ऐसी थी अटल की प्रेम कहानी
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ये बात उस वक्त की है जब महात्मा गांधी के नेतृत्व में अंग्रेजों के खिलाफ भारत छोड़ो आंदोलन चल रहा था। 9 अगस्त को आंदोलन शुरू हुआ। उस वक्त अटल बिहारी वाजपेयी18 साल के थे। ग्वालियर के विक्टोरिया कॉलेज से बी ऐ की पढ़ाई के साथ वो आरएसएस के सक्रिय सदस्य थे। उनकी जिंदगी में इस वक्त एक साथ दो चीजें हुईं। पहली, आंदोलन के वक्त अटल पर क्रांतिकारियों के खिलाफ गवाही देने के आरोप लगे। दूसरी, उनका दिल कॉलेज में साथ पढ़ने वाली राजकुमारी कौल पर आ गया।
'अटल और राजकुमारी एक ही कॉलेज में पढ़ते थे। अटल को राजकुमारी अच्छी लगने लगीं। वो भी उन्हें पसंद करती थीं। ये ऐसा दौर था जब लड़के और लड़कियों की दोस्ती को स्वीकार नहीं किया जाता था। इसलिए ये दोनों भी अपने प्यार का खुल कर इजहार करने से डरते थे।''जैसे-जैसे दिन बीते दोनों में इशारों में बातचीत होने लगी, लेकिन प्रेम का इजहार अब तक किसी ने नहीं किया था। कलम के सिपाही रहे अटल ने एक दिन हिम्मत जुटाई और पन्ने पर अपने दिल का हाल लिख डाला। कॉलेज की लाइब्रेरी में एक किताब के अंदर राजकुमारी के लिए वो लव लेटर रख दिया। राजकुमारी ने वो लेटर पढ़ा, लेकिन अटल को उसका कोई जवाब नहीं मिल सका। अटल बहुत निराश हुए।
कहा जाता है कि राजकुमारी ने अटल से शादी करने की बात अपने परिवार से की थी, लेकिन उनके परिवार ने शिंदे की छावनी में रहने वाले और आरएसएस की शाखा में रोज जाने वाले अटल को अपनी बेटी के लायक नहीं समझा। राजकुमारी भी अपने परिवार के खिलाफ नहीं जा सकीं। परिवार ने दिल्ली के रामजस कॉलेज में दर्शन शास्त्र पढ़ाने वाले ब्रज नारायण कौल से उनकी शादी कर दी। राजकुमारी ने तो शादी करके अपना घर बसा लिया था, लेकिन अटल ने कभी शादी नहीं की। राजकुमारी ने अपना परिवार चुना तो अटल ने देश के लिए अपनी जिंदगी समर्पित करने का फैसला किया।
अटल के परिवारवाले उनकी शादी की बात कर रहे थे तो वो दोस्त के घर जाकर छिप गए थे। अटल ने खुद को तीन दिन तक दोस्त के घर कमरे में बंद रखा। अटल को लगता था कि उनकी शादी से देश की सेवा करने में रुकावट आ जाएगी। इसलिए वो शादी नहीं करना चाहते थे। वक्त बीता। अटल और राजकुमारी अपनी जिंदगियों में आगे बढ़ चुके थे, लेकिन उनकी ये लव स्टोरी यहीं खत्म नहीं हुई। राजकुमारी शादी के बाद अपने पति ब्रज नारायण कौल के साथ दिल्ली चली आईं। साल 1957 में लोकसभा चुनाव हुए। अटल जनसंघ पार्टी के टिकट पर पहली बार संसद पहुंचे। जिस रामजस कॉलेज में ब्रज पढ़ाते थे, वहां अटल को भाषण देने के लिए अनुरोध किया गया। अटल का भाषण सुनने राजकुमारी भी कॉलेज आईं थीं। यहीं अटल की 15 साल बाद उनसे दोबारा मुलाकात हुई।
अटल अक्सर राजकुमारी से मिलने उनके घर जाया करते थे। बाद में जब वो प्रधानमंत्री बने और उन्हें दिल्ली में बड़ा सरकारी घर मिला तो राजकुमारी, उनके पति और दो बेटियां अटल के घर में शिफ्ट हो गए। घर में सबके अपने-अपने शयनकक्ष हुआ करते थे। हिंदुस्तान की राजनीति में शायद पहले कभी नहीं हुआ होगा कि प्रधानमंत्री के सरकारी आवास में ऐसी शख्सियत रह रही हो जिसे प्रोटोकॉल में कोई जगह न दी गई हो, लेकिन उसकी उपस्थिति सबको मंजूर हो। अटल और राजकुमारी का रिश्ता इतना पवित्र था कि किसी भी विपक्षी पार्टी ने इस पर कभी सवाल नहीं उठाया।