जेसीसी बैठक : एक के बाद एक ऐलान, उम्मीद से बढ़कर दे गए जयराम
जयराम सरकार के चार साल पूरे होते -होते आखिरकार जेसीसी की बैठक भी हो ही गई। अपेक्षित था बैठक में मुख्यमंत्री कर्मचारियों के साथ संवाद भी करेंगे और कुछ ऐलान भी करेंगे। ऐसा हुआ भी और सही कहे तो इस बैठक में मुख्यमंत्री ने कर्मचारियों को उम्मीद से बढ़कर दिया। मंच सँभालते ही जयराम ठाकुर एक के बाद एक कई बड़े ऐलान करते गए और तालियां बजती रही। पिछले चार सालों से अपनी मांगो को लेकर कर्मचारी विधायकों से लेकर मुख्यमंत्री तक सबकी दर पर पहुँच रहे थे और इसे आस में थे कि सरकार उनकी सुनेगी। पर छोटी मोटी मांगो को छोड़कर सरकार ज्यादा सुध ले नहीं रही थी। फिर जेसीसी की तिथि घोषित हुई और कर्मचारियों की आस प्रबल। आखिरकार चार साल बाद हिमाचल प्रदेश में कर्मचारियों पर सरकार मेहरबान हुई और एक साथ कई मांगें पूरी हो गई। जिस तरह सरकार ने तोहफों की बौछार कर्मचारियों पर की है वो काबिल ए तारीफ है। जेसीसी की बैठक के दौरान मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की घोषणाओं ने कर्मचारियों का दिल जीत लिया। अधिकांश कर्मचारी वर्ग का ख्याल जेसीसी की बैठक में रखा गया और कई वर्गों को आश्वस्त किया गया कि जल्द उनके पक्ष में भी सरकार निर्णय लेंगी। सीएम जयराम ठाकुर ने जेसीसी बैठक में साढ़े सात हजार करोड़ रुपये के वित्तीय लाभ देने की घोषणा की है।
जो घोषणाएं मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने की उनमें पंजाब सरकार के छठे वेतनमान की तर्ज पर कर्मचारियों को नए वेतनमान के लाभ देने का ऐलान भी शामिल है। कर्मचारियों को नया वेतनमान एक जनवरी 2016 से देय होगा। जनवरी 2022 का संशोधित वेतनमान फरवरी में दिया जाएगा। छठा वेतनमान मिलने से सबसे कम बेसिक वेतन वाले क्लर्क को तीन से साढ़े तीन हजार तक का लाभ होगा। डॉक्टर, वरिष्ठ अधिकारियों और एचएएस अधिकारियों को करीब 15 से 20 हजार रुपये तक का लाभ होगा। पेंशनरों को भी 1000 रुपये से लेकर 10 हजार तक का लाभ होगा। वेतनमान के लागू होने के बाद हिमाचल प्रदेश के वार्षिक बजट में कर्मचारियों के हिस्से का बजट 42 से बढ़कर 50 फीसदी हो जाएगा। इससे सरकार का 6000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त व्यय होगा। पेंशनभोगियों और पारिवारिक पेंशनभोगियों को भी 1 जनवरी, 2016 से संशोधित पेंशन और अन्य पेंशन लाभ दिए जाएंगे। संशोधित वेतनमान और संशोधित पेंशन/पारिवारिक पेंशन पर महंगाई भत्ता और महंगाई राहत प्रदान की जाएगी।
जेसीसी की बैठक में एनपीएस कर्मचारियों के लिए 2009 की अधिसूचना के अंतर्गत आने वाली फैमिली पेंशन 15 मई 2003 से देने की घोषणा भी की गई है। इस पर 250 करोड़ से ज्यादा खर्च होगा। अनुबंध काल घटाने की कर्मचारियों की बहुप्रतीक्षित मांग भी पूरी की गई है। अनुबंध कर्मचारियों के नियमितीकरण की अवधि को भी तीन से घटाकर दो साल कर दिया है। अनुबंध कर्मचारियों को यह लाभ 30 सितंबर से मिलेगा। स्टेनो टाइपिस्ट को 10 से सात साल में रेगुलर करने को आरएंडपी रूल्स में संशोधन किये जाएंगे। इसी के साथ दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों, अंशकालिक कामगारों, जल रक्षकों और जलवाहकों आदि के संबंध में नियमितीकरण/दैनिक वेतन भोगी के रूप में रूपान्तरण के लिए भी एक-एक वर्ष की अवधि कम की जाएगी। लंबित चिकित्सा प्रतिपूर्ति बिलों के भुगतान के लिए 10 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि जारी करने की भी घोषणा की गई है। मुख्यमंत्री ने ऐलान किया है कि प्रदेश सरकार राज्य के जनजातीय क्षेत्रों में कार्यरत दैनिक वेतन भोगी एवं अनुबंध कर्मचारियों को जनजातीय भत्ता देने पर भी विचार करेगी।
अब पेंशन निधि चुनने की स्वतंत्रता
एनपीएस कर्मचारियों को अब पेंशन निधि चुनने की स्वतंत्रता होगी, जिससे उनके निवेश पर बेहतर रिटर्न सुनिश्चित हो सकेगा। अब तक इन कर्मचारियों को सरकार द्वारा चुनी गई पेंशन निधि में ही निवेश अनिवार्य था। सभी एनपीएस कर्मचारियों को डीसीआरजी लाभ प्रदान किया जा रहा है और अब सरकार ने 15 मई, 2003 से 22 सितम्बर, 2017 तक इस लाभ से वंचित एनपीएस कर्मचारियों को ग्रेच्युटी प्रदान करने का निर्णय लिया है।
ये मांगे हुई पूरी
- राज्य के कर्मचारियों को 1 जनवरी, 2016 से नया वेतनमान प्रदान किया जाएगा
- पेंशनभोगियों और पारिवारिक पेंशनभोगियों को भी 1 जनवरी, 2016 से संशोधित पेंशन और अन्य पेंशन लाभ दिए जाएंगे
- संशोधित वेतनमान और संशोधित पेंशन/पारिवारिक पेंशन पर महंगाई भत्ता और महंगाई राहत प्रदान की जाएगी
- प्रदेश के कर्मचारियों को फैमिली पेंशन का लाभ
- अनुबंध कर्मचारियों के नियमितीकरण की अवधि तीन वर्ष से घटाकर दो वर्ष की गई
- दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों, अंशकालिक कामगारों, जल रक्षकों और जलवाहकों आदि के संबंध में नियमितीकरण/दैनिक वेतन भोगी के रूप में रूपान्तरण के लिए भी एक-एक वर्ष की अवधि कम की गई
- लंबित चिकित्सा प्रतिपूर्ति बिलों के भुगतान के लिए 10 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि जारी करने की भी घोषणा की गई
- एनपीएस कर्मचारियों को अब पेंशन निधि चुनने की स्वतंत्रता प्रदान की गई
पुलिस कांस्टेबल का प्रोबेशन पीरियड अब भी 8 वर्ष
हिमाचल प्रदेश में हुई जसीसी बैठक से अधिकतर कर्मचारी संतुष्ट है मगर एक तबका ऐसा भी है जो सरकार से ख़ासा नाराज़ है। हम बात कर रहे है हिमाचल प्रदेश पुलिस के कर्मचारियों की। प्रदेश पुलिस जवानों का मानना है कि सरकार उनके साथ पराया व्यवहार कर रही है। जहाँ सभी विभागों का अनुबंध कार्यकाल 3 वर्ष से घटाकर 2 वर्ष किया गया वहीं पुलिस कांस्टेबल का प्रोबेशन पीरियड अब भी 8 वर्ष ही रखा गया है। पुलिस कर्मचारियों ने सरकार से सवाल किये है कि आखिर प्रदेश के इन रक्षकों के साथ सौतेला व्यवहार क्यों ? प्रदेश सरकार की इस अनदेखी से पुलिस जवान व उनके परिवार काफ़ी खफा है। एक तरफ सभी विभागों को सौगाते दी गयी वहीं दूसरी तरफ पुलिस को अनदेखा किया गया। पुलिस जवानो का कहना है कि उन्हें भी सरकार से आशाएं होती है। कोविड के समय यही जवान सड़कों पर खडे थे। किसी भी प्रकार की इमरजेंसी में पुलिस को ही सबसे पहले याद किया जाता है फिर सरकार क्यों इनको भूल जाती है ? रोष करने के पुलिस कॉन्स्टेबल्स ने अपनी मेस बंद रखने का एलान भी किया। दरसअल साल 2015 में सरकार द्वारा पुलिस कांस्टेबल का प्रोबेशन पीरियड 2 साल से बढ़ा कर 8 साल कर दिया गया था। इन कर्मचारियों ने अपनी मांगें कई बार सरकार के सामने रखने की कोशिश की मगर अब तक इनकी मांग को अम्लीजामा नहीं पहनाया गया।
करुणामूलक आश्रितों का इंतज़ार जारी
करूणामूलक आधार पर नौकरी की गुहार लगा रहे आश्रितों को अभी थोड़ा और इंतज़ार करना होगा। जेसीसी बैठक में अपने भाषण के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि करुणामूलक आश्रितों को नौकरी प्रदान करने के लिए मुख्या सचिव की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया गया है। उस कमेटी के सुझाव आना अभी बाकी है। आगामी कैबिनेट की बैठक के दौरान ये सुझाव पहुंचेगे और उसी बैठक में करुणामूलक नौकरियों पर निर्णय लिए जाएगा। मुख्यमंत्री ने ये भी कहा की करूणामूलक नौकरी रिटायरमेंट के एक दिन पहले तक देंगे। उधर, चार माह से शिमला में क्रमिक अनशन कर रहे करूणामूलक संघ को उम्मीद है कि प्रदेश सरकार उनके दर्द को समझेगी और उनकी मांगों को पूरा करेगी। वर्ष 1990 में सरकारी कर्मचारियों के सुरक्षित भविष्य के लिए प्रदेश में एक नीति बनाई गई थी। इस नीति के अंतर्गत यदि किसी भी सरकारी कर्मचारी की नौकरी के दौरान मृत्यु हो जाती है तो, मानवीय संवेदनाओं को ध्यान में रखकर आर्थिक रूप से कमजोर मृतक कर्मचारियों के आश्रितों को उनकी शैक्षणिक योग्यता के आधार पर नौकरी दी जाती है ताकि कर्मचारी के परिवार को उसके जाने के बाद किसी भी तरह की दिक्क्तों का सामना न करना पड़े। सरकार ने इसके लिए वार्षिक आय सीमा का मापदंड तय किया हुआ है। इस आधार पर नौकरी के लिए कोई इंटरव्यू और लिखित परीक्षा नहीं देनी पड़ती। पर ये जितना आसान दिखता है उतना है नहीं, करुणामूलक आधार पर नौकरी पाने की प्रक्रिया बेहद जटिल है। इसके लिए आवेदक को हर जिले में विभाग संबंधित डिवीज़न में आवेदन करना पड़ता है, फिर फाइल चीफ़ ऑफिस होकर सर्कल कार्यालय पर जाती है। उसके बाद विभाग के हेड ऑफिस शिमला पहुंचती है। आम तौर पर कई ऑब्जेक्शन लगते है व फाइल वापस आ जाती है। ऐसे ही कई करूणामूलक आश्रित नौकरी की चाह में आवेदन कर चुके है पर इन्हे नौकरियां नहीं मिल रही।
- ये चाहता है करूणामूलक संघ
- -समस्त विभागों, बोर्डों, निगमों में लंबित पड़े करुणामूलक आधार पर दी जाने वाली नौकरियों के मामले जो 7/03/2019 की पॉलिसी में आ रहे हैं उनको वन टाइम सेटलमेंट के तहत एक साथ नियुक्ति दी जाएं।
- -करुणामूलक आधार पर नौकरी की पॉलिसी में संशोधन किया जाए व उसमें 62500 रुपये प्रति सदस्य सालाना आय सीमा शर्त को पूर्ण रूप से हटा दिया जाए।
- -योग्यता के अनुसार आश्रितों को बिना शर्त के सभी श्रेणियों में नौकरी दी जाएं।
- -5% कोटा शर्त को हटा दिया जाए ताकि विभाग अपने तौर पर नियुक्तियां दे सके।
- - जिन आवेदकों की आयु निकल गई है उन्हें वन टाइम सेटलमेंट दिया जाए।
वरिष्ठता की मांग को लेकर बनेगी कमेटी
जेसीसी नियुक्ति की तिथि से वरिष्ठता की मांग भी कर्मचारियों की प्रमुख मांगों में से एक मांग थी। ये मांग अभी तो पूरी नहीं पाई है लेकिन इस समस्या के निवारण के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया जाएगा व इसमें अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के साथ अनुबंध नियमित कर्मचारी संगठन के पदाधिकारियों को भी शामिल किया जाएगा और प्राथमिकता के आधार पर मामले को हल किया जाएगा। सरकार के इस ऐलान के बाद अब कर्मचारियों की नजर 26 जनवरी और हिमाचल दिवस पर रहेगी। इस बीच बजट सत्र भी आएगा जहां कर्मचारी इस मांग के पूरा होने की उम्मीद में होंगे। हिमाचल अनुबंध नियमित कर्मचारी संगठन ने हिमाचल के विभिन्न विभागों में भर्ती एवं पदोन्नति नियमों के अंतर्गत अनुबंध पर नियुक्त होने के बाद नियमित हुए कर्मचारियों को नियुक्ति की तिथि से वरिष्ठता देने की मांग करता रहा है। विभिन्न विभागों में अनुबंध पर नियुक्त हुए कर्मचारी लंबे समय से वरिष्ठता की मांग कर रहे हैं, लेकिन अभी तक उनकी यह मांग पूरी नहीं हो पाई है। अनुबंध से नियमित होने के बाद इन कर्मचारियों की अनुबंध काल की सेवा को उनके कुल सेवा काल में नही जोड़ा जा रहा है, जिसका कर्मचारी विरोध करते है।
ये मसला शुरू हुआ 2008 में, जब बैचवाइज और कमीशन आधार पर लोकसभा आयोग और अधीनस्थ कर्मचारी चयन आयोग द्वारा कर्मचारियों की नियुक्तियां अनुबंध के तौर पर की जाने लगी l पहले अनुबन्ध काल 8 साल का हुआ करता था जो बाद में कम होकर 6 फिर 5 और फिर 3 साल हो गया। ये अनुबन्ध काल पूरा करने के बाद यह कर्मचारी नियमित होते है। अनुबंध से नियमित होने के बाद इन कर्मचारियों की अनुबंधकाल की सेवा को उनके कुल सेवा काल में नही जोड़ा जाता, जिस पर कर्मचारियों को आपत्ति है। इनका कहना है कि अनुबंध काल अधिक होने से पुराने कर्मचारियों को वित्तीय नुकसान के साथ प्रमोशन भी समय पर नहीं मिल पाती l अब मांग है कि उनको नियुक्ति की तिथि से वरिष्ठता प्रदान की जाए ताकि उन्हें समय रहते प्रमोशन का लाभ मिल सके। अनुबंध काल की सेवा का वरिष्ठता लाभ ना मिलने के कारण उनके जूनियर साथी सीनियर होते जा रहे हैं।
भर्ती एवम पदोन्नति नियमों के अनुसार 50 प्रतिशत नियुक्तियां कमीशन और बैच के आधार पर बाकी प्रोमोशन के आधार पर भरी जाती हैं। किन्तुअनुबंधकाल की सेवा को कुल सेवाकाल में ना गिनने के कारण, अनुबंध से नियमित कई कर्मचारी अभी भी उसी पद पर हैं, जिस पद पर नियुक्त हुए थे, जबकि उनसे कनिष्ठ पद पर नियुक्त नियमित कर्मचारी दो प्रोमोशन तक ले चुके हैं। इसीसलिए कर्मचारियों का एक तबका मांग कर रहा है कि सरकार को भर्ती और पदोन्नति नियमो में बदलाव करके अनुबंधकाल की सेवा को कुल सेवाकाल में जोड़ना चाहिए। बहरहाल जेसीसी में मुख्यमंत्री ने कमेटी गठन के ऐलान कर इनकी उम्मीद जरूर बढ़ाई है और हिमाचल अनुबंध नियमित कर्मचारी संगठन का मानना है कि जल्द सरकार इनकी मांग को पूरा करेगी।
सिर्फ आश्वासन नहीं दिया, मसले सुलझाए भी
हिमाचल अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के नेताओं ने कहा कि पूर्व शांता सरकार ने कर्मचारियों की समस्याओं को समझा और जेसीसी का मंच देकर समस्याओं का समाधान किया। महासंघ अध्यक्ष अश्वनी ठाकुर ने कहा कि वर्तमान सरकार ने कर्मचारियों के मसले सुलझाने का आश्वासन ही नहीं दिया अपितु उनको सुलझाया भी गया। जब पूर्व कांग्रेस शासनकाल में कर्मचारियों का उत्पीड़न किया गया था।भविष्य में भी कई कर्मचारी लाभान्वित होंगे
हिमाचल प्रदेश सर्व अनुबंध कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष अरुण भारद्वाज ने अनुबंध कार्यकाल को घटाकर 2 वर्ष करने के लिए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का धन्यवाद किया है। उन्होंने कहा कि हम लम्बे समय से ये मांग कर रहे थे जो अब जाकर पूरी हुई है। सरकार की इस पहल से सिर्फ अभी नहीं भविष्य में भी कई कर्मचारी लाभान्वित होंगे।उम्मीद है ये सिर्फ आश्वासन नहीं है
नियुक्ति की तिथि से वरिष्ठता की मांग को निरंतर उठाने वाले अनुबंध नियमित कर्मचारी संगठन के प्रदेश अध्यक्ष मुनीश गर्ग ने कहा की प्रदेश सरकार ने इस मसले को सुलझाने के लिए कमेटी के गठन की बात कही है और हमें ख़ुशी है की इसमें हमारे संगठन के पदाधिकारियों को भी इसमें शामिल किया जाएगा। हम सरकार से आग्रह करते है की जल्द से जल्द हमारी इस महत्वपूर्ण मांग को पूरा किया जाए। उन्होंने कहा की उम्मीद है कि इस बार ये सिर्फ आश्वासन नहीं बल्कि हकीकत होगा और हमारी मांग जल्द पूरी होगी।सरकार ने दिखाया बड़ा दिल
हिमाचल प्रदेश नई पेंशन स्कीम कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप ठाकुर ने 2009 की अधिसूचना लागू करने के लिए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का धन्यवाद किया है। उन्होंने कहा की उनका संगठन पिछले कई सालों से लगातार प्रदेश सरकार से इस अधिसूचना की मांग कर रहा था ताकि कर्मचारी कुछ हद तक अपने भविष्य को लेकर सुरक्षित महसूस करे। प्रदीप ठाकुर ने कहा की मांग पूरी होने पर महासंघ की और से वे मुख्यमंत्री का धन्यवाद करना चाहते है साथ ही वो उम्मीद करते है की जिस तरह प्रदेश सरकार ने ये मांग पूरी कर कर्मचारियों के प्रति बड़ा दिल दिखाया है, उसी तरह सरकार पुरानी पेंशन को भी बहाल करेगी।शिक्षक महासंघ ने किया स्वागत
हिमाचल प्रदेश में जेसीसी बैठक में सरकार द्वारा नए वेतनमान देने की घोषणा के साथ अनुबंध काल को 3 वर्ष से घटाकर 2 वर्ष करने, दैनिक भोगी कर्मचारियों को 5 वर्ष की जगह 4 वर्ष में नियमित करने के साथ अन्य मांगों को जल्द पूरा करने के आश्वासन के लिए शिक्षक महासंघ के प्रान्त उपाध्यक्ष डॉ मामराज पुंडीर ने सरकार का आभार व्यक्त किया है। इसके साथ उन्होंने बताया कि लंबे समय से कर्मचारियों से जुड़ी बहुत सी मांगों को सरकार द्वारा पूरा कर दिया गया है, जबकि इसी कड़ी में शामिल बहुत ही मांगों को औपचारिकताएं पूरी करके पूरा करने का आश्वासन दिया है। बैठक में संगठन द्वारा 2 दिसंबर को होने वाली उच्च स्तरीय बैठक में शिक्षकों की मांगों को हल करने का आग्रह किया।उम्मीद है सरकार हमारे दर्द को समझेगी
करुणामूलक संघ हिमाचल प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार का कहना है की करुणामूलक आश्रितों को राजधानी शिमला में क्रमिक अनशन पर बैठे चार महीनों से अधिक का समय बीत गया है। आश्रितों ने जहां इतने दिनों तक कड़ा परिश्रम किया वहां कुछ दिन और सही। उम्मीद है कि प्रदेश सरकार हमारे दर्द को समझेगी और अब हमारी मांगों को पूरा करेगी।पदोन्नति कार्यकाल 3 वर्ष करने की घोषणा भी जल्द हो
हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत तकनीकी कर्मचारी संघ ने संयुक्त सलाहकार समिति की बैठक करने के लिए मुख्यमंत्री का धन्यवाद किया है। संघ ने अनुबंध काल 2 वर्ष करने के लिए मुख्यमंत्री का आभार किया है। संघ ने नई पेंशन योजना के तहत 2009 की अधिसूचना कि घोषणा को पुरानी पेंशन बहाली की ओर एक सार्थक कदम बताया है, व सरकार से आग्रह किया है कि पुरानी पेंशन बहाल कर कर्मचारियों में समानता लाइ जाए। संघ के प्रदेश महामंत्री नेकराम ठाकुर ने कहा कि जूनियर टी मेट व हेल्परों का पदोन्नति कार्यकाल 5 से 3 वर्ष करने की घोषणा जो मुख्यमंत्री ने कि थी उसके लिए अभी कोई भी आदेश जारी नहीं हुए है। महामंत्री ने कहा कि उक्त फैसला सर्विस कमेटी की बैठक में होगा जिसके लिए अभी तक समय नहीं मिला है औरइसको आगे बढ़ाना निंदनीय है। इस पर जल्द से जल्द फैसला लिया जाए व मुख्यमंत्री इसमें हस्तक्षेप करें।
कोविड से निपटना प्राथमिकता था, इसलिए वक्त लग गया
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के विकास में कर्मचारियों का उल्लेखनीय योगदान रहा हैं। कर्मचारियों की परिश्रम, समर्पण और प्रतिबद्धता के कारण ही हिमाचल आज देश के अन्य राज्यों के लिए एक आदर्श के रूप में उभरा है। जनसंख्या और कर्मचारी अनुपात के मामले में भी हिमाचल प्रदेश देश का पहला राज्य है। कोविड-19 महामारी के कारण देश की अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है और हिमाचल भी इसका अपवाद नहीं है। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों ने इस महामारी से लड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और राज्य इस संकट से सफलतापूर्वक बाहर निकलने में सफल रहा है। कोरोना काल के दौरान कोविड से निपटना प्राथमिकता था इसलिए जेसीसी की बैठक करने में इतना समय लग गया। कर्मचारियों ने इतना संयम बरता इसकेलिए वे उनके धन्यवादी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जमीनी स्तर पर योजनाओं को जनता तक पहुंचाने में कर्मचारियों ने अहम भूमिका निभाई है। हिमाचल पहाड़ी प्रदेश है और यहां की समस्याएं भिन्न हैं। सभी विभागों में कर्मचारियों ने अहम भूमिका निभाई। पहली डोज में हिमाचल का पहला स्थान है और दूसरी डोज 90 फीसदी लोगों को लगा दी है। बदले की भावना को दूर कर सरकार ने माना कि कर्मचारी हमारी रीढ़ है। सीएम जयराम ठाकुर ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में कठिन परिस्थितियों में कर्मचारियों की जो मदद की जा सकती है, वह कर रहे हैं। प्रतिशोध और बदले की भावना से हमने कभी भी काम नहीं किया। सत्ता में आते ही यह कहा था कि हम बदले की भावना से काम नहीं करेंगे। एनपीएस कर्मचारियों को अन्य पेंशन लाभ में निवेश की छूट दी है। विभाग में 27 हजार पदों को भरने की अनुमति दी गई है।
- जयराम ठाकुर, मुख्यमंत्री, हिमाचल प्रदेश।