कुल्लू : व्यक्ति को और उसके परिवार को बर्वाद कर देता है नशीले पदार्थों का सेवन
आलाेक। कुल्लू
नशीले पदार्थों का सेवन व्यक्ति को और उसके परिवार को बर्वाद कर देता है। नशे से युवाओं को बचाने के लिये समाज के प्रत्येक व्यक्ति को आगे आकर अपनी सकारात्मक भूमिका का निर्वहन करना जरूरी हैै। मेडिकल साईंस में यह बात सामने आई है कि जिस परिवार में कोई व्यक्ति नशा करता है, तो उसकी भावी पीढ़ियां भी इससे अछूती नहीं रहती। इसलिए जरूरी है कि व्यक्ति अपनी आने वाली संतानों के भविष्य के बारे में सोचकर नशे की आदत से दूर रहे। यह बात उपायुक्त आशुतोष गर्ग ने नशामुक्त भारत अभियान के तहत जिला स्तरीय समिति की बैठक की अध्यक्षता करते हुए कही। आशुतोष गर्ग ने कहा कि व्यक्ति को नशे से बाहर निकालने के लिए जिला में नशामुक्ति केंद्र कार्य कर रहे हैं। क्षेत्रीय अस्पताल कुल्लू में अभी तक 6000 से अधिक ऐसे व्यक्तियों का पंजीकरण हो चुका है, जो किसी न किसी नशे में संलिप्त थे। इनमें बहुत से व्यक्तियों को नशे के गर्त से बाहर निकाला जा चुका है, जो एक सामान्य और प्रतिष्ठित जीवन यापन कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि नशामुक्ति केंद्र में नशेड़ी व्यक्ति को लाने में किसी प्रकार का संकोच नहीं किया जाना चाहिए। इस कार्य में परिवार के सदस्यों को भी सहयोग करने की आवश्यकता है। उन्होंने नशे के आदी व्यक्तियों के परिजनों की काउंसलिग की आवश्यकता पर भी बल दिया। इसके अलावा मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना से व्यक्ति अपने उद्यम स्थापित कर सकते हैं। नशे से बाहर निकले युवाओं को इन योजनाओं के बारे में जानकारी प्रदान करके उन्हें योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए। बैठक की कार्रवाई का संचालन करते हुए अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी प्रशांत सरकैक ने जिला में नशामुक्त भारत अभियान को व्यवहारिक तौर पर सफलता प्रदान करने के लिए एक कार्ययोजना का प्रारूप प्रस्तुत किया। कार्यनीति में पंचायत स्तर पर पारंपरिक खेलों का आयोजन करके अधिक से अधिक युवाओं को जोड़ा जाएगा।
इसके बाद खंड स्तर पर तथा जिला स्तर पर प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएंगी, ताकि युवाओं का खेलों के प्रति रूझान बढ़े और उनका ध्यान नशीले पदार्थों के सेवन की ओर आकर्षित न हो। नशेड़ी व्यक्ति के परिजनों की काउंसलिंग को कार्ययोजना में शामिल किया गया है। सबसे अधिक जानकारी नशेड़ी व्यक्ति की परिजनों को होती है और उनका दायित्व बनता है कि वह इस बात को छिपाने के बजाए व्यक्ति को नशे से बाहर निकालने में मदद करें। व्यक्ति को स्वयं सामने आकर बताना चाहिए कि वह नशे का आदी है और अब इससे निजात चाहता है। स्कूलों और कॉलेजों में अभियान के तहत नशे का सेवन करने वाले युवाओं का पता लगाकर उनकी काउंसलिंग व उपचार किया जाना भी कार्य योजना में शामिल किया गया है।
बैठक में अवगत करवाया गया कि ग्रामीण स्तर पर नुक्कड़ व नाटकों के माध्यम से लोगों को नशीले पदार्थों के प्रयोग के दुष्परिणामों का एक प्रभावी संदेश देने के प्रयास किये जाएंगे। गांवों में आयोजित होने वाले मेलों व त्यौहारों के दौरान इस प्रकार के संदेश अधिक व्यवहारिक होंगे। जिला में आयोजित होने वाले सभी प्रकार के खेल टूनामेन्टस् में नशीले पदार्थों के सेवन से बचने की जानकारी दी जाएगी। इसके लिये पोस्टर, बैनर लगाएं जाएंगे तथा पैम्फलेट वितरित किये जाएंगे। शिक्षण संस्थानों में तथा मेलों के अवसर पर उपायुक्त, एडीएम, एसडीएम, चिकित्सकों तथा समाज के अन्य प्रबुद्ध व्यक्तियों के संदेश प्रसारित किये जाएंगे। नशे से बाहर निकल चुके व्यक्तियों के साक्षात्कार व अनुभवों को सोशल मीडिया के माध्यम से दूसरे लोगों को जागरूक बनाने के लिए प्रसारित किया जाएगा।
एडीएम ने कहा कि सप्लाई चेन को तोड़ने के लिये ठोस कदम उठाए जाएंगे। जिला में सभी हॉट-स्पॉट का पता लगाकर सख्त कारवाई की जाएगी। नशीले पदार्थों की आपूर्ति करने वालों पर कड़ी नजर रखी जाएगी और इसमें स्थानीय लोगों के सहयोग की अपील की गई है। हॉट स्पॉट की नियमित पेट्रोलिंग पुलिस करेगी। भांग अथवा अफीम की खेती को नष्ट करने के लिये प्रभावी कदम उठाए जाएंगे। दवा विक्रेताओं को अपनी दुकानों में सीसीटीवी स्थापित करने को कहा गया है और किसी प्रकार के नशीले पदार्थों की विक्री करने पर सख्त कारवाई की जाएगी।