हाज़िरजवाबी, हास-परिहास और सादगी .. अटल जी का कोई सानी नहीं
वाकपटुता कहें या हाज़िरजवाबी कहें, ये ऐसा गुण है जो नेताओं को भीड़ से अलग खड़ा करता है। हिंदुस्तान की राजनीति में जब हाज़िरजवाबी की बात होती है तो दिवंगत अटल बिहारी वाजपेयी का जिक्र जरूरी हो जाता है। अटल बिहारी वाजपेयी की हाजिरजवाबी का हर कोई कायल था।
साल था 1996 का और लोकसभा में विश्वासमत पर चर्चा हो रही थी। माहौल गर्म था और चेहरों पर तनाव। तब बोलने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी खड़े हुए और कहा .. " सब कहते हैं वाजपेयी तो अच्छा है पर पार्टी ठीक नहीं है। तो बताइए कि अच्छे वाजपेयी का आपका क्या करने का इरादा है।" ठहाकों से लोकसभा गूंज उठी और माहौल हल्का हो गया। आज के दौर में ऐसी कल्पना भी मुश्किल है। उस वक्त वाजपेयी की 13 दिन की सरकार गिर गई लेकिन उनकी लोकप्रियता आसमान पर पहुंच चुकी थी।
अटल बिहारी वाजपेयी के पास हिंदी शब्दों का खजाना था और ये कहना भी अतिश्योक्ति नहीं है कि भाषा पर पकड़ रखने वाला उन जैसा नेता अभी तक कोई नहीं हुआ। शब्दों की शक्ति को वाजपेयी जानते थे और इसके इस्तेमाल से कभी सवाल पलट देते तो कभी सामने वाले को ठहाका लगाने पर मजबूर कर देते।
'मैं जानता हूँ कि पंडित जी रोज शीर्षासन करते हैं'
अटल बिहारी वाजपेयी 1957 में पहली बार सांसद बने थे। तब पंडित जवाहरलाल नेहरू प्रधानमंत्री हुआ करते थे और देश की सियासत में कांग्रेस का वर्चस्व था। उस दौर में अटल जी को संसद में बोलने का ज्यादा वक़्त नहीं मिलता था, लेकिन अपने बेहतरीन हिंदी से उन्होंने अपनी पहचान बना ली थी। उनकी भाषा के प्रशंसकों में खुद पंडित नेहरू भी शामिल थे।
एक बार संसद में पंडित नेहरू ने जनसंघ की आलोचना की तो जवाब में अटल जी ने कहा, "मैं जानता हूं कि पंडित जी रोज़ शीर्षासन करते हैं। वह शीर्षासन करें, मुझे कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन मेरी पार्टी की तस्वीर उल्टी न देखें।" इस बात पर पंडित नेहरू भी ठहाका मारकर हंस पड़े।
'पद और यात्रा'
अस्सी के दशक में इंदिरा गांधी देश की प्रधानमंत्री थी। तभी वाजपेयी उत्तर प्रदेश में दलितों पर अत्याचार की घटना को लेकर पदयात्रा कर रहे थे। वाजपेयी के मित्र अप्पा घटाटे ने उनसे पूछा, "वाजपेयी, ये पदयात्रा कब तक चलेगी?" जवाब मिला, "जब तक पद नहीं मिलता, यात्रा चलती रहेगी।"
'पांव हिलाकर भाषण देते हुए देखा है'
वाजपेयी जी अपने भाषण की लय बनाने के लिए अपने हाथों का खूब इस्तेमाल करते थे। इसको लेकर एकबार इंदिरा गांधी ने वाजपेयी जी से कहा कि आप भाषण देते में हाथ बहुत चलाते हैं। इस पर हाजिर जवाब अटल जी ने कहा कि तो क्या आपने किसी को पांव हिलाकर भाषण देते हुए देखा है?
'मुझे दहेज में पूरा पाकिस्तान चाहिए'
अटल जी प्रधानमंत्री थे और भारत -पाकिस्तान के बाच बस सेवा शुरू हुई थी। अटल जी खुद इस बस में बैठकर पाकिस्तान गए थे। पाकिस्तान में उनकी पत्रकार वार्ता हुई और
पाकिस्तान की एक महिला पत्रकार ने अटल जी से कहा -"आप कुंवारे हैं, मैं आपसे शादी करने के लिए तैयार हूं, लेकिन मुझे मुंह दिखाई में कश्मीर चाहिए।" इस पर अटल जी बोले "मैं भी शादी के लिए तैयार लेकिन मुझे दहेज में पूरा पाकिस्तान चाहिए। दे पाएंगी आप।" पत्रकार सन्न रह गईं।
'इस बारात के दूल्हा वीपी सिंह हैं'
सन 1984 में इंदिरा गांधी की मौत के बाद जब कांग्रेस को प्रचंड जीत मिली तो लालकृष्ण आडवाणी ने कहा कि ये लोकसभा नहीं, शोकसभा के चुनाव थे। कांग्रेस बेहद मज़बूत थी और अगले चुनाव में कांग्रेस को हराने के लिए गठबंधन ज़रूरी था। पर वीपी सिंह भाजपा से गठबंधन नहीं चाहते थे। फिर वक्त की नजाकत को समझते हुए और कुछ मध्यस्थों के समझाने पर सीटों के समझौते के लिए राज़ी हो गए।
चुनाव प्रचार के दौरान ही एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में, जिसमें वाजपेयी और वीपी सिंह दोनों मौजूद थे, पत्रकार विजय त्रिवेदी ने वाजपेयी से पूछा, "चुनावों के बाद अगर बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरती है तो क्या आप प्रधानमंत्री पद की ज़िम्मेदारी लेने को तैयार होंगे?" वाजपेयी मुस्कुराए और जवाब दिया, "इस बारात के दूल्हा वीपी सिंह हैं।"
'करेक्शन करने के लिए मार्जिन का इस्तेमाल'
1991 में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक वरिष्ठ पत्रकार ने वाजपेयी जी से पूछा, "सुना है वाजपेयी जी आज कल आप पार्टी में मार्जिनलाइज़ हो गए हैं, हाशिये पर आ गए हैं?"
पहले वाजपेयी ने सवाल अनसुना कर दिया, पर बार -बार वही सवाल पूछा गया तो वाजपेयी ने तब अपने ही अंदाज़ में जवाब दिया, "कभी-कभी करेक्शन करने के लिए मार्जिन का इस्तेमाल करना पड़ता है।"
'चुटकी तो एक हाथ से बजती है'
भारत में जब पाकिस्तानी आतंकवादी के कैंप बढ़ने लगे तो एक पत्रकार ने अटल जी से पूछा- ऐसा थोड़े है कि सारी गलती उन्हीं की है। कहीं तो आप भी गलत होंगे। ताली तो एक हाथ से नहीं बजती। इस पर बाजपेयी जी बोले ताली एक साथ से नहीं बजती, पर चुटकी तो बजती है। पाकिस्तान चुटकी बजा रहा है।
'पाकिस्तान के बिना हिंदुस्तान अधूरा है'
अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे और एक बार पाकिस्तान के एक प्रधानमंत्री ने बेहद आपत्तिजनक बयान दे दिया- 'कश्मीर के बिना पाकिस्तान अधूरा है।' पलट कर अटल जी का जवाब था-'पाकिस्तान के बिना हिंदुस्तान अधूरा है।' इशारा साफ था। अगले दिन ये बयान अखबारों की हैडलाइन था।
'एक पंडे का भाषण सुन लिया, इस दूसरे पंडे की बात भी सुन लीजिए'
एक बार उत्तर प्रदेश के मिर्ज़ापुर में जनसंघ और कांग्रेस की सभाएं थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री पंडित गोविंद वल्लभ पंत की सभा चार बजे होनी थी और उसी मैदान पर जनसंघ की सभा शाम 7 बजे तय थी। किन्तु गोविंद वल्लभ पंत चार बजे के बजाय, देरी से सात बजे पहुंचे। अब सवाल ये था कि किसकी सभा पहले हो। तब अपने कार्यकर्ताओं ने वाजपेयी ने कहा कि पहले पंत जी को करने दीजिए, इससे मुख्यमंत्री का सम्मान भी रह जाएगा और हमें उनका भाषण भी सुनने को मिल जाएगा, जिसका जवाब हम अपने भाषण में देंगे।
पंत की सभा ख़त्म हुई तो कई लोग उठकर जाने लगे। वाजपेयी ने माइक संभाला और बोले, "भाइयों आपने एक पंडे का भाषण सुन लिया है, अब इस दूसरे पंडे की बात भी सुन लीजिए। काशी के गंगा घाट पर जैसे पंडे होते हैं, वैसे ही चुनावी गंगा में नहाने-नहलाने के लिए पंडे भी अपनी बात सुनाने बैठते हैं। यानी जितने पंडे, उतने डंडे भी लग जाते हैं और डंडे पर फिर झंडे लग जाते हैं। चुनाव में जितने पंडे, उतने ही डंडे और वैसे ही झंडे।" वाजपेयी ने बोलना शुरू किया तो सभा में मौजूद एक आदमी अपनी जगह से नहीं हिला, विरोधी भी उन्हें सुनने के लिए रुक गए। ऐसी थी अटल बिहारी वाजपेयी की भाषण शैली।
'पांच मिनट में तो इंदिरा जी अपने बाल नहीं ठीक कर सकती'
कहते है एक बार प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जनसंघ से काफी नाराज हो गईं। उन्होंने स्टेटमेंट दिया, "जनसंघ जैसी पार्टी को तो मैं पांच मिनट में ठीक कर सकती हूं।" अटल जी तक तब बात पहुंची तो एक लंबी सांस लेकर वे बोले- "पांच मिनट में तो इंदिरा जी अपने बाल नहीं ठीक कर सकती, जनसंघ को क्या ठीक करेंगी।"
'मैं अविवाहित हूँ, लेकिन कुंवारा नहीं'
वाजपेयी ने ताउम्र शादी नहीं की थी। हालांकि मिसेज कौल प्रधानमंत्री आवास में उनके साथ रहीं लेकिन पत्नी की हैसियत से नहीं। प्रधानमंत्री प्रोटोकॉल के हिसाब-किताब में उनका नाम नहीं था। उस वक्त की राजनीति का स्तर समझिये कि कभी विरोधियों ने भी इस निजी मसले को राजनीति के मैदान में नहीं घसीटा। क्या आज के दौर में ऐसा मुमकिन है ?
शादी न करने के सवाल पर वाजपेयी जी का यह जवाब बड़ा चर्चित है। उन्होंने कहा था, "मैं अविवाहित हूं…लेकिन कुंवारा नहीं।"
एक पार्टी में एक महिला पत्रकार ने उनसे सीधे ही पूछ लिया, "वाजपेयी जी आप अब तक कुंवारे क्यों हैं?" जवाब मिला, "आदर्श पत्नी की खोज में." महिला पत्रकार ने फिर पूछा, "क्या वह मिली नहीं." वाजपेयी ने थोड़ा रुककर कहा, "मिली तो थी लेकिन उसे भी आदर्श पति की तलाश थी."
'कश्मीर जैसा मसला है'
एक बार एक पत्रकार वार्ता में एक पत्रकार ने वाजपेयी से पूछ लिया, "वाजपेयी जी, पाकिस्तान, कश्मीर और चीन की बात छोड़िए और ये बताइए कि मिसेज़ कौल का क्या मामला है?"
प्रेस कॉन्फ्रेंस में सन्नाटा छा गया और सब वाजपेयी को देखने लगे। वाजपेयी तो पर वाजपेयी थे, जवाब दिया, "कश्मीर जैसा मसला है।"
'बेनज़ीर को संदेश'
साल 1996 में हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी और वाजपेयी का नाम देश के अगले प्रधानमंत्री के तौर पर तय हो गया। प्रेस कांफ्रेंस में एक पत्रकार ने उनसे तत्कालीन पाकिस्तानी प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो से जुड़ा सवाल पूछा और कहा 'आज रात आप बेनजीर भुट्टो को क्या संदेश देना चाहेंगे?' इस पर वाजपेयी ने जवाब दिया -'अगर मैं कल सुबह बेनजीर को कोई संदेश दूं तो क्या कोई नुकसान है?'
'फल अच्छा है तो पेड़ बुरा कैसे'
एक बार लेखक खुशवंत सिंह ने कहा है कि- 'अटल बिहारी वाजपेयी अच्छे आदमी हैं लेकिन ग़लत पार्टी में हैं।'
ये सवाल जब वाजपेय से किया गया तो उन्होंने कहा, "सरदार खुशवंत सिंह जी की मैं बड़ी इज़्ज़त करता हूं। उनका लिखा पढ़ने में बड़ा आनंद आता है। उन्होंने जो मेरी तारीफ़ की है, उसके लिए मैं उन्हें शुक्रिया अदा करता हूं, लेकिन उनकी इस बात से मैं सहमत नहीं हूं कि मैं आदमी तो अच्छा हूं लेकिन ग़लत पार्टी में हूं। अगर मैं सचमुच में अच्छा आदमी हूं तो ग़लत पार्टी में कैसे हो सकता हूं और अगर ग़लत पार्टी में हूं तो अच्छा आदमी कैसे हो सकता हूं। अगर फल अच्छा है तो पेड़ ख़राब नहीं हो सकता। "
'कांग्रेस में तो मेरे और भी मित्र हैं, जो बच गए हैं'
बाबरी ढांचा ढहाए जाने पर एक बार अटल जी से वरिष्ठ पत्रकार रजत शर्मा ने सवाल पूछा, " ये भी कहा जा रहा है कि भाजपा के अपराध की सज़ा नरसिम्हा राव को दी जा रही है, क्योंकि उन्होंने ढांचा गिरने से बचाने में मुस्तैदी नहीं दिखाई।"
वाजपेयी ने कहा, "इसके लिए सिर्फ नरसिम्हा राव जी को सज़ा दी जाए ये बात मेरी समझ में तो नहीं आती। कारसेवक बेक़ाबू हो गए और ढांचा ढहा दिया गया। इसके लिए केवल नरसिम्हा राव को बलि चढ़ाना मुझे समझ नहीं आता। अगर बलि चढ़ना है तो कई औरों को भी बलि चढ़ना चाहिए।"
रजत शर्मा ने इसके बाद पूछा, "कहीं उन्हें आपकी मित्रता की सज़ा तो नहीं दी जा रही है इस बहाने से?" अटल तुरंत बोले, "नहीं, कांग्रेस में तो मेरे और भी मित्र हैं, जो बच गए हैं."
'आपकी बेटी बहुत शरारती है'
वाजपेयी ने गठबंधन सरकार चलाई और वो पहली बार था जब देश में किसी गठबंधन सरकार ने अपना कार्यकाल पूरा किया हो। पर इस सरकार को चलाने में मुश्किलें कम न थीं। जयललिता और ममता बनर्जी की रोज़ रोज़ की मांगें उनके लिए सिरदर्द थी। एक बार ममता बनर्जी नाराज हो गई। वाजपेयी ने जॉर्ज फर्नांडीज़ को ममता को मनाने के लिए कोलकाता भेजा। जॉर्ज शाम से पूरी रात तक इंतज़ार करते रहे पर ममता ने मुलाक़ात नहीं की। इसके बाद एक दिन अचानक प्रधानमंत्री वाजपेयी ममता के घर पहुंच गए। उस दिन ममता कोलकाता में नहीं थीं। वाजपेयी ने ममता के घर पर उनकी मां के पैर छू लिए और उनसे कहा, "आपकी बेटी बहुत शरारती है, बहुत तंग करती है।" कहते हैं कि इसके बाद ममता का ग़ुस्सा मिनटों में उतर गया।
(पत्रकार विजय त्रिवेदी की अटल बिहारी वाजपेयी पर लिखी किताब 'हार नहीं मानूंगा: एक अटल जीवन गाथा' से कई किस्से लिए गए हैं।)