कसुम्पटी में नए चेहरे पर दांव खेल सकती है भाजपा
कसुम्पटी निर्वाचन हलके में पिछले चार चुनाव लगातार हार चुकी भाजपा की राह इस बार भी मुश्किल दिख रही है। दरअसल रूप दास कश्यप के बाद इस सीट पर भाजपा को कोई ऐसा नेता नहीं मिला जो विजय दिलवा सके। एक दमदार नेता की भाजपा की खोज कहाँ जाकर खत्म होती है, ये देखना रोचक होगा। रूप दास कश्यप के बाद भाजपा ने इस सीट पर तरसेम भारती, प्रेम ठाकुर और विजय ज्योति सेन को आजमाया, लेकिन ये सभी नेता विफल रहे। अब एक बार फिर विधानसभा चुनाव दस्तक दे चुके है और भाजपा प्रत्यशी कौन होगा, इसे लेकर अटकलें जारी है। जानकारों की माने तो इस सीट पर पार्टी किसी नए चेहरे को उतारने की तैयारी में है।
अतीत पर निगाह डाले तो 2017 में भाजपा टिकट पर चुनाव लड़ने वाली विजय ज्योति सेन करीब साढ़े नौ हज़ार वोट से चुनाव हारी थी। गौर करने वाली बात ये है की उस चुनाव में सीपीआईएम प्रत्याशी ने साढ़े चार हज़ार से ज्यादा वोट लिए थे, फिर भी विजय ज्योति को कांग्रेस प्रत्याशी अनिरुद्ध सिंह से करारी शिकस्त मिली। 2012 में भाजपा ने प्रेम सिंह को टिकट दिया था लेकिन वे भी करीब दस हज़ार वोट से हारे। तब विजय ज्योति निर्दलीय चुनाव लड़ी थी और करीब साढ़े छ हज़ार वोट लेने में कामयाब हुई थी। 2007 में भाजपा ने तरसेम भारती को टिकट दिया था जो करीब सात हज़ार वोट से हारे थे। तब पार्टी के बागी रूपदास कश्यप दस हज़ार वोट ले गए थे, जो भाजपा की हार का मुख्य कारण बना। वहीं 2003 में रूपदास कश्यप करीब साढ़े तीन हज़ार वोट से हारे थे।
अब चुनाव दस्तक दे चुके है और भाजपा का प्रत्याशी कौन होगा इसके लेकर अटकलों का बाज़ार गर्म है। पिछले चुनाव में पार्टी प्रत्याशी रही विजय ज्योति सेन मैदान में डटी है। उनके अतिरिक्त पृथ्वी विक्रम सेन, प्रेम ठाकुर, नरेश चौहान, राकेश शर्मा सहित कई दावेदार तो चर्चा में है ही, एक नाम और है जो भाजपा टिकट की दौड़ में शामिल है। ये दावेदार है भाजपा प्रदेश कार्यसमिति सदस्य केशव चौहान। राज्य सहकारी कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक के इलेक्टेड डायरेक्टर केशव चौहान को सीएम जयराम ठाकुर की गुडबुक्स में माना जाता है। माहिर मानते है कि चौहान की जमीनी पकड़ को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता और वे भी भाजपा टिकट के प्रमुख दावेदार है। बतौर समाजसेवी चौहान लम्बे समय तक क्षेत्र में सक्रिय है और इसका लाभ उन्हें मिल सकता है। बहरहाल इन सभी दावेदारों के अलावा भी कई और नाम है और जाहिर है टिकट किसी एक को मिलना है। उधर भाजपा के लिए सबसे जरूरी ये है कि मैदान में कोई बागी उम्मीदवार न हो।