चंबा : आठ मार्च 1948 को चंबा रियासत का हिमाचल में हुआ था विलय
चंबा के अथक प्रयासों से पूरी हुई थी पहाड़ी राज्य बनाने की संकल्पना
मनीष ठाकुर। भरमौर
चंबा रियासत की स्थापना 550 ई. को अयोध्या से आए सूर्यवंशी राजा मारू ने की थी। मारू ने भरमौर (ब्रह्मपुर) को अपनी राजधानी बनाया था। आठ मार्च, 1948 को चंबा रियासत का भारतीय गणतंत्र के साथ विलय हुआ था। यही कारण है कि इस दिन को चंबा दिवस के तौर पर भी जाना जाता है। इसकी हिमाचल निर्माण में भी अहम भूमिका रही है। हिमाचल निर्माण के समय पंजाब के राजनेताओं का यह भरसक प्रयास था कि पूर्वी पंजाब की पहाड़ी रियासतों को पंजाब में मिला दिया जाए, किंतु चंबा के लोगों ने इसके विरुद्ध काफी आवाज उठाई थी। लोगों का तर्क था कि पहाड़ी क्षेत्रों का रहन-सहन, संस्कृति व भाषा आदि पंजाब से भिन्न है। अतः इसे अलग पहाड़ी राज्य बनाया जाना चाहिए।
भारत सरकार के रियासतों संबंधी मंत्रालय के सचिव वीपी मेनन ने अपनी पुस्तक भारतीय रियासतों के भारत में विलय की कहानी में इसका उल्लेख किया है। उल्लेखनीय है कि चंबा यदि पंजाब में चला जाता, तो हिमाचल प्रदेश का गठन आर्थिक रूप से व्यावहारिक न माना जाता। जिस तर्क का प्रयोग उस समय पंजाब के नेताओं द्वारा किया जा रहा था, उससे तो हिमाचल का गठन ही न हो पाता, लेकिन चंबा ने हिमाचल गठन के लिए अग्रणी भूमिका निभाई और सोलन में हुई सभा में प्रजामंडल के प्रतिनिधियों ने भाग लेकर हिमाचल गठन में योगदान दिया।
तीन जिला महासू, सिरमौर और मंडी पूर्वी छोर पर थे और चंबा जिला पश्चिमी छोर पर था। बीच में पंजाब का कांगड़ा जिला पड़ता था। यदि चंबा हिमाचल में विलय न करता, तो चंबा पंजाब के गुरदासपुर जिला का भाग बनता। उसकी वजह से जो महासू, सिरमौर व मंडी दूसरी तरफ थे, जो कि अपने अपने खर्चे खुद पूरे नहीं कर सकता था। ऐसे में हिमाचल का निर्माण हो पाना असंभव था। इसी बीच चंबा के हिमाचल में विलय के फैसले से ही हिमाचल प्रदेश के राज्य निर्माण का सपना साकार हो पाया था।