किन्नौर: एक जिला, एक निर्वाचन, राजनीतिक दलों का भीतरखाते विभाजन
किन्नौर एक जिला और एक ही निर्वाचन क्षेत्र है, लेकिन यहां की सियासत में पिछले कई वर्षाें से गुटबाजी हावी हाेती आ रही है। चाहे कांग्रेस की बात करें या फिर भाजपा की, दाेनाें राजनीतिक दलाें में गुटबाजी जाेराें पर चली हुई है। यही वजह है कि 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के तेजवंत सिंह नेगी काे कांग्रेस के जगत सिंह नेगी से पराजित हाेना पड़ा। बीजेपी में ऐसी स्थिति अभी तक है। कारण यह है कि 2017 के विधानसभा में चुनाव लड़ने वाले तेजवंत सिंह नेगी काे जयराम सरकार ने साइडलाइन करने में काेई कसर नहीं छाेड़ी। गाैरतलब है कि तेजवंत सिंह नेगी पूर्व में विधायक भी रह चुके हैं और जब सत्ता में भाजपा आई ताे उन्हें काफी उम्मीदें थी कि बाेर्ड या किसी निगम में उन्हें अध्यक्ष या उपाध्यक्ष का ताेहफा मिलेगा, मगर उन्हें मायूस हाेना पड़ा। दरअसल 2017 के चुनाव में किन्नौर सीट से भाजपा के दाे नेता टिकट के चाहवान रहे। एक तेजवंत सिंह नेगी और दूसरा सूरत नेगी। वर्तमान में वन विकास निगम के उपाध्यक्ष सूरत नेगी पिछले चुनाव में टिकट के लिए पूरी ताकत झोंक दी थी, लेकिन पार्टी हाईकमान ने पूर्व विधायक तेजवंत नेगी पर ही भराेसा जताया। सूरत का टिकट कटने के बाद तेजवंत नेगी भी हार का मुंह देखना पड़ा। बताया जाता है कि भाजपा में गुटबाजी नहीं हाेती ताे शायद तेजवंत सिंह नेगी इस वक्त विधानसभा में दिखते। ऐसे में जाहिर है कि मिशन -2022 से पहले भी भाजपा की गुटबाजी समाप्त हाेती नजर नहीं आ रही है। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस में भी इस वक्त युवा कांग्रेस से लेकर कांग्रेस नेताओं में गुटबाजी चल रही है। विधायक जगत सिंह नेगी वीरभद्र सिंह समर्थक हैं ताे युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष निगम भंडारी सुक्खू गुट से हैं। यही वजह है कि किन्नौर से टिकट के लिए अगले साल के चुनाव में गुटबाजी खुलकर सामने आ सकती है।
पूर्व विधायक तेजवंत नेगी काे नहीं मिला सत्ता का सुख
प्रदेश में जयराम सरकार बनते ही वर्ष 2018 में बाेर्ड एवं निगमों में उपाध्यक्षाें की नियुक्ति की गई ताे किन्नौर के पूर्व विधायक तेजवंत सिंह काे सत्ता का सुख नसीब नहीं हुआ। दरअसल तेजवंत नेगी पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल समर्थक हैं, जबकि सूरत नेगी काे जयराम समर्थक माना जाता है। इसी वजह से ही सूरत नेगी काे वन विकास निगम में उपाध्यक्ष की कुर्सी मिली।
लाेकल एरिया डेवेल्पमेंट अथाॅरिटी कमेटी पर भी राजनीति
जिला किन्नौर में भले ही एक विधानसभा क्षेत्र हाे, मगर राजनीतिक सरगर्मियां काफी तेज हाेती है। राज्य सरकार ने पहली बार एलएडीए यानी लाेकल एरिया डेवेल्पमेंट अथाॅरिटी कमेटी में भी राजनीति की। आज तक का इतिहास रहा है कि इस कमेटी में चेयरमैन स्थानीय विधायक ही हाेता है। जबकि किनौर में ऐसा नहीं किया। कांग्रेस विधयक जगत सिंह नेगी ने इस मसले पर कई बार जयराम सरकार काे घेरने की काेशिश की, लेकिन कुछ नहीं हुआ।
अब तक काैन-काैन रहे विधायक ?
-ज्ञान सिंह नेगी।
-ठाकुर सेन नेगी।
-देवराज नेगी।
-चेतराम नेगी।
-तेजवंत सिंह नेगी।
-जगत सिंह नेगी।