भाजपा का "Failed Experiment" - सीटें बदलीं, समीकरण बिगड़े, और हार गई पार्टी

भारतीय जनता पार्टी को राजनीति में अपने 'एक्सपेरिमेंट्स' के लिए जाना जाता है। कभी चेहरे बदलना, कभी क्षेत्रों की अदला-बदली, तो कभी नई रणनीति से पुराने समीकरणों को तोड़ने की कोशिश — पार्टी अक्सर नए फैसले लेती है। ये फैसले कभी-कभी तो मास्टरस्ट्रोक साबित होते हैं, लेकिन कभी पूरी तरह बैकफायर कर जाते हैं।
हिमाचल प्रदेश, साल 2022, विधानसभा चुनाव से ठीक पहले बीजेपी ने कुछ ऐसा ही बड़ा प्रयोग किया था जो पार्टी को बहुत भारी पड़ा। पार्टी ने अपने चार वरिष्ठ नेताओं की सीटें बदल दीं — और उनमें से दो तो मंत्री थे।
सुरेश भारद्वाज, जो शिमला शहरी से लगातार जीतते आ रहे थे, उन्हें अचानक कसुम्पटी भेजा गया। राकेश पठानिया, नूरपुर छोड़कर फतेहपुर भेज दिए गए। रमेश चंद धवला, जिनकी पहचान ज्वालामुखी से थी, उन्हें देहरा में उतारा गया। और रविंदर रवि, जिन्हें आखिरकार टिकट तो मिला, लेकिन उनकी पारंपरिक सीट नहीं — उन्हें ज्वालामुखी भेजा गया। बीजेपी का यह दांव बुरी तरह फेल हुआ। चारों नेता चुनाव हार गए।