हिमाचल की सड़को में नज़रें हटी दुर्घटना घटी
शिमला: हिमाचल में आपदा का दूसरा नाम है - सड़क दुर्घटना। एक दिन में औसतन के अनुसार तीन से चार लोगों की मौत सड़क हादसों में होती है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि पहाड़ी प्रदेश की सड़कों पर सुरक्षित चलना कितना चुनौती भरा है। पिछले कई वर्षों से यह देखने में आया है कि हादसों का शिकार होने वालों में ज्यादातर संख्या युवाओं की है। प्रदेश में सड़क सुरक्षा और बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए स्कूली स्तर पर बच्चे जागरूक होंगे, तभी वे युवावस्था में ज़िम्मेदारियों को सोच समझ कर सही फैसला ले सकेंगे। देखने में आया है कि लोग यातायात नियमों का पालन नहीं करते और हादसे का शिकार होते हैं। जिसके चलते दुर्घटना में उनकी मौत हो जाती है। ब्लैक स्पॉट यानी जहां हादसों की आशंका रहती है, उसे सुधारने की दिशा में उतनी तेजी से काम नहीं हो रहा, जितना अपेक्षित है।
प्रदेश में हादसे रोकने के लिए सभी पक्षों को सक्रिय भूमिका निभानी होगी। सभी को समझना होगा कि यातायात नियमों का पालन, अपनी सुरक्षा के लिए करें न कि चालान के डर से। आंकड़े बताते हैं कि प्रदेश में तीन हजार के करीब सड़क हादसे हर साल होते है। जिनमें 1000 के लगभग लोगों कि मौत सड़क कि दुर्घटनाओं से होती है। इससे यह कहा जा सकता है कि अगर पहाड़ी क्षेत्रों में रहना आसान है तो सड़कों पर सुरक्षित चलना उतना ही चुनौती भरा भी है। सरकार को जल्द ही हादसे से जुड़े पहलुओं पर जागरूकता की कमी, निगरानी की पुख्ता व्यवस्था न होना, खस्ताहाल सड़कें, दोषियों को सख्त सजा का प्रविधान न होना, तेजरफ्तार, अप्रशिक्षित चालक व वाहनों की फिटनेस एहतियात के लिए कदम उठाना चाहिए। जिससे इन हादसों से बचा जा सके।