कच्चे माल की कमी बड़ी चुनौती
बद्दी, बरोटीवाला और नालागढ़ न केवल प्रदेश बल्कि देश के बड़े औद्योगिक केंद्रों में से एक हैं। हिमाचल में यदि उद्योगों की बात करें तो हज़ारों की संख्यां में कई छोटे-बड़े उद्योग हैं। प्रदेश में औद्योगिक निवेश 21 हजार करोड़ से भी ज्यादा है। राज्य सरकार के पास भी 250 करोड़ के निवेश के प्रस्ताव विचाराधीन हैं, लेकिन कई कमियों के कारण औद्योगिक क्षेत्र का विकास तेजी से नहीं हो पा रहा है। कच्चे माल की कमी के चलते हिमाचल प्रदेश के सबसे बड़े फार्मा हब बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़ (बीबीएन) में उत्पादन प्रभावित हो रहा है। दाम दोगुना होने के बावजूद भी दवा निर्माताओं को कच्चा माल नहीं मिल रहा। प्रदेश में 750 दवा उद्योग हैं। अकेले बीबीएन में 350 दवा उद्योग हैं, लेकिन दवा उद्योगों में कच्चे माल की कमी होने से इसका सीधा असर छोटे दवा उद्योगों पर पड़ता है।
यातायात बड़ी चुनौती
औद्योगिक क्षेत्र के विकास में रुकावट का सबसे बड़ा कारण है ट्रांसपोर्ट। किसी भी उद्योग के फलने फूलने के लिए सुगम यातायात बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। परिवहन के द्वारा ही कच्चा माल कारखानों तक पहुँच पाता है और कारखानों से उत्पाद ग्राहकों तक पहुँच पाते है। लेकिन खराब सड़कें और रेलवे का न होना उद्योगों के लिए सबसे बड़ी मुसीबत बनी हुई है। आधारभूत ढांचे की कमी से प्रदेश में नए निवेशक नहीं आ पा रहे हैं। आधारभूत ढांचे की कमी के चलते कई बड़े उद्योग हिमाचल से पलायन कर चुके हैं। कुछ उद्योगों ने उत्तराखंड में अपनी यूनिट स्थापित कर दी हैं।
बिना रेलवे चल रहा कंटेनर डिपो
बद्दी के मलपुर में 92 बीघा भूमि पर कंटेनर डिपो तैयार तो हो गया, लेकिन बिना रेलवे की सुविधा से ही यह कंटेनर डिपो चल रहा है। इस कंटनेर डिपो के लिए केंद्र सरकार की ओर से 14.42 करोड़ रुपये मुहैया करवाए थे, लेकिन कंटेनर डिपो का असल लाभ तो तभी मिल पाएगा, जब यह क्षेत्र रेलवे से जुड़ेगा।