जजों के आवास आवंटन में लेटलतीफी, हाईकोर्ट ने हिमाचल सरकार को लगाई फटकार

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को जजों और न्यायिक अधिकारियों के लिए सरकारी आवास की कमी पर फटकार लगाई है। कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा कि हर जज और न्यायिक अधिकारी को सरकारी घर देना सरकार का संवैधानिक फर्ज है, लेकिन सरकार जानबूझकर कोर्ट के आदेशों को अनदेखा कर रही है। मुख्य न्यायाधीश जीएस संधावालिया और न्यायाधीश रंजन शर्मा की बेंच ने सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि अभी तक हाईकोर्ट के कई जजों को भी सरकारी आवास नहीं मिला, और वे अब भी अपने निजी घरों से कोर्ट आते-जाते हैं। जब हाईकोर्ट के जजों का यह हाल है, तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रदेश के बाकी न्यायिक अधिकारियों को आवास मिलने में कितनी मुश्किल हो रही होगी। अदालत ने यह भी कहा कि सरकार के सचिवालय (जीएडी) ने बार-बार नोटिस दिए, लेकिन जो आवास जजों को दिए गए हैं, उन्हें अभी तक खाली नहीं करवाया जा सका है। दरअसल, हाईकोर्ट ने पहले भी राज्य सरकार से यह रिपोर्ट मांगी थी कि प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में जिला न्यायपालिका के सदस्यों, कर्मचारियों और हाईकोर्ट के कर्मचारियों के लिए कितने सरकारी घर उपलब्ध हैं। लेकिन सरकार ने जो रिपोर्ट पेश की, उससे कोर्ट संतुष्ट नहीं दिखा। अब कोर्ट ने सरकार को अगली सुनवाई, यानी 14 मई को यह साफ करने को कहा है कि वह जजों, जिला अदालतों के कर्मचारियों और हाईकोर्ट के रजिस्ट्रारों को आवास कैसे मुहैया करवाएगी। वहीं, सरकार की तरफ से पेश हुए वकील ने कहा कि जजों को आवास देने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। अब देखना यह है कि सरकार 14 मई तक कोर्ट को क्या जवाब देती है और क्या जजों को उनके सरकारी घर मिल पाते हैं या नहीं।