परमजीत को फिर मिलेगी जीत या जारी रहेगा बदलाव ?
**दून में हमेशा हाई रहता है सियासी पारा, इस बार का भी नजदीकी मुकाबला
मैदानी और पहाड़ी इलाकों में बटी दून विधानसभा सीट पर हमेशा सियासी पारा हाई ही रहा है। ये ऐसी सीट है जहाँ अक्सर चुनावी मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच ही होता रहा है। इस बार भी समीकरण कुछ ऐसे ही दिखे है। यहां भाजपा से वर्तमान विधायक परमजीत सिंह पम्मी और कांग्रेस के राम कुमार चौधरी आमने-सामने है।
बीते तीन दशक में दून विधानसभा सीट की राजनीति बेहद दिलचस्प रही है। 1990 की शांता लहर में जनता दल के टिकट पर चौधरी लज्जा राम विधायक चुन कर आये थे। पर 1993 आते -आते चौधरी लज्जा राम ने पार्टी बदल ली और कांग्रेस का हाथ थाम लिया। इसके बाद 1993, 1998 और 2003 के विधानसभा चुनाव में चौधरी लज्जा राम यहाँ से विधायक रहे। पर इसके बाद से दून में हर बार बदलाव हुआ है। 2007 के चुनाव में चौधरी लज्जा राम को भाजपा की विनोद चंदेल ने परास्त कर इस सीट पर पहली बार कमल खिलाया।
फिर आया 2012 का बेहद रोचक चुनाव। कांग्रेस ने चौधरी लज्जा राम के पुत्र राम कुमार चौधरी को मैदान में उतारा, तो वहीँ भाजपा ने विनोद चंदेल को ही टिकट थमाया। इस मुकाबले में जीत राम कुमार चौधरी की हुई, पर दिलचस्प बात ये रही कि भाजपा चौथे पायदान पर रही। दरअसल, कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दलों से बागी उम्मीदवार भी मैदान में थे। भाजपा के बागी दर्शन सिंह जहाँ 11 हज़ार से अधिक वोट लेकर दूसरे स्थान पर रहे, तो कांग्रेस के बागी परमजीत सिंह पम्मी भी 10 हज़ार से ज्यादा वोट ले गए और तीसरे स्थान पर रहे।
इस बीच अगला चुनाव आते -आते समीकरण बदल गए। राम कुमार के रहते परमजीत सिंह पम्मी को कांग्रेस में भविष्य नहीं दिख रहा था, सो पम्मी ने भाजपा का दामन थाम लिया। जैसा अपेक्षित था 2017 में भाजपा ने पम्मी को मैदान में उतारा और कांग्रेस से एक बार फिर राम कुमार चौधरी मैदान में थे। इस मुकाबले में पम्मी ने जीत दर्ज की। अब फिर दून में ये दोनों आमने -सामने है।
ये है वर्तमान स्थिति :
मौजूदा चुनाव की बात करें तो मुख्य मुकाबला एक बार फिर राम कुमार चौधरी और परमजीत पम्मी के बीच दिख रहा है। पर इस बार पम्मी की राह कुछ मुश्किल जरूर हो सकती है। दरअसल इस क्षेत्र में भाजपा का एक खेमा पम्मी के खिलाफ दिखता रहा है। हालांकि पार्टी में बगावत तो नहीं हुई लेकिन भीतरघात की संभावना को खारिज नहीं किया जा सकता है। उधर कांग्रेस के राम कुमार चौधरी करीब एक साल पहले से ही चुनावी मूड में दिखे है जिसका लाभ उन्हें मिल सकता है। इसके अलावा एंटी इंकमबैंसी और ओपीएस जैसे फैक्टर भी कांग्रेस की आस का बड़ा कारण है। बहरहाल नतीजा आठ दिसंबर को आएगा और तब तक कयासों का सिलिसला जारी रहने वाला है।