काेराेना संकट के बीच दूसरे साल भी जारी है फीस वृ्द्धि के खिलाफ संघर्ष
काेराेना संकट के दौरान स्कूली बच्चों की फीसों में भारी वृद्धि के खिलाफ संघर्ष दूसरे साल भी जारी है। हिमाचल प्रदेश में जहां एक तरफ कोरोना कर्फ्यू ने लोगों कि आर्थिक स्थिति बिगाड़ दी है तो वहीं प्रदेश के निजी स्कूल अभिभावकों से मनचाही फीस वसूल उनकी जेब पर अतिरिक्त बोझ बढ़ा रहे है। सरकार ने प्राइवेट स्कूलाें की फीसाें पर कंट्राेल करने के लिए कानून बनाने का दावा तो किया था, लेकिन अब तक ये दावा हकीकत नहीं बन पाया है। इस मुद्दे पर कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दल चुप्पी साधे हुए है । प्रदेश में एकमात्र छात्र अभिभावक मंच पिछले साल यानी पहले दिन से ही ये जंग लड़ रहा है। मंच की ओर से अकेले ही सरकार और शिक्षा विभाग के खिलाफ संघर्ष जारी है।
छात्र अभिभावक मंच ने उच्चतर शिक्षा निदेशक से निजी स्कूलों द्वारा वर्ष 2020 व वर्ष 2021 में अभिभावकों का जनरल हाउस किये बगैर ही की गयी 15 से 50 प्रतिशत भारी फीस बढ़ोतरी को वापिस लेने की मांग की है। मंच ने कोरोना काल के इन दो वर्षों में की गई फीस वृद्धि को गैरकानूनी करार दिया है व इसे सम्माहित करने की मांग की है। मंच ने इस संदर्भ में तुरन्त अधिसूचना जारी करने की मांग की है। मंच ने प्रदेश सरकार को चेताया है कि निजी स्कूलों में बगैर जनरल हाउस की अनुमति के वर्ष 2020 व 2021 में की गयी भारी फीस बढ़ोतरी को अगर वापिस न लिया गया तो छात्र अभिभावक मंच आंदोलन तेज करेगा।
मंच के संयोजक विजेंदर मेहरा ने कहा कि अभिभावकों के निरंतर संघर्ष के बाद शिक्षा विभाग का दयानंद स्कूल के संदर्भ में जारी किया गया लिखित आदेश तभी मायने रखता है अगर शिक्षा अधिकारी 5 दिसम्बर 2019 के आदेश को अक्षरशः लागू करवाने में सफल होते हैं। उन्होंने कहा है कि ऐसा ही आदेश सभी निजी स्कूलों के लिए तुरंत जारी होना चाहिए ताकि भारी फीस पर लगाम लग सके। उन्होंने शिक्षा निदेशक से मांग की है कि वह तुरन्त सभी निजी स्कूलों में पांच दिसम्बर 2019 की शिक्षा निदेशालय की अधिसूचना को लागू करवाएं। यह अधिसूचना वर्ष 2019 में जारी हुई थी व इसमें स्पष्ट किया गया था कि वर्ष 2020 व उसके तत्पश्चात कोई भी निजी स्कूल अभिभावकों के जनरल हाउस के बगैर कोई भी फीस बढ़ोतरी नहीं कर सकता है। इसके बावजूद भी निजी स्कूलों ने वर्ष 2020 में भारी फीस बढ़ोतरी की। वर्ष 2021 में भी सारे नियम कायदों की धज्जियां उड़ाते हुए टयूशन फीस में भारी-भरकर बढ़ोतरी करके सीधे पन्द्रह से पचास प्रतिशत तक फीस बढ़ोतरी कर दी गयी।
20 हजार रुपए तक बढ़ा दी फीस: मेहरा
छात्र अभिभावक मंच के संयोजक विजेंदर मेहरा ने बताया कि पिछले दो वर्षों में शिमला शहर में निजी स्कूलों ने 12 हजार से 20 हज़ार रुपये तक की फीस बढ़ोतरी की है। इन स्कूलों ने बड़ी चालाकी से अब टयूशन फीस को भी कई गुणा बढ़ा दिया है व कुल फीस का मुख्य हिस्सा ही टयूशन फीस में बदल दिया है। अब कुल फीस का 80 से 90 प्रतिशत टयूशन फीस ही बना दिया गया है ताकि कोई ट्यूशन फीस के नाम पर फीस बढ़ोतरी पर प्रश्न चिन्ह न खड़ा कर सके। यह सीधी व संगठित लूट है तथा इसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। सरकार व शिक्षा विभाग की इस मामले पर खामोशी व निष्क्रियता कई सवाल खड़े कर रही है। उन्होंने कहा है कि पिछले दो वर्षों में हुई भारी फीस बढ़ोतरी पूर्णतः छात्र व अभिभावक विरोधी कदम है।
दो वर्षों में असहनीय फीस वृद्धि की निजी स्कूलों ने
विजेंद्र मेहरा ने कहा कि पिछले दो वर्षों में जो फीस बढ़ोतरी की गई है वो कोरोना काल में असहनीय है। स्कूल न चलने से निजी स्कूलों का बिजली,पानी,स्पोर्ट्स,कम्प्यूटर,वार्षिक कार्यक्रमों,स्कूल का रखरखाव,सफाई व्यवस्था,निर्माण व मिसलेनियस चार्जेज़ आदि पर खर्च लगभग शून्य हो गया है लेकिन इसके बावजूद भी हज़ारों रुपये की फीस बढ़ोतरी समझ से परे है। निजी स्कूलों के खर्चों की कटौती के कारण छात्रों की फीस लगभग पच्चीस प्रतिशत तक कम होनी चाहिए थी, परन्तु इन स्कूलों ने इसके विपरीत पन्द्रह से पचास प्रतिशत तक की फीस बढ़ोतरी कर दी। सरकार, निजी स्कूलों की मनमानी लूट व भारी फीसों को संचालित करने के लिए कानून बनाने व रेगुलेटरी कमीशन स्थापित करने के लिए लगातार आनाकानी कर रही है जिस से स्पष्ट है कि प्रदेश सरकार द्वारा ही निजी स्कूलों की मनमानी लूट को संगठित व पोषित किया जा रहा है।