चुनावी साल और स्मार्ट सिटी में पेयजल के लिए त्राहिमाम
पानी के लिए पहाड़ों की रानी शिमला में त्राहिमाम मचा है। शहर में कई -कई दिनों बाद पेयजल आपूर्ति हो रही है। शहर के लगभग सभी हिस्सों में 3 से 4 दिन बाद पानी आ रहा है, जबकि कई इलाकों में 6 से 7 दिन बाद पानी आ रहा है। आलम ये है कि जहाँ होटल कारोबारी पानी खरीद रहे है, वहीं मजबूरन लोग गंदा पानी पीने को विवश है। बावड़ियों में भी लोगों की कतारें लगी हैं। लोगों में सरकार के प्रति रोष है और सरकार के हाथ में आश्वासन देने के अलावा कुछ दिख नहीं रहा। कहने को तो शिमला स्मार्ट सिटी है लेकिन हकीकत ये है कि इस स्मार्ट सिटी में सरकार पेयजल तक मुहैया नहीं करवा पा रही। शहर के कई इलाकों में लोग गंदा पानी पीने को मजबूर हैं। मसलन राजधानी के विकासनगर में एक बाबड़ी से लोग पानी भर रहे हैं। यहां पर प्रशासन की तरफ से साफ लिखा गया है कि ये पानी पीने योग्य नहीं है लेकिन लोगों के सामने कोई विकल्प नहीं हैं और पानी भरने के लिए कतारें लगी हुई हैं। स्थानीय निवासी बता रहे हैं कि अब इसके सिवाए कोई चारा नहीं बचा है। शहर में हर साल गर्मियों के मौसम में इस तरह की स्थिति पैदा हो रही है लेकिन सरकार के पास लगता है इसका कोई स्थायी समाधान नहीं है। शहरवासी नगर निगम शिमला और शिमला जल प्रबंधन निगम से खासे नाराज हैं। उधर, नगर निगम इस मामले पर ज्यादा बोलने से बचता दिखा रहा है और बात शिमला जल प्रबंधन निगम पर डाल रहा है। चुनावी वर्ष में सत्तरूढ़ भाजपा के लिए ये स्थिति बेहतर नहीं कही जा सकती। उधर विपक्ष भी सरकार को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा। विपक्ष द्वारा सरकार के 24 घंटे पानी देने के वादे भी याद करवाए जा रहे है और वास्तु स्थिति का भी खूब बखान हो रहा है। सोशल मीडिया पर भी पेयजल किल्लत को लेकर सरकार की खूब किरकिरी हो रही है।
रोजाना 47 से 48 एमएलडी पानी की जरुरत
शहर में 35 हजार से ज्यादा उपभोक्ता है और हर रोज पानी देने के लिए शहर में 47 से 48 एमएलडी पानी की जरूरत पड़ती है। सोमवार को 36.3 एमएलडी पानी प्राप्त हुआ है। जबकि 10 जून को 36.04 एमएलडी, 11 जून को 36.31 और 12 जून को 32.01 एमएलडी पानी आया। गुम्मा और गिरी स्त्रोत से सबसे ज्यादा 42 एमएलडी पानी आता है लेकिन यहां से भी कम पानी आ रहा है। इसके अलावा कोटी बरांडी, चुरट, अश्वनी खड्ड और सयोग जैसे छोटे सोर्स से 9 एमएलडी पानी प्राप्त होता था लेकिन अब ये 2 से 3 एमएलडी पानी रह गया है।
जयराम सरकार पेयजल तक मुहैया करवाने में विफल : विक्रमादित्य
कांग्रेस विधायक विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि ग्रामीण इलाकों की महिलाएं पहले पीएम का आभार जताती हैं कि हर जगह नलके लगा दिए लेकिन उसके बाद कहती हैं कि पानी नहीं आता है, हर जगह केवल टूटियां ही नजर आती हैं। जल जीवन मिशन के तहत प्रदेश में हर जगह पाइपों के ढेर लगे हैं लेकिन इन पाइपों का कोई लेखा-जोखा नहीं है। प्रदेश के कई हिस्सों में पानी के लिए हाहाकार मचा है, सरकार उचित प्रबंध करने में विफल रही है। जबकि कांग्रेस की पूर्व सरकार ने शिमला शहर में पानी की आपूर्ति के लिए वर्ल्ड बैंक की मदद एक योजना शुरू की थी, जिस पर अभी काम चल रहा है।
कोशिश है सभी को बराबर मात्रा में पानी मिले
समर सीजन पीक पर है, तापमान में बढ़ौतरी और बारिश न होने के चलते पानी के स्त्रोत सूख रहे हैं, जिन सोर्स से पानी आ रहा है वहां पर भी कमी होने लगी है। 9 जून के बाद से शहर में वैकल्पिक दिनों में पानी दिया जा रहा है। 9 जून से तीसरे दिन पानी दिया जा रहा है लेकिन शनिवार को हल्की बारिश के साथ आए तूफान से चाबा में राज्य बिजली बोर्ड की एक बड़ी एचटी लाइन पर पेड़ गिर गया जिसके चलते आपूर्ति बाधित हुई। 24 घंटे बाद बिजली रिस्टोर हुई। अश्वनी खड्ड में लाइन टूट जाने से भी आपूर्ति बाधित हुई। इसी के चलते कुछ इलाकों में काफी दिनों बाद आपूर्ति हुई। कोशिश यही की जा रही है कि सभी को बराबर मात्रा में पानी उपलब्ध करवाया जाए। उम्मीद है कि कुछ दिनों में बारिश होगी तो स्थिति सामान्य हो जाएगी।
- आर.के.वर्मा, जनरल मैनेजर , शिमला जल प्रबंधन निगम