कोरोना महामारी के दौर में खौल रहे है खाद्य तेलों के दाम
कोरोना के इस मुश्किल दौर में खाद्य तेलों के दामों में लगातार इजाफा हो रहा है। सरकारी आंकड़े भी तस्दीक करते है कि खाद्य तेलों के दाम पिछले एक दशक के अपने सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गए हैं। बढे दामों के बीच आम लोगों का जमकर गुस्सा निकल रहा है, खासतौर से सोशल मीडिया पर। स्टेट सिविल सप्लाईज डिपार्टमेंट के आंकड़ों के अनुसार देश में रिटेल में खाद्य तेल के मासिक औसत दाम जनवरी 2010 से अब तक के अपने सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गए हैं। ये आंकड़े उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय की वेबसाइट पर भी उपलब्ध हैं। प्राप्त डाटा के अनुसार, मई के महीने में सरसों के तेल के औसत दाम करीब 165 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गए, जो कि पिछले साल में मई के महीने से तक़रीबन 39 प्रतिशत अधिक है। मई 2020 में सरसों के तेल का औसत दाम 118.25 रुपये प्रति किलोग्राम था। मई 2010 में सरसो तेल का दाम सिर्फ 63.05 रुपये प्रति किलोग्राम था। पाम ऑयल का भी भारत के कई घरों में इस्तेमाल होता है। मई माह में इसके औसत दाम 131 रुपये प्रति किलोग्राम के करीब है जो कि पिछले साल के मुक़ाबले लगभग 49 प्रतिशत अधिक है। मई 2020 में पाम ऑयल के औसत दाम 88.27 रुपये प्रति किलोग्राम थे। वहीं अप्रैल 2010 में इसके दाम 49.13 रुपये प्रति किलोग्राम था। मूंगफली के तेल के औसत दाम 175.55 रुपये, वनस्पति के 128.7 रुपये, सोयाबीन तेल के 148.27 रुपये और सनफ्लावर तेल के 169.54 रुपये प्रति लीटर पहुंच गए हैं। मई 2020 के मुकाबले इन तेलों के औसत दाम में करीब 20 से 50 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी दर्ज हुई है। इसी तरह वनस्पति घी के दामों में भी करीब 30 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
आयात होता है 60 प्रतिशत से अधिक खाद्य तेल
पिछले कुछ महीनों में अंतरराष्ट्रीय बाजार में खाद्य तेल की कीमत के मुकाबले भारत में इसके दामों में कहीं अधिक बढ़ोत्तरी दर्ज हुई है। इस पर केंद्र सरकार भी अपनी चिंता जाहिर कर चुकी है। भारत में खाद्य तेल का 60 प्रतिशत से अधिक का आयात विदेशों से होता है, इसलिए अंतरराष्ट्रीय कीमतों के साथ इसको जोड़कर देखा जाता है। पर दामों में बेहिसाब इजाफा तर्कसंगत नहीं है।
दाल और एडिबल ऑयल्स के दाम और बढ़ सकते है : आरबीआई
बीते कुछ वक्त में दालों के भाव में भी बेतहाशा वृद्धि हुई है। अरहर की दाल 30 रुपए प्रति किलो महंगी हो गई है। उड़द, मूंग व मसूर के रेट भी आसमान छू रहे हैं। ऐसे में खाने का जायका फीका पड़ने लगा है। अनाज पर महंगाई की मार पड़ गई है। महामारी से बचने के लिए औद्योगिक इकाइयों से मजदूरों का पलायन जारी है। ऐसे में उत्पादन प्रभावित हो रहा है। 27 मई को जारी आरबीआई की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक मांग और आपूर्ति में अंतर के चलते दाल और एडिबल ऑयल्स जैसे फूड आइटम्स के भाव पर दबाव बना रहेगा और इनके भाव बढ़ सकते हैं। हालांकि 2020-21 में बंपर उत्पादन के चलते अनाज के भाव में नरमी आ सकती है।