'मोदी फैक्टर' के सहारे 'मिशन रिपीट' पर निकली भाजपा
हिमाचल प्रदेश में भाजपा के मिशन रिपीट की कमान खुद पीएम मोदी ने संभाल ली है। यूँ तो भाजपा हर चुनाव को गंभीरता से लेती है, लेकिन तीन सप्ताह में पीएम के तीन दौरे इस बात की तस्दीक करते है कि भाजपा हिमाचल प्रदेश में सियासी रिवाज बदलकर इतिहास रचना चाहती है। पहले मंडी में प्रधानमंत्री का कार्यक्रम रखा गया, फिर बिलासपुर /कुल्लू और अब प्रधानमंत्री चम्बा आ रहे है। ज़ाहिर है भाजपा की रणनीति मोदी मैजिक के सहारे चुनाव जीतने की है। पर असल सवाल ये है कि क्या मोदी मैजिक के आगे प्रदेश के अन्य मुद्दे गौण हो जायेंगे। बहरहाल ये तो वक्त ही बताएगा, पर फिलवक्त भाजपा प्रदेश में माहौल बनाने में जरूर कामयाब हुई है और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ना तय है।
ग्राउंड रियलिटी की बात करें तो चुनावी वर्ष में बेरोजगारी, महंगाई, ओपीएस जैसे मामलों पर दिख रही जनता की नाराज़गी ने प्रदेश में भाजपा की चिंता जरूर बढ़ाई है। विपक्ष इन्हें भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। हर पांच साल बाद सत्ता परिवर्तन का सियासी रिवाज़ बदलने की भाजपा की कोशिश तो पूरी है ,मगर सरकार को लेकर जनता के बीच संभावित एंटी इंकम्बेंसी को खत्म कर पाने का तोड़ अब तक भाजपा के पास नहीं दिख रहा। इस पर प्रदेश भाजपा की गुटबाजी और उपचुनाव का कड़वा अनुभव भी भाजपा को सोचने पर मजबूर जरूर कर रहा है। जाहिर है ऐसे में हिमाचल में पार्टी की सबसे बड़ी उम्मीद खुद पीएम मोदी है। इसीलिए मिशन रिपीट के लिए भाजपा 'मोदी नाम' को ही सबसे बड़ा हथियार बना रही है।
पीएम मोदी के प्रभाव की बात करें तो हिमाचल प्रदेश में हुए बीते दो लोकसभा चुनाव में मोदी फैक्टर जमकर चला है। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने क्लीन स्वीप किया। इसमें कोई संदेह नहीं है कि प्रदेश की जनता ने लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार से अधिक तवज्जो पीएम फेस मोदी को दी। केंद्र में मोदी सरकार के गठन के बाद हुए 2017 के विधानसभा चुनाव में भी भाजपा 44 सीटों पर जीत दर्ज कर सरकार बनाने में कामयाब रही। हालांकि तब फतेहपुर और पालमपुर सहित चंद निर्वाचन क्षेत्र ऐसे भी थे जहाँ पीएम मोदी की रैली के बावजूद भाजपा हारी। ऐसे में क्या इस विधानसभा चुनाव में भी मोदी फैक्टर अचूक साबित होगा, इसको लेकर सबकी अपनी-अपनी राय है। बहरहाल भाजपा पीएम मोदी के फेस के सहारे रिवाज बदलने की कोशिश में है।
तो कांग्रेस को मुश्किल होगी !
एक के बाद एक कई कांग्रेसी दिग्ग्गज अब भाजपाई हो चुके है और जानकारों की माने तो ये सिलिसला अभी थमता नहीं दिख रहा। यदि कांग्रेस इस पर विराम नहीं लगा पाई तो उसकी सत्ता वापसी मुश्किल होगी।