सदन में अब काैन बनेगी बागवानाें की आवाज़, बरागटा ने उठाया था अटल सरकार से सेब पर आयात शुल्क बढ़ाने का मामला
जयराम सरकार में मंत्री की कुर्सी न मिलने से भी संतुष्ट रहने वाले पूर्व मंत्री एवं चीफ व्हिप नरेंद्र सिंह बरागटा प्रदेश के सेब बागवानाें काे सदमा देकर दुनिया से चले गए। सत्ता में हाे या फिर विपक्ष में, स्व.बरागटा ने प्रदेश के बागवानाें की आवाज काे विधानसभा सदन से लेकर केंद्र सरकार तक बुलंद करने में काेई कमी नहीं छाेड़ी थी। हालांकि प्रदेश सरकार में हर बार गावानी मंत्री का पद हाेता है, लेकिन आज तक उनका दर्द समझने वाले काेई भी नेता नहीं दिखे। वर्तमान की जयराम सरकार में चीफ व्हिप के पद पर हाेने के बावजूद विधानसभा के हर सत्र में बागवानाें के हिताें की बात करते दिखे। सेब पर कमीशन हाे या फिर फसल बीमा कंपनियाें की ओर से भ्रष्टाचार, इन सभी एजेंडाें पर स्व. बरागटा ने सरकार के समक्ष ठाेक-बजा कर बागवानाें का पक्ष रखा। यहां तक कि देश की विभिन्न मंडियाें में बिकने वाले विदेशी सेब पर आयात शुल्क बढ़ाने का दम भी स्व.बरागटा रख चुके हैं। जो मंत्री या विधायक बागवानों के हितों के लिए हमेशा लड़ाई लड़ता रहा वह अचानक दुनिया से चला जाए ताे हर किसी की आंखे नम हाेना लाजिमी है। गाैरतलब है कि विदेशी सेब पर आयात शुल्क बढ़ाने के लिए नरेंद्र बरागटा ने तत्कालीन धूमल सरकार के समय पूर्व प्रधानमंत्री स्व.अटल बिहारी वाजपेयी से मामला उठाया था, ताकि प्रदेश के बागवानों को होने वाले नुकसान से बचाया जा सके। हर साल बरसात और बेमाैसमी बारिश और ओलावृष्टि के दाैरान बागवानाें की फसल नष्ट हाे जाती थी, ताे उस समय एक ही नेता सामने आता रहा वह सिर्फ नरेंद्र बरागटा। हाल ही में हुई बारिश और ओलावृष्टि के बाद स्व. बरागटा ने प्रदेश सरकार से मांग की थी कि वह तुरंत सेब क्षेत्रों में टीमें भेजे और बागवानों किसानों को तुरंत मुआवजा प्रदान करे। उन्होंने कहा था कि केवल आकलन करने से कुछ नहीं होगा क्योंकि पिछले साल हुए नुकसान पर भी सरकार केवल आकलन की करती रह गई थी।
हमेशा यही कहते थे मैं संगठन का सच्चा सिपाही हूं
स्व. बरागटा हमेशा यही कहते थे कि मैं संगठन का एक सच्चा सिपाही हूं। जयराम सरकार बनी ताे मंत्री की कुर्सी नहीं दी। उसके बाद सरकार ने उन्हें चीफ व्हिप नियुक्त किया गया। हालांकि पिछले साल जब मंत्रीमंडी विस्तार हुआ ताे उनका नाम कहीं पर भी नहीं आया। बावजूद इसके उन्हाेंने सरकार और संगठन के लिए बेहतरीन भूमिका निभाई। पूर्व की बात करें ताे नरेंद्र बरागटा तत्कालीन धूमल सरकार के दोनों कार्यकाल में बागवानी मंत्री रहे। पहले कार्यकाल में बागवानी राज्य मंत्री थे लेकिन उन्हें स्वतंत्र प्रभार सौंपा गया था। इसके बाद प्रेम कुमार धूमल की सरकार के दूसरे कार्यकाल में उन्हें कैबिनेट दर्जा दिया गया। बागवानी विभाग के अलावा तकनीकी शिक्षा विभाग का जिम्मा दिया गया था। उस समय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर राजीव बिंदल के त्यागपत्र देने के बाद स्वास्थ्य विभाग का जिम्मा भी उन्हें सौंपा गया था। वर्ष 1998 से 2000 तक रही सरकार में नरेंद्र बरागटा को बागवानी विभाग का राज्य मंत्री बनाया गया था।
राजधानी से किया था चुनावी जीत की सफर
पूर्व मंत्री नरेंद्र बरागटा की सक्रिय राजनीति में शुरुआत शिमला सीट से हुई थी। वर्ष 1998 में उन्होंने पहला चुनाव जीता था। उसके बाद उन्हें प्रदेश सरकार में मंत्री पद मिला। उसके बाद वह जुब्बल कोटखाई विधानसभा चुनाव से सियासत करते रहे। 2007 में जुब्बल कोटखाई विधानसभा क्षेत्र से दूसरा चुनाव जीते। पूर्व भाजपा सरकार में मंत्री बने। उसके बाद 2017 में तीसरी बार चुनाव जीतकर विधानसभा में लौटे थे और चीफ व्हिप का पद मिला। हालांकि चीफ व्हिप काे भभ कैबिनेट रैंक दिया गया है। स्व.बरागटा के राजनीति जीवन की बात करें ताे 1978 से 1982 तक युवा मोर्चा का दायित्व संभाला। उसके बाद 1983 से 1987 तक भाजपा जिला महामंत्री रहे। वे राजनीतिक क्षेत्र में आगे बढ़ते हुए 1993 से 1998 तक भाजपा किसान मोर्चा की कमान संभाली। इस दौरान फल उत्पादक संघ और एचपीएमसी बोर्ड में बागवानों का प्रतिनिधित्व करते रहे।
ठियोग-हाटकाेटी सड़क के लिए किया था सत्याग्रह
पूर्व मंत्री एवं चीफ व्हिप नरेंद्र बरागटा ने ठियोग-हाटकाेटी सड़क निर्माण में तेजी लाने के लिए सत्याग्रह आंदोलन शुरु किया था। हालांकि तत्कालीन धूमल सरकार ने इस सड़क का निर्माण करने के लिए चाइनिज कंपनी काे टेंडर दिया था, लेकिन 2012 में वीरभद्र सरकार बनते ही भारतीय कंपनी सीएंडसी कंपनी काे ठेका दे दिया था। काम में तेजी नहीं हाे रही थी, ताे नरेंद्र बरागटा उस वक्त पूर्व विधायक थे, ताे भाजपा कार्यकर्ताओ समेत स्थानीय जनता काे साथ लेकर जुब्बल-काेटखाई से शिमला तक सत्याग्रह आंदोलन शुरु किया था।