ऑनलाइन काम ठप करने की चेतावनी, ब्रॉडबैंड और सिम कार्ड न मिलने पर भड़का प्राइमरी टीचर संघ

हिमाचल प्रदेश के प्राइमरी टीचर संघ (PTF) ने शिक्षा विभाग के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। संघ ने स्पष्ट शब्दों में चेतावनी दी है कि यदि अगले 15 दिनों के भीतर स्कूलों में ब्रॉडबैंड और शिक्षकों को इंटरनेट चलाने के लिए सिम कार्ड उपलब्ध नहीं कराए गए, तो प्रदेश भर के प्राइमरी टीचर ऑनलाइन से जुड़े सभी काम बंद कर देंगे। PTF के अध्यक्ष जगदीश शर्मा ने इस मुद्दे पर अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि प्रदेश के ज्यादातर स्कूलों में सरकार द्वारा दिए गए टैब या तो खराब पड़े हैं या फिर उनमें तकनीकी खराबी आ गई है। इसके अलावा, कई स्कूलों में ब्रॉडबैंड की सुविधा तक नहीं है, जिसके चलते शिक्षकों को ऑनलाइन कार्य करने में भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने मांग की कि विभाग तुरंत सभी स्कूलों में ब्रॉडबैंड की व्यवस्था करे और शिक्षकों को अपने निजी इंटरनेट का इस्तेमाल करने से बचाने के लिए सरकारी सिम कार्ड मुहैया कराए। अध्यक्ष शर्मा ने साफ कहा कि यदि विभाग उनकी इन जायज मांगों को 15 दिन के भीतर पूरा नहीं करता है, तो प्रदेश का हर प्राइमरी टीचर ऑनलाइन शिक्षण और अन्य सभी संबंधित कार्यों का बहिष्कार करने के लिए मजबूर होगा, जिसकी पूरी जिम्मेदारी शिक्षा विभाग की होगी। संघ ने इस संबंध में विभाग को विधिवत नोटिस भी सौंप दिया है।
गौरतलब है कि प्राइमरी टीचर संघ पहले से ही शिक्षा निदेशालय के पुनर्गठन के विरोध में आंदोलन कर रहा है। 26 अप्रैल को शिमला में शिक्षा निदेशालय के बाहर धरना प्रदर्शन करने के बाद सरकार ने 10 शिक्षकों को निलंबित कर दिया था और कई अन्य पर एफआईआर भी दर्ज की गई थी। इस कार्रवाई के बावजूद, शिक्षकों का हौसला कम नहीं हुआ है। अध्यक्ष जगदीश शर्मा ने स्पष्ट किया कि प्राथमिक शिक्षक इस तरह के तानाशाही रवैये के आगे झुकने वाले नहीं हैं। उन्होंने कहा कि यदि सरकार बातचीत के लिए आगे आती है, तो संघ हमेशा वार्ता के लिए तैयार है। उन्होंने 26 नवंबर के पूर्व के धरने का हवाला देते हुए कहा कि उस दिन किसी भी शिक्षक ने किसी का रास्ता नहीं रोका था, जिसकी वीडियो रिकॉर्डिंग भी मौजूद है। इसके बावजूद, विभाग ने शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन कर रहे शिक्षकों पर एफआईआर दर्ज करवाई, जो कि निंदनीय है।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश भर के लगभग 22 हजार प्राइमरी टीचर शिक्षा निदेशालय के पुनर्गठन और कुछ अन्य मांगों को लेकर पिछले एक सप्ताह से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठे हैं। 26 अप्रैल को शिक्षा विभाग की चेतावनी को दरकिनार करते हुए शिक्षकों ने शिमला के चौड़ा मैदान में विशाल धरना प्रदर्शन किया था, जिसके बाद विभाग ने दंडात्मक कार्रवाई करते हुए 10 शिक्षकों को निलंबित कर दिया। अब धरने में शामिल अन्य सभी शिक्षकों की सूची भी तैयार की जा रही है और उनका एक दिन का वेतन काटने की तैयारी है। इसके साथ ही, धरने के दौरान सरकार और अधिकारियों की आलोचना करने वाले शिक्षकों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा रही है | शिक्षकों का आरोप है कि निदेशालय के पुनर्गठन की प्रक्रिया में उन्हें विश्वास में नहीं लिया गया। उनका कहना है कि पुनर्गठन से पहले शिक्षा मंत्री और शिक्षा सचिव के साथ कई बैठकें हुईं, लेकिन किसी भी बैठक की कार्यवाही को सार्वजनिक नहीं किया गया, जिससे शिक्षकों में यह डर पैदा हो गया है कि निदेशालय के पुनर्गठन से उनके अधिकारों का हनन हो सकता है। अब शिक्षक अपनी मांगों के पूरी होने तक हड़ताल खत्म करने के मूड में नहीं दिख रहे हैं।
