हिमाचल विधानसभा को सम्बोधित करने वाले तीसरे राष्ट्रपति होंगे रामनाथ काेविंद
देश के प्रथम नागरिक यानी भारत के राष्ट्रपति पहले भी हिमाचल विधानसभा की शाेभा बढ़ा चुके हैं। दो राष्ट्रपति अब तक हिमाचल विधानसभा को सम्बोधित कर चुके है और अब वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ काेविंद भी विधानसभा काे संबाेधित करेंगे। हिमाचल के लिए यह गर्व की बात है कि देश के राष्ट्रपति का संबाेधन विधानसभा में सुनने काे मिलेगा, वह भी सदन में विराजमान सत्तापक्ष और विपक्ष के साथ। पूर्व में राष्ट्रपति स्व. एपीजे अब्दुल कलाम ने 23 दिसंबर 2004 काे हिमाचल प्रदेश विधानसभा सदन काे संबाेधित किया था। उसके बाद पूर्व राष्ट्रपति स्व. प्रणव मुखर्जी ने 23 मई 2013 काे विधानसभा के विशेष सत्र काे संबाेधित किया था। अब वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ काेविंद 17 सितंबर काे हिमाचल प्रदेश विधानसभा में विशेष सत्र काे संबाेधित करेंगे। बता दें कि हिमाचल प्रदेश के पूर्ण राज्यत्व स्वर्ण जयंती समारोह के चलते प्रदेश में विधानसभा का विशेष सत्र 17 सितंबर को होना है। एक दिन के इस विशेष सत्र को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद संबोधित करेंगे। उल्लेखनीय है कि हिमाचल प्रदेश इस साल पूर्ण राज्यत्व की स्वर्ण जयंती मना रहा है। स्वर्ण जयंती वर्ष में प्रदेश के विकास को दर्शाते 51 कार्यक्रमों के आयोजन की सरकार की योजना है। हालांकि कोरोना महामारी की वजह से कार्यक्रमों में विलंब हुआ है। बताया गया कि विधानसभा सत्र में भी प्रदेश की विकास यात्रा का उल्लेख होगा। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद 16 से 20 सितंबर तक शिमला प्रवास पर रहेंगे। प्रवास के दूसरे दिन 17 सितंबर को 11 बजे विधानसभा के विशेष सत्र को संबोधित करेंगे। विधानसभा को संबोधित करने वाले वह देश के तीसरे राष्ट्रपति होंगे।
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का हिमाचल से था गहरा नाता
पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का हिमाचल से गहरा नाता रहा है। वह हिमाचल आते-जाते रहे हैं। वह जब भी हिमाचल आते थे तो यहां की खूबसूरत वादियों, वातावरण और लोगों की तारीफ करते नहीं थकते थे। बतौर राष्ट्रपति वे साल 2004 के अपने दो दिवसीय दौरे में हिमाचल के कई क्षेत्रों में गए थे। पूर्व राष्ट्रपति डा.एपीजे अब्दुल कलाम की यादें हमीरपुर जिले से भी जुड़ी हुई हैं। डॉ. कलाम 3 जनवरी 2009 में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी हमीरपुर के दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्यातिथि शिरकत करने आए थे। हालांकि उस समय वह राष्ट्रपति नहीं थे। वहां पूर्व राष्ट्रपति ने संस्थान के इंजीनियरों में देशभक्ति का जोश भरा था।
लाेकसभा स्पीकर भी बढ़ा चुके हैं विधानसभा की शाेभा
हिमाचल प्रदेश विधानसभा में लाेकसभा स्पीकर भी आते रहे है। हिमाचल प्रदेश विधानसभा में दाे मर्तबा लाेकसभा स्पीकर शिरकत कर चुके हैं। पहली बार अक्तूबर 1997 में पीए सांगमा ने सदन काे संबाेधित किया था। उसके बाद लाेकसभा की पूर्व स्पीकर मीरा कुमार ने 21अक्तूबर 2013 काे विधानसभा के विशेष सत्र काे संबाेधित किया था। उस वर्ष तत्कालीन वीरभद्र सरकार एवं विधनसभा के पूर्व स्पीकर बृज बिहारी लाल बुटेल ने सत्तापक्ष और विपक्ष के साथ-साथ 160 पूर्व विधायकों काे निमंत्रण भी दिया था।
विपिन सिंह परमार के नाम अब नया इतिहास
हिमाचल प्रदेश विधानसभा में राष्ट्रपति द्वारा संबाेधन करवाने के लिए अब स्पीकर विपिन सिंह परमार के नाम नया इतिहास रहेगा। उनके कार्यकाल में राष्ट्रपति रामनाथ काेविंद आ रहे हैं। जबकि 2004 में पूर्व स्पीकर गंगूराम मुसाफिर के कार्यकाल में डा. एपीजे अब्दुल कलाम और पूर्व स्पीकर बीबीएल बुटेल के कार्यकाल में पूर्व राष्ट्रपति स्व. प्रणव मुखर्जी हिमाचल प्रदेश विधानसभा सदन काे संबाेधित कर चुके हैं।
प्रवास के दौरान राष्ट्रपति कार्यालय द रिट्रीट में हाेगा शिफ्ट
राजधानी के समीप मशोबरा की पहाड़ी की चोटी पर स्थित द रिट्रीट भवन का अधिग्रहण वायसराय द्वारा 1895 के दौरान किया गया था। राष्ट्रपति के प्रवास के दौरान उनका कार्यालय भी रिट्रीट में स्थानांतरित हो जाता है। शिमला रिज टॉप से एक हजार वर्गफुट ऊंचा रिट्रीट रमणीय परिवेश में बसा हुआ है। इस स्थान की वास्तुकला और प्राकृतिक सौंदर्य ने इस रिट्रीट को शिमला में पर्यटन का एक आकर्षण बना दिया है। इस भवन की एक खासियत यह है कि यह दाज्जी दीवार के साथ पूरी तरह लकड़ी के ढांचे से बना हुआ है। मूलत: 1850 में निर्मित इस भवन का निर्मित क्षेत्र 10628 वर्ग फुट है। रिट्रीट में कुल 16 कमरे हैं। कोटी रियासत के राजा ने इस भवन का निर्माण1840 में कराया था। बाद में इसे भारत सरकार को स्थायी लीज पर सौंप दिया गया। आजादी के बाद से ही भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान भवन को राष्ट्रपति निवास का दर्जा प्राप्त था, लेकिन 1962 में तत्कालीन राष्ट्रपति डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने जब इसे एडवांस्ड स्टडी के लिए दे दिया तो छराबड़ा के द रिट्रीट को राष्ट्रपति निवास बनाया गया। राष्ट्रपति के प्रवास के दौरान उनका कार्यालय भी साथ रहता है यानि सारा कामकाज दिल्ली से शिमला पहुंच जाता है। इस मर्तबा राष्ट्रपति के पांच दिवसीय शिमला प्रवास के दौरान भी ऐसा ही होगा।
तब नहीं मिली थी द रिट्रीट में एंट्री
मशोबरा स्थित द रिट्रीट और रामनाथ कोविंद से जुड़ा एक रोचक किस्सा है। राष्ट्रपति बनने से रामनाथ कोविंद अपने शिमला दौरे के दौरान परिवार के साथ राष्ट्रपति रिट्रीट बिल्डिंग में जाना चाहते थे लेकिन इसके लिए उन्हें अनुमति नहीं दी गयी थी। तब उन्हें निराश होकर लौटना पड़ा था। दरअसल रामनाथ कोविंद गर्मी की छुट्टियां मनाने शिमला पहुंचे थे। इस दौरान वे हिमाचल प्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल आचार्य देवव्रत के आधिकारिक मेहमान थे। तब उनका मन प्रेसिडेंट रिट्रीट देखने का हुआ, लेकिन क्योंकि उनके पास इसकी इजाजत नहीं थी, इसलिए उन्हें अंदर नहीं जाने दिया गया था। शिमला का प्रेसिडेंट रिट्रीट भारत के राष्ट्रपति का आधिकारिक रिट्रीट है। यहां पर राष्ट्रपति गर्मी की छुट्टियां बिताने आते हैं। प्रेसिडेंट रिट्रीट में जाने के लिए राष्ट्रपति भवन की अनुमति होना अनिवार्य है।स्वतंत्रता के बाद वाइसरीगल लॉज के बाद प्रेसिडेंशियल एस्टेट के हिस्से के तौर पर इसे रिट्रीट बनाया गया और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडी को सौंप दिया गया।
डॉ कलाम का 'ब्रांड हिमाचल', कुछ हुआ और बहुत शेष
पूर्व राष्ट्रपति डा. एपीजे अब्दुल कलाम ने 23 दिसंबर, 2004 को बतौर राष्ट्रपति खुद हिमाचल विधानसभा में सूबे के विकास के लिए विजन डाक्यूमेंट पेश किया था। इसमें उन्होंने हिमाचल को 2015 तक एक विकसित प्रदेश बनने का लक्ष्य दिया था। वे हिमाचल को 2015 तक एक ‘ब्रांड’ बनाना चाहते थे। डा. कलाम के ‘हिमाचल प्रदेश : मिशंस फॉर प्रोस्पेरिटी’ नामक इस विजन डाक्यूमेंट में कहा गया है कि हिमाचल वैश्विक दृष्टि से भी उल्लेखनीय राज्य बन सकता है। इसके लिए हिमाचल को एक ब्रांड बनाना होगा, जो भारत और विश्व में सफल हो सके। तब डा. एपीजे अब्दुल कलाम ने कहा था कि विश्व के प्रत्येक व्यक्ति के मन में हिमाचल बसा हुआ है। सबसे नवीन पर्वत, ऊंचे शिखर, आध्यात्मिक श्रेष्ठता, प्राचीन ज्ञान, शांति, अनुपम सौंदर्य, सतलुज, ब्यास, झरनों का पानी और सबसे बढ़कर निश्छल-सुंदर लोग। हिमाचल के तैंतीस लाख युवा प्रदेश को ब्रांड बनाने की ताकत रखते हैं।
डॉ.कलाम ने दिए थे ये 9 मिशन
- शत-प्रतिशत साक्षरता, कौशल और सभी को चिकित्सा बीमा।
- हर गांव में नॉलेज, इलेक्ट्रॉनिक और फिजिकल कनेक्टीविटी।
- औषधीय पौधों, फूलों और सुगंधित पौधों के उत्पादन पर जोर।
- सेब सहित तमाम फलों के उत्पादन और प्रोसेसिंग पर बल।
- वर्षा जल संचयन और हिम जल पर आधारित पेयजल व्यवस्था।
- 10 हजार मेगावाट अतिरिक्त पन बिजली उत्पादन के लिए 50 हजार करोड़ निवेश।
- सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी व्यवसाय को बढ़ावा देना।
- घरेलू पर्यटक दोगुना और विदेशी पर्यटक छह गुणा बढ़ाने के लिए बुनियादी सुविधाएं।
- 1000 करोड़ रुपये निर्यात का लक्ष्य तय कर ऊनी कपड़ा उद्योग की स्थापना।
शिमला की वादियां खूब लुभाती थी प्रणव मुखर्जी को
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को हिल्स क्वीन शिमला की वादियां खूब लुभाती थी। वे कई मर्तबा शिमला आये। राष्ट्रपति पद पर रहते हुए भी वे छराबड़ा द रिट्रीट में सुकून के पल बिताने आते थे। शिमला दौरे के दौरान अक्सर वे रिट्रीट परिसर में हाथ में डंडा लेकर सुबह की सैर करते नजर आते थे। राष्ट्रपति कार्यालय से कई बार रिट्रीट की फोटो ट्विटर पर शेयर भी की गई थी। छराबड़ा के एक निजी स्कूल हिमालयन इंटरनेशनल के दस विद्यार्थी उनसे मिलने पहुंचे थे। श्रेया, अंकिता, जाह्नवी, अंशुल, मुस्कान, मानसी, उत्कर्ष, अभिषेक टनिश, दीक्षा और प्रधानाचार्य सरिता ठाकुर, वंदना ने उनके साथ चित्र भी खिंचवाया था। प्रणब मुखर्जी ने बच्चों को पढ़ाई में खूब मेहनत कर आगे बढ़ने को प्रेरित किया था। प्रणब मुखर्जी एचपीयू के दीक्षांत समारोह में तीन बार आए थे। उन्होंने सैकड़ों मेधावियों को डिग्रियां और उपाधियां देकर सम्मानित किया था। पहली बार वे 1984 में बतौर केंद्रीय वित्त मंत्री विवि के दीक्षांत समारोह में आए थे।
प्रणव मुखर्जी दूसरी बार 17 सितंबर, 2009 में केंद्रीय वित्त मंत्री के नाते दीक्षांत समारोह में शिरकत करने आए थे। तीसरी बार 24 मई, 2013 को भारत के राष्ट्रपति रहते विवि के 20वें दीक्षांत समारोह में आए थे। उनका कहना था कि विश्वविद्यालयों में हमेशा शोध होता रहना चाहिए। देश की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए शोध की अहम भूमिका रहती है। भारत सरकार को नई नीतियां बनाने में सहयोग मिलता है। इस दौरान छराबड़ा स्थित राष्ट्रपति निवास में बेटी सर्मिष्ठा के साथ वे पांच दिन ठहरे थे। राष्ट्रपति निवास में प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के साथ बेहद गर्मजोशी के साथ मिले थे। उनकी स्मरण शक्ति इतनी थी कि लोग हैरत में पड़ गए थे। 24 मई, 2013 को उन्होंने एडवांस स्टडीज (राष्ट्रपति निवास व वायस रीगल) में संस्कृति व सभ्यता से जुड़े अनुसंधान व अध्ययन की सुविधा वाले केंद्र का लोकार्पण भी किया था।