आउटसोर्स कर्मचारी : उम्मीद हैं बजट सत्र में सरकार सुध लेगी
आगामी बजट सत्र से हिमाचल प्रदेश में कार्यरत हजारों आउटसोर्स कर्मचारियों को काफी उम्मीदें है। ये कर्मचारी एक लम्बे समय से स्थाई नीति की मांग कर रहे है, मगर अब तक आश्वासनों के सिवा कुछ खास हाथ नहीं आया। अब बजट सत्र इनके लिए उम्मीद की नई किरण बनकर आया है। ये बजट इस सरकार के कार्यकाल का अंतिम बजट है और इसीलिए कर्मचारियों को इससे खूब उम्मीदें है। बीते 18 सालों से आउटसोर्स कर्मचारी प्रदेश के विभिन्न विभागों में ड्यूटी दे रहे हैं लेकिन उन्हें सरकारी कर्मचारियों को मिलने वाली कोई भी सुविधाएं नहीं मिलती। हालांकि आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए कैबिनेट की सब कमेटी का गठन जरूर किया गया परन्तु इस कमेटी की बैठक के बाद भी कर्मचारियों को बजट तक इंतजार करने का आश्वासन दिया गया। दरससल लम्बे समय से इन कर्मचारियों का ब्यौरा सरकार एकत्र करने का प्रयास कर रही है और इसी को विलम्ब का बड़ा कारण भी बताया जा रहा है। अब उम्मीद तो है परन्तु कर्मचारी पूरी तरह आश्वस्त हो ऐसा नहीं कहा जा सकता। इसीलिए सरकार के आश्वासन के बाद भी आउटसोर्स कर्मचारी महासंघ ने राज्य स्तरीय बैठक कर प्रदेश के 40 हजार आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए स्थायी नीति बनाने की मांग फिर दोहराई है। शिमला में आउटसोर्स कर्मचारियों के प्रतिनिधि जुटे और समस्याओं पर मंथन किया।
हिमाचल आउटसोर्स कर्मचारी महासंघ की मांग है कि आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए बजट सत्र में किसी ठोस नीति का प्रावधान किया जाए। इन कर्मचारियों का कहना है कि यदि इस दफे भी इन कर्मचारियों को लटकाया गया तो ये सब मिलकर सरकार के खिलाफ संघर्ष का रास्ता अपनाएंगे। महासंघ का कहना है कि प्रदेश में विभिन्न कंपनियों व ठेकेदारों द्वारा आउटसोर्स कर्मचारियों का शोषण किया जा रहा है। सरकार से ठोस नीति बनाने की मांग लंबे समय से की जा रही है, लेकिन अभी तक सरकार ने इस दिशा में कोई फैसला नहीं लिया है । हर बार आश्वासन ही दिए गए। आउटसोर्स कर्मचारी सोसाइटी और कंपनियों के माध्यम से लगे हैं। ये कर्मी पिछले 18 साल से सरकारी विभागों में सेवाएं दे रहे हैं, लेकिन इन्हें स्थायी करने के बारे में सोचा नहीं जा रहा है। महासंघ का कहना है कि सोसाइटी या कंपनी विभाग की मांग के अनुसार पैनल बनाकर विभाग के पास नाम भेजती है। इसके बाद विभागीय कमेटी इंटरव्यू लेकर आउटसोर्स पर रखती है। पर इसके बाद भी इनको नियमित नहीं किया जा रहा।
हिमाचल प्रदेश आउटसोर्स कर्मचारी महासंघ का कहना है कि प्रदेश के विभिन्न विभागों में हजारों कर्मचारियों को आउटसोर्स पर रखा गया है लेकिन सरकार द्वारा इनके नियमितीकरण के लिए कोई नीति नहीं बनाई गई है और न ही इनके शोषण को कम करने के लिए भी कोई ठोस कदम नहीं उठाये गए हैं। इनका कहना हैं कि कोरोना काल जैसी विकट परिस्थिति में भी सरकार इनकी सेवाएं लेती रही, मगर जब बात इनकी मांगो को पूरी करने की आती हैं तो ये ही कर्मचारी सरकार की आंखों में चुभने लगते हैं।
मुश्किल में कोई साथ नहीं देता : शैलेन्द्र
हिमाचल आउटसोर्स कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष शैलेन्द्र शर्मा के अनुसार कुछ दिन पहले ही एक मामला सामने आया था जिसमें बिजली विभाग में नियुक्त एक आउटसोर्स कर्मचारी की करंट लगने से हालत गंभीर हो गई। उसे आईजीएमसी तक रेफर कर दिया गया मगर न तो ठेकेदार ने उसकी कोई सहायता की और न ही सरकार ने। इसी तरह आउटसोर्स पर तैनात नर्सेज, अध्यापक और जल शक्ति विभाग के कर्मचारियों के शोषण की खबर भी आये दिन सामने आती रहती है।
कमीशन काटकर वेतन देते हैं ठेकदार :
आउटसोर्स कर्मचारी वे कर्मचारी हैं जिनको सरकारी विभागों में अनुबंध आधार पर रखा जाता है। यानी कि ये सरकारी विभाग में तो हैं पर सरकारी नौकरी में नहीं हैं। इनकी नियुक्तियां या तो ठेकेदारों के माध्यम से की जाती है या किसी निजी कंपनी के माध्यम से। ये कर्मचारी काम तो सरकार का करते है मगर इन्हें वेतन ठेकेदार या कंपनी द्वारा मिलता है। न तो इन्हें सरकारी कर्मचारी होने का कोई लाभ प्राप्त होता है न ही एक स्थिर नौकरी। इन्हें जब चाहे नौकरी से निकाला जा सकता है। सरकार द्वारा वेतन तो दिया जाता है मगर ठेकेदार की कमिशन के बाद ही इन तक तक पहुंच पाता है।
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मांग : वेतनमान में विसंगतियां दूर हो
- हिमाचल प्रदेश स्कूल प्रवक्ता संघ ने की सरकार से मांग
फर्स्ट वर्डिक्ट. शिमला
हिमाचल प्रदेश स्कूल प्रवक्ता संघ (एचपीएसएलए) ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि नए वेतनमान में विसंगतियों को दूर किया जाएं। संघ का कहना है कि हिमाचल सरकार का 1972 से कर्मचारियों से करार है कि पंजाब पे कमीशन को हिमाचल के कर्मचारियों पर यथावत रूप में लागू किया जाएगा, उसे सरकार पूरा करे। साथ ही संघ ने चेताया है कि यदि उनकी मांग नहीं मानी जाती तो जल्द ही एसोसिएशन जनरल हाउस बुलाकर सबकी सहमति से अगली रणनीति तैयार करेगी और सरकार को इसका खमियाजा भुगतना पड़ेगा।
हिमाचल प्रदेश स्कूल प्रवक्ता संघ का कहना है कि पंजाब में 2016 के बाद जितने भी नियमित कर्मचारी हैं उन सबको नियुक्ति की तिथि से गुणांक 2.59 और 2.25 दिए जा रहे हैं, जिनसे क्रमश: उनकी इनिशियल स्टार्ट 43000 और 47000 रुपए बनती है। इनकी मांग है कि जिस प्रकार पंजाब में बढ़े हुए ग्रेड पे 5400 के साथ 2016 में नियुक्त हुए नए प्रवक्ताओं को 47000 से इनिशियल स्टार्ट दिया है, इसी तरह हिमाचल में भी दिया जाए। संघ के प्रदेश महासचिव संजीव ठाकुर ने कहा कि पंजाब पे कमीशन को हिमाचल के कर्मचारियों पर यथावत रूप में लागू किया जाएं।
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पदोन्नति में समय अवधि कम करने पर जताया आभार
फर्स्ट वर्डिक्ट . शिमला
हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष दुनी चंद ठाकुर एवं प्रदेश महामंत्री नेकराम ठाकुर ने बिजली बोर्ड में कार्यरत जूनियर टी मेट एवं जूनियर हेल्पर की पदोन्नति के लिए समय अवधि 4 वर्ष से 3 वर्ष करने पर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का आभार व्यक्त किया है। उन्हें 14 फरवरी 2022 की बिजली बोर्ड की बीओडी की बैठक में स्वीकृति दी गई है जिसकी पुष्टि प्रदेश के ऊर्जा मंत्री सुखराम चौधरी ने अपने प्रेस संबोधन में की है। तकनीकी कर्मचारी संघ ने भारतीय मजदूर संघ का भी धन्यवाद प्रकट किया है क्योंकि 8 फरवरी 2022 को भारतीय मजदूर संघ ने मुख्यमंत्री के साथ हुई बैठक में ये मुद्दा उजागर किया था। इस बैठक में तकनीकी कर्मचारी संघ ने भी जूनियर टी मेट और जूनियर हेल्पर के विषय को बड़ी गंभीरता से रखा था जिस पर मुख्यमंत्री ने बिजली बोर्ड को उनकी घोषणा के अनुरूप आदेश करने के निर्देश दिए थे। इसके साथ ही प्रदेश अध्यक्ष ने हिमाचल सरकार वह बिजली बोर्ड प्रबंधन से यह भी मांग की है कि बिजली बोर्ड के कर्मचारियों को भी संशोधित वेतनमान तुरंत प्रभाव से दिए जाएं क्योंकि हिमाचल सरकार ने अन्य विभागों के कर्मचारियों को इस माह के वेतन को संशोधित वेतनमान के अनुसार वेतन देने के आदेश किए हैं जिस पर बिजली बोर्ड के कर्मचारी भी स्वभाविक तौर पर नए वेतन की आस लगाए हुए हैं।
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पुरानी पेंशन : इंतजार की इन्तेहां हो गई, फिर विधानसभा घेराव की तैयारी
फर्स्ट वर्डिक्ट. शिमला
इंतजार की इन्तेहां हो गई है और अब कर्मचारी बात मानने के मूड में बिलकुल भी नजर नहीं आ रहे। पुरानी पेंशन बहाली के लिए कर्मचारियों की अनगिनत याचनाएं धरी की धरी है पर सुनवाई होती नहीं दिख रही। सुनवाई होती भी है तो कच्चे पक्के आश्वासन कर्मचारियों को थमा दिए जाते है, पर मांग को पूरी तरह मानने से सरकार बचती हुई दिखाई दे रही है। प्रदेश के हर विधायक, हर मंत्री के दर पर दस्तक देने के बावजूद कुछ ठोस होता नहीं दिख रहा। इसी बीच विधानसभा का बजट सत्र शुरू होने जा रहा हैं और संभवतः एक बार फिर कर्मचारियों का उग्र प्रदर्शन देखने को मिले। बस धर्मशाला के तपोवन की जगह कर्मचारी शिमला के चौड़ा मैदान में डेरा डालेंगे और पुरानी पेंशन के लिए विधानसभा का घेराव होगा।
पुरानी पेंशन बहाली के लिए लंबे समय से संघर्ष कर रहा न्यू पेंशन स्कीम कर्मचारी महासंघ अब प्रदेश सरकार से आर-पार की लड़ाई के लिए तैयार है। पुरानी पेंशन बहाली के लिए महासंघ ने प्रदेश के बजट सत्र के दौरान 3 मार्च को सरकार का घेराव करने का निर्णय लिया है। यह निर्णय मंडी में आयोजित न्यू पेंशन स्कीम कर्मचारी महासंघ की राज्य स्तरीय बैठक में लिया गया। बैठक में महासंघ के साथ जुड़े प्रदेश भर के पदाधिकारी व कर्मचारी पहुंचे और तय किया गया कि अब याचना नहीं रण होगा। रणनीति विधानसभा के घेराव की बनाई गई है। प्रदेश के हज़ारों कर्मचारियों से शिमला आने की दरख्वास्त की जा रही और महासंघ की माने तो अधिकतर की सहमति मिलती भी दिखाई देने लगी है। यानि एक बार फिर विधानसभा के शीतसत्र के दौरान दिखा दृश्य शिमला में बजट सत्र के दौरान देखने को मिल सकता हैं।
अब तक गठित नहीं हुई कमेटी :
10 दिसंबर को धर्मशाला के दाड़ी मैदान में भी कर्मचारियों ने अपनी ताकत का प्रदर्शन सरकार के सामने किया था। एक नहीं अनेक संगठन पेंशन की मांग के लिए एकत्र हुए थे और अंत में सरकार को झुकना पड़ा और पुरानी पेंशन बहाली के लिए एक कमेटी गठन करने का आश्वासन दिया गया। अलबत्ता कमेटी अब तक गठित नहीं हो पाई है जिससे कर्मचारियों में नाराज़गी है। महासंघ का कहना है कि सरकार अब कमेटी के गठन को छोड़ पुरानी पेंशन बहाल करें।
2009 की अधिसूचना लागू ,पर कर्मचारी मांगे पुरानी पेंशन :
हाल ही में सरकार द्वारा कैबिनेट बैठक के दौरान 2009 की अधिसूचना लागू करने को मंजूरी दी गई है। मगर उससे भी कर्मचारी पिघलते हुए नजर नहीं आ रहे। कैबिनेट के अप्रूवल के बाद एनपीएस के तहत आने वाले सभी कर्मचारियों के लिए मृत्यु व अपंगता पर फैमिली पेंशन का प्रावधान किया गया है, मगर कर्मचारी अपनी एक मात्र मांग पुरानी पेंशन बहाली पर अटके हुए है।
सरकार को कोई वित्तीय घाटा नहीं होगा : प्रदीप
न्यू पेंशन स्कीम कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप ठाकुर का कहना हैं कि बजट सत्र के दौरान शिमला में प्रदेश भर से एक लाख से अधिक कर्मचारी एकत्रित होंगे। पुरानी पेंशन के लिए मंडी से शिमला तक पैदल यात्रा निकाली जाएगी और फिर विधानसभा पहुंचकर बजट सत्र के दौरान सरकार का घेराव किया जाएगा। ठाकुर का कहना है कि धर्मशाला में रैली के बाद महासंघ की प्रदेश के सरकार के साथ बैठक भी हुई थी। बैठक में प्रदेश सरकार को सुझाव दिया गया था कि यदि सरकार पुरानी पेंशन बहाल करती है, तो सरकार को 2009 की अधिसूचना लागू की वृद्धि होगी। परन्तु 2 महीने बीत जाने के बाद भी सरकार ने अभी तक कमेटी तक का गठन नहीं किया है
नई पेंशन स्कीम कर्मचारी महासंघ के पदाधिकारियों का कहना है कि कर्मचारियों के वेतन का 10 प्रतिशत पैसा जबरदस्ती कंपनी को दिया जा रहा है और सरकार अपना 14 प्रतिशत पैसा भी कंपनी को दे रही है जिससे सरकार और कर्मचारी दोनों को नुकसान हो रहा है। नई पेंशन स्कीम से सिर्फ और सिर्फ कंपनी को ही फायदा हो रहा है जो सही नहीं है l
पुरानी पेंशन पर सियासत भी भरपूर :
पुरानी पेंशन बहाली के मुद्दे पर सियासत भी तेज है। विपक्ष कर्मचारियों को आश्वासन देकर सत्ता वापसी की स्थिति में पेंशन बहाल करने के सपने दिखा रहा है और भाजपा कर्मचारियों को याद दिला रही है कि प्रदेश में एनपीएस लाने वाली कांग्रेस ही थी जो आज इसे कर्मचारियों के अधिकारों का हनन बता रही है। पेंशन के मुद्दे को लेकर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का कहना है कि इस वक्त कोई भी प्रदेश पुरानी पेंशन देने की स्थिति में नहीं है। जहां कांग्रेस की सरकार है वहां भी पुरानी पेंशन कर्मचारियों को नहीं मिल रही। ऐसे में पहले से वित्तीय घाटे में चल रहे हिमाचल प्रदेश के लिए भी पुरानी पेंशन की वापसी करवाना आसान नहीं होगा।