शिक्षक ने की सेवा, भाजपा को मिला 'मेवा', अब भाजपाइयों में रंज, नया गुल खिला सकता है़ भोरंज
हिमाचल प्रदेश की राजनीति में इस विधानसभा क्षेत्र की अहमियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस विधानसभा क्षेत्र के विधायक को गुरुजी के नाम से जाना जाता रहा है। एक शिक्षक ने लंबे समय तक इस विधानसभा क्षेत्र की सेवा की जिसका मेवा भाजपा को मिला। अध्यापन से राजनीति में आए ईश्वर दास धीमान यहां से लगातार छह बार विधायक रहे और दो बार प्रदेश के शिक्षा मंत्री भी रहे। बेशक वर्ष 2008 में विधानसभा पुनसीमांकन के बाद इस विधानसभा क्षेत्र का नाम भोरंज हो गया, लेकिन भाजपा का सिक्का यहां चलता रहा। ईश्वर दास धीमान की मृत्यु के बाद उनके बेटे डॉ अनिल धीमान को उपचुनाव में पार्टी का चेहरा बनाया तो लगा कि बेटे को बाप की राजनीतिक विरासत सौंप दी गई है और अगली राजनीतिक पारी डॉ अनिल धीमान खेलेंगे। बेशक डॉ अनिल धीमान ने कांग्रेस सरकार के रहते हुए उपचुनाव जीतकर भाजपा की जीत की परंपरा को आगे बढ़ाया लेकिन 2017 के विधानसभा चुनाव में विधायक होते हुए भी उनका टिकट काटकर भाजपा ने कमलेश कुमारी को दे दिया। भाजपा ने कमलेश कुमारी को उप मुख्य सचेतक बनाकर उनकी राहें मजबूत करने की कोशिश की लेकिन दूसरी ओर डॉक्टर अनिल धीमान और उनके समर्थक खोई हुई राजनीतिक जमीन को पाने के लिए मैदान में डटे रहे। अब जबकि हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव को महज 6 महीने से भी कम का समय बचा है डॉ अनिल धीमान ने सार्वजनिक मंच से यह घोषणा कर दी है कि अगर भाजपा ने उनको टिकट नहीं दिया तो वह निर्दलीय मैदान में उतरेंगे। डॉ अनिल धीमान के यह बगावती तेवर भाजपा के लिए मुसीबत का सबब बन गए हैं। धीमान परिवार का इस विधानसभा क्षेत्र में कई दशकों से गहरा प्रभाव रहा है और इस बात में कोई शक नहीं है कि अगर डॉक्टर अनिल धीमान निर्दलीय मैदान में उतरते हैं तो वह भाजपा का खेल बिगाड़ सकते हैं। कहा तो यह भी जा रहा है कि आम आदमी पार्टी भी डॉक्टर धीमान के लिए एक विकल्प हो सकती है।
पिछले चुनाव में कट चुका है सिटिंग विधायक का टिकट
कभी मेवा विस क्षेत्र के नाम से मशहूर रही भोरंज सीट भाजपा के लिए सच में मेवा ही रही है। इस सीट से मिली ताकत का असर बमसन, नादौन और हमीरपुर सीटों पर दिखता था। जब तक आईडी धीमान जीवित रहे भोरंज में भाजपा के लिए सब ठीक था। उनकी मृत्यु के बाद उनके बेटे अनिल धीमान को उपचुनावों में टिकट मिला और कांग्रेस सरकार होते हुए भी वह सीट निकाल गए। 2017 क़े चुनाव में भाजपा ने सिटिंग एमएलए डॉक्टर धीमान का टिकट काटकर कमलेश कुमारी को दे दिया। डॉक्टर धीमान हाशिए पर चले गए लेकिन उनके साथ जुड़े समर्थक सक्रिय रहे। भोरंज में स्थिति यह है कि डॉक्टर धीमान भाजपा टिकट के प्रबल दावेदार हैं और टिकट न मिलने पर समर्थकों के दबाव में आजाद चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुके हैं।