जुब्बल कोटखाई : चेतन के आने से भाजपा में आई चेतना
पूर्व मुख्यमंत्री ठाकुर रामलाल का अभेद किला रही जुब्बल कोटखाई सीट पर पिछले पांच चुनाव में कांग्रेस व भाजपा दोनों को जनता ने बराबर का प्यार दिया है। 2003 के विधानसभा चुनाव में ठाकुर रामलाल के पोते रोहित ठाकुर जीते, तो 2007 में पूर्व बागवानी मंत्री रहे नरेंद्र बरागटा ने इस सीट पर कब्ज़ा किया। 2012 के विधानसभा चुनाव में फिर जनता ने कांग्रेस के रोहित ठाकुर को जुब्बल कोटखाई की सीट पर विजय बनाया। जबकि 2017 के विधानसभा चुनाव में नरेंद्र बरागटा ने जीत हासिल की। नरेंद्र बरागटा के निधन के बाद अक्टूबर 2021 में हुए उपचुनाव में रोहित ठाकुर को फिर जीत मिली। अब 2022 के विधानसभा चुनाव में भी ये सिलसिला बरकरार रहता है या नहीं, ये देखना रोचक होगा। वर्तमान स्थिति की बात करें तो कांग्रेस से रोहित ठाकुर मैदान में है और चेतन बरागटा भी भाजपा में वापसी कर चुके है। भाजपा ने वापसी के बाद चेतन पर ही दांव खेला है। इस बार माकपा से विशाल शांगटा भी मैदान में है। इसके अलावा आम आदमी पार्टी ने श्रीकांत चौहान को मैदान में उतारा है।
पिछली बार की तरह इस बार भी चेतन बरागटा अपने पिता स्वर्गीय नरेंद्र बरागटा के दिखाए रास्ते पर आगे बढ़ते हुए सेब और बागवान हित के मुद्दे पर चुनाव लड़ रहे है। चेतन जनता के बीच जा कर बागवानी और बागवानों के हितों की बात कह रहे है। निसंदेह चेतन के आने से भाजपा में भी चेतना लौट आई है और पिछले चुनाव में जमानत जब्त करवाने के बाद पार्टी में टोटल मेकओवर दिखा है। चेतन को लेकर कोई विरोध नहीं दिखता और ये तय है कि इस बार मुकाबला कांटे का होगा। उधर रोहित ठाकुर फिर जीत को लेकर आश्वस्त है लेकिन माकपा ने विशाल शांगटा को मैदान में उतार कर इस चुनाव को रोचक कर दिया है। यदि प्रदेश सरकार से खफा वोट में शांगटा सेंध लगाते है तो रोहित की मुश्किलें बढ़ सकती है। बहरहाल जुब्बल कोटखाई का चुनाव बेहद रोचक होता दिख रहा है। इस कांटे के मुकाबले में कौन जीतता है ये तो आठ दिसंबर को तय होगा लेकिन नतीजा जो भी हो चेतन की भाजपा में रंग जरूर लाएगी।