छठा वेतन आयोग: सिफारिशों से नाखुश है हिमाचल का कर्मचारी
पंजाब सरकार द्वारा लागू की गई छठे वेतन आयोग की सिफारिशों की विसंगतियां हिमाचल के कर्मचारियों का सबसे बड़ा मुद्दा है। कर्मचारी वर्ग छठे वेतन आयोग की सिफारिशों से संतुष्ट नहीं है। पंजाब सरकार के छठे वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने बाद अब जल्द ही हिमाचल में भी इन्हें लागू किया जाएगा। परन्तु मसला ये है कि हिमाचल के कर्मचारियों का मानना है कि छठे वेतन आयोग की सिफारिशें किसी छल से कम नहीं है। जो दिख रहा है वैसा कुछ मिलने नहीं वाला। कर्मचारी लगातार सरकार से ये मांग कर रहे है कि इस वेतन आयोग को पंजाब की तर्ज पर ज्यों का त्यों लागू न किया जाए बल्कि यहां के कर्मचारियों के हिसाब से इसमें कुछ बदलाव हो। इस वेतन आयोग से कर्मचारियों का केवल एक तबका नहीं बल्कि लगभग हर कर्मचारी असंतुष्ट दिख रहा है।
शिक्षक वर्ग असंतुष्ट
हिमाचल के शिक्षकों का मानना है कि 2011 में वेतनमान संशोधित होने के साथ-साथ पूर्ण संशोधन हुआ था, जिसके चलते शिक्षक वर्ग को ग्रेड-पे संशोधित होने से अधिकतम पांच हजार रुपये का हर माह अधिक वित्तीय लाभ प्राप्त हुआ था। 2011 में शिक्षक वर्ग के अलावा लिपिक और कई श्रेणियों को संशोधन के तहत अधिक वित्तीय लाभ प्राप्त हुए थे। इस बार कर्मचारियों को छठे वेतन आयोग में दो विकल्प दिए गए हैं। एक यदि आप बढ़े हुए ग्रेड पे से पहले का विकल्प लेते हैं तो वेतन मल्टीप्लायर 2.59 लगेगा। यानि आपका नया वेतन अभी के वेतन माइनस ग्रेड पे वेतन से 2.59 फीसदी ज्यादा होगा। और यदि 2011 के बढ़े हुए ग्रेड पे का विकल्प लेते हैं तो मल्टीप्लायर 2.25 लगेगा। इन विकल्पों से कर्मचारियों व शिक्षकों को जिनका 2011 में ग्रेड पे रिवाइज हुआ है, उन्हें बहुत बड़ा झटका लगने वाला है।
सचिवालय पे को भत्ते में बदलना मंजूर नहीं
सचिवालय से सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों को भी छठे वेतन आयोग से नुकसान होगा। छठे वेतन आयोग पर सचिवालय कर्मचारी महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष संजीव शर्मा ने बताया कि पंजाब सरकार ने सचिवालय पे को वेतन का हिस्सा न मान कर भत्ते में बदल दिया गया है। सचिवालय के अलग-अलग श्रेणियों के कर्मचारियों को 600 रुपए से लेकर 2500 रुपए तक प्रति माह सचिवालय पे दी जाती है। पेंशन में भी इसका लाभ मिलता था, मगर जब भत्ते में बदल जाएगा तो यह भत्ता सचिवालय से सेवानिवृत्त होने वाले पेंशनरों को नहीं मिलेगा। संजीव शर्मा बताते है कि इस सचिवालय पे पर 3800 रुपए के करीब डीए भी कर्मचारियों को मिलता था। अब क्योंकि इसे अलाउंस करार दिया गया है तो इसपर डीए नहीं मिलेगा और कर्मचारियों को एक महीने में 3800 रूपए का नुक्सान झेलना पड़ेगा।
डॉक्टरों के प्रैक्टिसिंग अलाउंस में कटौती
हिमाचल के चिकित्सक भी छठे वेतन आयोग की सिफारिशों से खुश नहीं है। इस वेतन आयोग की सिफारिशों के तहत चिकित्सकों का प्रैक्टिसिंग अलाउंस 25 से 20 फीसदी कर उसे बेसिक वेतन से अलग किया गया है। इन सिफारिशों का प्रदेश में भी काफी विरोध हुआ है। इन सिफारिशों के विरोध में चिकित्सक संघ ने पेन डाउन स्ट्राइक भी की।
कर्ज का बढ़ता बोझ, कैसे पूरी होगी मांगे ?
बता दें कि पंजाब सरकार की ओर से छठे वेतन आयोग की अधिसूचना के अध्ययन के लिए अफसरों की एक कमेटी बनाई गई है जिसकी अध्यक्षता अतिरिक्त मुख्य सचिव वित्त प्रबोध सक्सेना कर रहे है। हिमाचल प्रदेश में सवा दो लाख नियमित कर्मियों और पौने दो लाख पेंशनरों को इसका लाभ मिलना है। एरियर देने की बात करें तो राज्य सरकार पर इससे करीब 9 से 10 करोड़ रुपये तक का बोझ पड़ेगा। प्रदेश की आर्थिक हालत पहले से ही पतली चल रही है। ऐसे में यह लाभ कैसे दिया जाएगा, यह राज्य सरकार की सबसे बड़ी पहेली है। 60554 करोड़ से अधिक कर्ज के बोझ तले पहुंच चुकी प्रदेश सरकार के लिए छठे वेतन आयोग के साथ-साथ कर्मचारियों की बाकि मांगें पूरी करना भी काफी कठिन है।