मन की बात में बोले पीएम मोदी- तमिल भाषा ना सीख पाना मेरी कमी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज आकाशवाणी पर प्रसारित होने वाले अपने रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' के जरिए जनता से संवाद किया. प्रधानमंत्री मोदी के मन की बात कार्यक्रम का यह 74वां संस्करण है। अपने संबोधन की शुरुआत प्रधानमंत्री ने माघ पूर्णिमा के पर्व से की। उन्होंने कहा कि माघ का महीना विशेष रूप से नदियों, सरोवरों और जलस्रोतों से जुड़ा हुआ माना जाता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि पानी का स्पर्श, जीवन और विकास के लिए जरूरी है। पीएम मोदी ने संत रविदास का जिक्र करते हुए कहा कि जब भी माघ महीने और इसके आध्यात्मिक सामाजिक महत्त्व की चर्चा होती है तो ये चर्चा एक नाम के बिना पूरी नहीं होती और ये नाम है संत रविदास। प्रधानमंत्री ने कहा कि युवाओं को कोई भी काम करने के लिये, खुद को, पुराने तौर तरीकों में बांधना नहीं चाहिए। उन्होंने कहा कि मैं दुनिया की सबसे प्राचीन भाषा तमिल सीखने के लिए बहुत प्रयास नहीं कर पाया। मैं तमिल नहीं सीख पाया। प्रधानमंत्री ने कहा कि ये एक सुंदर भाषा है। तमिल न सिख पाना मेरी कमी है।
पीएम मोदी ने कहा कि असम में हमारे मंदिर भी प्रकृति के संरक्षण में अपनी अलग ही भूमिका निभा रहे हैं, हमारे मंदिरों को देखें तो पाएंगे कि हर मंदिर के पास तालाब होता है। हजो में हयाग्रीव मधेब मंदिर, सोनितपुर के नागशंकर मंदिर और गुवाहाटी में उग्रतारा मंदिर के पास इस प्रकार के तालाब हैं। इनका उपयोग विलुप्त होते कछुओं की प्रजातियों को बचाने के लिए किया जा रहा है। पीएम मोदी ने कहा कि जब प्रत्येक देशवासी गर्व करता है, प्रत्येक देशवासी जुड़ता है, तो आत्मनिर्भर भारत, सिर्फ एक आर्थिक अभियान न रहकर एक नेशनल स्पिरिट बन जाता है। जब हम इस सोच के साथ आगे बढ़ेंगे, तभी सही मायने में आत्मनिर्भर बन पाएंगे। उन्होंने कहा मुझे खुशी है कि आत्मनिर्भर भारत का ये मंत्र, देश के गांव-गांव में पहुंच रहा है।