शिमला संसदीय क्षेत्र में हाटी फैक्टर से भाजपा को रहेगी उम्मीद
देर से ही सही मगर भाजपा ने अपना वादा पूरा कर दिखाया है। प्रदेश के हाटी समुदाय के लोगों को जनजातीय दर्जा मिल गया है। राजयसभा में हाटी जनजातीय संशोधन बिल पास हो चूका है अब महज़ राष्ट्रपति की मंज़ूरी बाकि है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हस्ताक्षर के बाद सिरमौर जिले के चार विधानसभा क्षेत्रों की 154 पंचायतों के दो लाख लोगों को उनका जनजातीय सांविधानिक अधिकार मिल जाएगा। हाटी समुदाय की जनजातीय दर्जे की ये मांग बरसो पुरानी है। दरअसल पूर्व में उत्तराखंड का जौनसार बावर क्षेत्र सिरमौर रियासत का ही एक भाग था। जौनसार बावर को 1967 में ही केंद्र सरकार ने जनजाति का दर्जा दे दिया था जबकि गिरिपार का हाटी समुदाय 1978 से अपनी मांगों को लेकर संघर्षरत रहे है। कई सरकारे आई और कई गई मगर हाटी समुदाय को सिर्फ आश्वासन ही मिलता रहा। अब लम्बे इंतज़ार के बाद उनकी ये मांग पूरी हो पाई है।
बता दें की 2022 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले केंद्रीय कैबिनेट ने गिरिपार के हाटी समुदाय को जनजातीय दर्जा देने का एलान किया था। इसके बाद हाटी समुदाय में बेहद ख़ुशी थी और भाजपा को उम्मीद थी की इस वादे का खूब लाभ चुनाव में उन्हें मिलेगा। तय ज़रूर हुआ मगर चुनाव से पहले ये वादा पूरा नहीं हो पाया और लाभ की जगह अधूरे वादे का खामियाज़ा भाजपा को भुगतना पड़ा। सिरमौर जिले की 5 में से तीन सीटों पर भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। पार्टी को सिर्फ पांवटा साहिब और पच्छाद विधानसभा सीट पर जीत मिली जबकि नाहन, शिलाई, रेणुका जी सीट पर कोंग्रेस ने बाज़ी मारी। परिस्थितियां ऐसी बनी की पार्टी के वरिष्ठ नेता राजीव कुमार बिंदल भी चुनाव हार गए। हालांकि अब हाटी समुदाय से किया गया वादा भाजपा पूरा कर चुकी है तो लाज़मी है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को इसका लाभ ज़रूर मिल सकता है। हाटी समुदाय के लोगों को जनजातीय दर्जा मिलने से शिमला संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले पच्छाद की 33 पंचायतों और एक नगर पंचायत के 141 गांवों के लोगों को लाभ होगा। रेणुका जी में 44 पंचायतों के 122 गांवों के लोगों को लाभ होगा। शिलाई विधानसभा क्षेत्र में 58 पंचायतों के 95 गांवों केलोग इसमें शामिल होंगे। पांवटा में 18 पंचायतों के 31 गांवों के लोग इसमें शामिल होंगे। जिला सिरमौर के अलावा भी शिमला सांसदीय क्षेत्र के कई हिस्सों में हाटी समुदाय के लोग रहते है। ऐसे में जनजातीय दर्जा मिलने के बाद शिमला सांसदीय क्षेत्र कि कई विधानसभा सीटों पर इसका सीधा इम्पैक्ट पड़ सकता है।
वर्तमान में शिमला संसदीय क्षेत्र से सुरेश कश्यप सांसद है और अब 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए भी सुरेश कश्यप हाटी बिल पास होने का क्रेडिट ज़रूर लेना चाहेंगे। अब तक कई सरकारें आई और गई, लेकिन हाटी समुदाय को कोई भी सरकार जनजातीय दर्जा नहीं दिला पाई। जाहिर है ऐसे में भाजपा इस निर्णय का लाभ उठाने में कोई कसर नहीं छोड़ने वाली। हालांकि इस क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी कोण hoga ये अब तक स्पष्ट नहीं है।
गिरिपार क्षेत्र को जनजातीय दर्जा तो मिल चूका है लेकिन एक वर्ग ऐसा भी रहा है जो इस फैसले के हक़ में नहीं था। दरअसल गिरिपार क्षेत्र के अनुसूचित जाति (एससी) के लोगों को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा नहीं दिया जा रहा था। इस वर्ग के लोग इसके पक्ष में नहीं थे। एसटी में हाटी समुदाय के अन्य सभी लोग शामिल होंगे। एसटी दर्जे से सिरमौर जिले की 154 पंचायतें और 389 गांव कवर होंगे। इससे 1,59,716 लोग लाभान्वित होंगे, जबकि जिले के एससी के 90,446 लोग एसटी के दायरे में नहीं आएंगे। अब अगर अनुसूचित जाति के लोगों की नाराज़गी लोकसभा चुनाव में भी दिखती है तो जाहिर है कुछ हद तक इसका खामियाज़ा भी भाजपा को भुगतना पड़ सकता है।