बढ़ती चिंता के बीच केंद्र ने रविवार को‘जोखिम’ श्रेणी वाले देशों से आने वाले या उन देशों से होकर भारत पहुंचने वाले यात्रियों के लिए आरटी-पीसीआर जांच अनिवार्य कर दी। साथ ही, तब तक यात्री को हवाई अड्डा छोड़ने की अनुमति नहीं दी जाएगी, जब तक नमूने की जांच के नतीजे प्राप्त नहीं हो जाते। मंत्रालय ने कहा कि ‘जोखिम’ श्रेणी वाले देशों के अलावा अन्य देशों से आने वाले लोगों को हवाई अड्डे से जाने की अनुमति रहेगी, हालांकि ऐसे यात्रियों को भी 14 दिन तक स्वयं अपने स्वास्थ्य की निगरानी करनी होगी। मंत्रालय ने कहा कि अन्य देशों से आने वाले यात्रियों में से पांच फीसदी की जांच की जाएगी और संबंधित विमानन कंपनी को प्रत्येक उड़ान से आने वाले उन पांच फीसदी लोगों की पहचान करनी होगी, जिनका परीक्षण किया जाना चाहिए। हालांकि, इनके नमूने की जांच का खर्च मंत्रालय वहन करेगा। मंत्रालय ने कहा कि वायरस के ओमीक्रोन स्वरूप को ध्यान में रखते हुए मौजूदा दिशा-निर्देशों में संशोधन किया गया था। दक्षिण अफ्रीका में 24 नवंबर को वायरस के ओमीक्रोन स्वरूप के मिलने की खबर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) को दी गयी थी।