'दिनेश' ने डाल दिया भाजपा में क्लेश....वायरल चिट्ठी से हिमाचल भाजपा का सियासी पारा चढ़ा !

'दिनेश शर्मा' कौन है, पता नहीं... लेकिन हिमाचल के सियासी गलियारों में फिलहाल ट्रेंड तो यही जनाब कर रहे हैं। दरअसल, इसी नाम से खुद को शिमला संसदीय क्षेत्र से भाजपा कार्यकर्ता बताने वाले एक शख्स ने एक चिट्ठी लिखी है — सीधे प्रधानमंत्री को — और निशाना साधा है भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल पर। इस शख्स ने बिंदल को भाजपा की भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में एक बड़ी बाधा बताया है। अब ये किसी कार्यकर्ता की भड़ास है, किसी की शरारत या बिंदल के खिलाफ कोई साज़िश... पता नहीं... लेकिन अनचाहे कारणों से बिंदल एक बार फिर चर्चा में हैं। और वो भी तब, जब भाजपा को नया प्रदेश अध्यक्ष मिलना है और बिंदल के दोबारा चुने जाने की सुगबुगाहट है। यही वजह है कि बिंदल समर्थकों को इसमें राजनीतिक साज़िश की बू आ रही है।
बहरहाल, भाजपा में खलबली मची है और कांग्रेस कार्यकर्ता जमकर चुटकी ले रहे हैं। इस पत्र के सार्वजनिक होते ही विपक्ष ने भाजपा पर हमला तेज़ कर दिया। कांग्रेस नेताओं ने मीम्स बनाए और इस चिट्ठी को हथियार बनाकर सोशल मीडिया पर माहौल गरमा दिया। वहीं भाजपा अब डिफेंसिव मोड में आ गई है। पार्टी ने इस पत्र को वायरल करने वाले शख्स के खिलाफ एफआईआर की मांग करते हुए कहा है कि यह सब कुछ अध्यक्षीय चुनाव से ठीक पहले माहौल बिगाड़ने और एक वरिष्ठ नेता की गरिमा को ठेस पहुंचाने की सोची-समझी साज़िश है।
वैसे बिंदल के राजनीतिक करियर की बात करें तो उन पर आरोप लगना कोई नई बात नहीं है... लेकिन आज तक कुछ साबित नहीं हुआ — अंततः वे बेदाग़ ही निकले हैं। इसके बावजूद, बीते कुछ समय में वे कांग्रेस के निशाने पर जरूर रहे हैं। मसलन, बीते शीतकालीन सत्र में जब भाजपा ने नियम 67 के तहत भ्रष्टाचार पर चर्चा की मांग की, तो कांग्रेस को बिंदल खूब याद आए। तब मुख्यमंत्री सुक्खू ने उन्हें एक काउंटर वेपन की तरह इस्तेमाल किया। बहरहाल, एक बार फिर बिंदल चर्चा में हैं — और इस बार उनकी चर्चा की टाइमिंग शायद उनके लिए मुफीद न हो।
आपको बता दें कि पिछले लंबे समय से भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं कर पाई है। पार्टी ने 25 दिसंबर तक अध्यक्ष के चुनाव का दावा किया था, मगर अब अप्रैल आ चुका है और पद अब भी खाली है। इस दौरान एक के बाद एक दिल्ली दौरे, लॉबिंग, समीकरण — सब कुछ हुआ, लेकिन सहमति नहीं बन पाई। वजह? वही पुरानी — गुटबाज़ी। अब कहा जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ही फाइनल फैसला लेंगे — यानी अध्यक्ष वही होगा जो टॉप लीडरशिप की पसंद होगा। वहीं जयराम ठाकुर भी दिल्ली दौरे पर हैं। माना जा रहा है कि अध्यक्ष पद को लेकर वो भी हाईकमान से मुलाकात कर सकते हैं। इसी सब के बीच 'दिनेश' की चिट्ठी ने भाजपा में नया क्लेश खड़ा कर दिया है!
