गिनती कम, पर हिमाचल के सियासी क्षितिज पर फीकी नहीं रही नारी शक्ति
हिमाचल प्रदेश के सियासी इतिहास में नारी शक्ति की मौजूदगी कम जरूर रही है पर फीकी नहीं रही। यहाँ सियासी क्षितिज पर बेहद कम महिलाएं अब तक अपना नाम चमकाने में कामयाब रही और इसका बड़ा कारण ये है कि प्रदेश के प्रमुख राजनैतिक दलों ने कभी महिलाओं पर ज्यादा भरोसा नहीं जताया है। पर कुछ नाम ऐसे है जिन्होंने प्रदेश की सियासत में अपना खूब जलवा बिखेरा है, यानी गिनती जरूर कम है पर महिला नेताओं ने रंग खूब जमाया है। तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद कई महिलाओं ने न सिर्फ विधानसभा में जगह बनाई है, बल्कि मंत्री भी रही। ये भी गौरव का विषय है कि देश की प्रथम स्वास्थ्य मंत्री राजकुमारी अमृत कौर भी हिमाचल प्रदेश से ही सांसद थी।
उमावती थी पहली महिला विधायक
1954 में बिलासपुर के हिमाचल प्रदेश में विलय के बाद उमावती गेहड़वीं से निर्दलीय के तौर पर पहली महिला विधायक बनी। 1957 में कांग्रेस ने सत्यावती को मनोनीत किया। 1962 में कांग्रेस ने सुभद्रा अमीं चंद को मनोनीत किया। चंबा से कांग्रेस ने ही देविंद्रा कुमारी को मनोनीत किया। कुटलैहड़ से सरला शर्मा 1972 में कांग्रेस की विधायक रही। भटियात से पदमा भी 1972 में विधायक रहीं। इसी वर्ष लाहुल स्पीति से लता ठाकुर विधायक रही। चंदेश कुमारी 1972, 1982, 2003 में विधायक रही। नाहन से श्यामा शर्मा तीन बार विधायक रही। 1977, 82, 1990 में जनता दल की विधायक बनी। बनीखेत अब डलहौजी विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस की ही आशा कुमार 85, 93, 98, 2003, 2012, 2017 में विधायक चुनी गई। 1990 में गोपालपुर से भाजपा की लीला शर्मा और चिंतपूर्णी से सुषमा शर्मा चुनी गई। सोलन से कांग्रेस की कृष्णा मोहिनी 1993 और 98 में विधायक बनी। हमीरपुर से कांग्रेस की अनीता वर्मा 1994 के उप चुनाव और 2003 में विधायक रही। भाजपा से उर्मिल ठाकुर हमीरपुर से 1998 और 2007 में विधायक बनी। शाहपुर से भाजपा की सरवीण चौधरी 1998, 2007, 2012, 2017 में विधायक चुनी गई। 2008 में डलहौजी से भजपा की रेणु चड्ढा विधायक बनी। कांग्रेस की विप्लव ठाकुर जसवां से तीन बार विधायक रही। वह 1985, 93, 98 में विधायक चुनी गई। दून से भाजपा की विनोद कुमारी 2007 में विधायक रही।
आठ बार विधायक बनी विद्या स्ट्रोक्स
वरिष्ठ कांग्रेस नेता विद्या स्टोक्स कांग्रेस से आठ बार विधायक चुनी गई। उनका रिकॉर्ड कोई दूसरी महिला नेता नहीं तोड़ पाई है। स्ट्रोक्स पहली बार 1974 में विधायक बनीं थी। वह विधानसभा की अध्यक्ष भी रहीं है और नेता विपक्ष भी बनी। स्ट्रोक्स 1974, 1982, 1985, 1990,1998, 2003, 2007 व 2012 में विधायक रही।
वर्तमान में पांच महिला विधायक
2017 के चुनाव में भाजपा से शाहपुर सीट से सरवीण चौधरी, भाेरंज से कमलेश कुमारी और इंदाैरा से रीता देवी विधायक बन कर विधानसभा पहुंची थी, जबकि कांग्रेस की आशा कुमारी डलहौजी से चुनाव जीत कर विधायक बनी थी। 2019 में उपचुनाव में पच्छाद से भाजपा की 34 वर्षीय रीता कश्यप ने जीत हासिल कर विधायक बनी।
1998 में जीती थी सबसे अधिक 6 महिलाएं
हिमाचल प्रदेश के इतिहास पर नज़र डाले तो 1998 के विधानसभा चुनाव में सबसे अधिक 6 महिअलों ने जीत दर्ज की। इस चुनाव में कांग्रेस की विप्लव ठाकुर, मेजर कृष्णा मोहिनी, विद्या स्ट्रोक्स, आशा कुमारी और भाजपा की उर्मिल ठाकुर और सरवीण चौधरी ने जीत दर्ज की। हालांकि बाद में भाजपा नेता महेंद्र नाथ सोफत की याचिका पर सोलन का चुनाव सुप्रीम कोर्ट द्वारा रद्द घोषित कर दिया गया जहाँ से पहले मेजर कृष्णा मोहिनी को विजेता घोषित किया गया था। वहीँ 1998 में परागपुर में हुए उप चुनाव में निर्मला देवी ने जीत दर्ज की।
विस चुनाव : महिला प्रत्याशी जीती
1977 : 1
1982 : 3
1985 : 3
1990 : 4
1993 : 3
1998 : 6 ( बाद में सोलन चुनाव रद्द घोषित हुआ )
2003 : 4
2007 : 5
2012 : 3
2017 : 4
सरला शर्मा से सरवीण चौधरी तक
प्रदेश में 1972 में पहली बार सरला शर्मा मंत्री बनी। फिर 1977 में श्यामा शर्मा मंत्री रही। उसके बाद आशा कुमारी, विप्लव ठाकुर, चंद्रेश कुमारी, विद्या स्टोक्स मंत्री रही। वहीँ वर्तमान सामाजिक न्याय एवं आधिकारिता मंत्री सरवीण चौधरी इससे पहले धूमल सरकार में भी मंत्री रह चुकी है।
सिर्फ तीन महिलाएं पहुंची लोकसभा
लोकसभा की बात करें तो वर्ष 1952 में राजकुमारी अमृत कौर प्रदेश की पहली महिला सांसद बनी। इसके बाद चंद्रेश कुमारी वर्ष 1984 में कांगड़ा से सांसद चुनी गई। वहीँ प्रतिभा सिंह मंडी सीट से दो बार लोकसभा सांसद रही है। वे वर्ष 2004 और 2013 के उप चुनाव में विजेता रही।
1956 में लीला देवी बनी थी राज्यसभा सांसद
अपर हाउस राज्यसभा की बात करें तो आज तक हिमाचल प्रदेश की कुल 7 महिलाएं राज्यसभा में पहुँच सकी है। सबसे पहले वर्ष 1956 में कांग्रेस नेता लीला देवी राज्यसभा के लिए चुनी गई। इसके बाद 1968 में सत्यावती डांग, 1980 में उषा मल्होत्रा, 1996 में चंद्रेश कुमारी, 2006 व 2014 में विप्लव ठाकुर को कांग्रेस ने हिमाचल प्रदेश से राज्यसभा भेजा। वहीँ भाजपा से 2010 में बिमला कश्यप व 2020 में वर्तमान राज्यसभा सांसद इंदु गोस्वामी राज्यसभा पहुंची
तो क्या पहली महिला सीएम हो सकती थी मैडम स्ट्रोक्स
वर्ष 2003 में कांग्रेस की हिमाचल की सत्ता में वापसी हुई थी। इससे पिछले चुनाव में पंडित सुखराम की हिमाचल विकास कांग्रेस वीरभद्र सिंह के अरमानो पर पानी फेर चुकी थी जिसकी बदौलत प्रो प्रेमकुमार धूमल पांच वर्ष मुख्यमंत्री रहे। अब जब 2003 में मुख्यमंत्री चुनने की बारी आई तो ठियोग विधायक और कांग्रेस की तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष विद्या स्टोक्स ने वीरभद्र को चुनौती दे दी। उस वक्त प्रदेश में माहौल बना की शायद मैडम स्ट्रोक्स सोनिया गांधी से अपनी नजदीकी के बुते सीएम बनने में कामयाब हो जाए। कहते है स्ट्रोक्स ने बाकायदा दिल्ली में दावा पेश कर दिया था कि विधायक दल उन्हें मुख्यमंत्री पद पर देखना चाहता है। वीरभद्र विरोधी गुट का भी उन्हें पूरा साथ मिला। पर अंत में बाजी वीरभद्र सिंह ने ही मारी। विद्या दिल्ली में थी और वीरभद्र सिंह ने शिमला में मीडिया के सामने अपने 22 विधायकों की परेड करा कर अपनी ताकत का अहसास आलाकमान को करवा दिया। जो परेड में शामिल नहीं हुए उनमे से अधिकांश विधायक भी वीरभद्र के साथ हो लिए। इस तरह वीरभद्र सिंह पांचवी बार मुख्यमंत्री बन गए और प्रदेश को महिला सीएम मिलने के कयास सिर्फ कयास ही रह गए।