बिछ गई चुनावी चौसर, पहली चुनौती सही टिकट आवंटन
हिमाचल की ठंडी फिजाओं में चुनाव की गर्माहट आ गई है। प्रदेश में चुनावी चौसर बिछ गई है और शह -मात का सियासी खेल चरम पर है। 12 नवंबर को प्रदेश की 68 विधानसभा सीटों पर मतदान होगा और 8 दिसंबर को ये स्पष्ट हो जाएगा कि प्रदेश में सत्तासीन कौन होगा। सियासत शबाब पर है और राजनैतिक दलों में टिकट आवंटन पर माथापच्ची हो रही है, साथ ही दोनों प्रमुख दल बगावत साधने की कवायद में जुट गए है। एक तरफ जहां कांग्रेस की अधिकांश टिकटें लगभग तय है, वहीं भाजपा का चिंतन मंथन जारी है। आम आदमी पार्टी भी प्रत्याशियों की पहली सूची जारी कर चुकी है और सम्भवतः जल्द दूसरी सूची जारी हो। भाजपा जहां मिशन रिपीट की कवायद में है तो वहीं कांग्रेस सत्ता वापसी के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। इसी बीच आम आदमी पार्टी भी प्रदेश में अपने पैर जमाने की कोशिश कर रही है। अब जनता रिवाज़ बदलती है या तख़्त और ताज बदल देती है, ये देखना रोचक होगा।
जैसे-जैसे राजनैतिक दल टिकट तय करने की ओर बढ़ रहे है, वैसे ही बगावती सुर भी तेज़ हो गए है। कांग्रेस के 57 टिकटों पर सहमति बन चुकी है, मगर कुछ टिकटों पर अब तक कांग्रेस वेट एंड वाच वाली स्थिति में है। वहीं भाजपा के टिकट आवंटन की बात करें तो इस बार पार्टी ने टिकट आवंटन के लिए एक नया रास्ता निकाला है। पार्टी हर कार्यकर्त्ता के मत को प्राथमिकता दे रही है और टिकट के आवंटन से पहले पार्टी द्वारा कार्यकर्ताओं की राय जानने के लिए गुप्त मतदान भी करवाया गया। हालांकि आखरी फैसला भाजपा हाईकमान को ही लेना है। हिमाचल के चुनावी रण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद मोर्चा संभाला हुआ है। हिमाचल में प्रधानमंत्री ताबड़तोड़ रैलियां कर चुके हैं और पार्टी एक तरह से पीएम मोदी के नाम पर ही चुनाव लड़ रही है। अमित शाह और जेपी नड्डा भी पूरी तरह एक्टिव है। ऐसे में भाजपा द्वारा कई तरह के सरप्राइज तय है। उम्मीदवारों के ऐलान से पहले वोटिंग कराना भी इसी तरह का सरप्राइज रहा।
आम आदमी पार्टी टिकट की अपनी पहली सूची जारी कर चुकी है, मगर माना जा रहा है कि आगे की अधिकांश टिकटों के लिए पार्टी वेट एंड वाच की नीति अपना सकती है। सम्भवतः आप दोनों ही दलों के संभावित बागियों पर नज़र बनाये हुए है और आने वाले वक्त में दोनों ही दलों से रुष्ट जनाधार वाले नेताओं को पार्टी में शामिल करने की नीति पर आगे बढ़ सकती है। बहरहाल, किसकी बनेगी सरकार ये तो 9 दिसंबर को तय होगा पर हिमाचल प्रदेश में एक जोरदार चुनावी संग्राम तय है।
न्यूनतम बगावत ही जीत का मंत्र
जानकार मान कर चल रहे है कि जो भी राजनैतिक दल न्यूनतम अंतर्कलह और न्यूनतम बगावत सुनिश्चित करेगा , उसे लाभ मिल सकता है। सभी राजनैतिक दलों के रणनीतिकार अभी से संभावित बागियों को मनाने में जुटे हुए है। किसकी कवायद सफल होती है और किसकी नहीं, ये 29 अक्टूबर को नामांकन वापस लेने की अंतिम तिथि पर ही पता चलेगा। बहरहाल सभी का प्रयास ये ही है कि संभावित बागियों को नामांकन भरने से पहले ही मना लिया जाएं।
निर्दलीय चेहरों ने बधाई रोचकता
प्रदेश की कई सीटों पर कई उम्मीदवार निर्दलीय ही ताल ठोकते दिख रहे है। इनमे से कई को लेकर कभी भाजपा में जाने के कयास लगते है, तो कभी कांग्रेस या आप में। पर अब तक ऐसे कई चेहरे अकेले आगे बढ़ रहे है। इनकी मौजूदगी ने इस चुनाव को और रोचक बना दिया है। अगर ये निर्दलीय चुनाव लड़ते है तो कई सीटों के समीकरण बदल सकते है। मसलन गगरेट से चैतन्य शर्मा, जसवां परागपुर से कैप्टेन संजय पराशर जैसे कई नामो को लेकर लगातार कयासबाजी जारी है।