कर्नल शांडिल ने पहने तेवर के जेवर, बदला कांग्रेस का कलेवर
सोलन विधायक डॉ कर्नल धनीराम शांडिल के बदले तेवरों से सोलन कांग्रेस का कलेवर बदलता दिख रहा हैं. मिस्टर कूल शांडिल ने अब कर्नल वाले तेवर इख्तियार किये हैं जिससे कांग्रेस ज्यादा अनुशासित दिख रही हैं, बेशक उनकी दखल सिर्फ सोलन निर्वाचन क्षेत्र के मामलों तक ही सिमित हैं, लेकिन असर साथ लगते क्षेत्रों में भी दिख रहा हैं. हालांकि जिला अध्यक्ष के साथ उनकी खींचतान भी जगजाहिर हो चुकी हैं लेकिन लगता हैं कर्नल शांडिल के आगे जिला अध्यक्ष की चल नहीं रही. इसका ताजा प्रमाण हैं जिला परिषद् चुनाव के लिए शांडिल द्वारा अपने तीन प्रत्याशी घोषित करना. पहली बार शांडिल ने इस तरह खुलकर आये हैं जिससे कांग्रेस में एक आस जगी हैं और विश्वास भी.
वैसे भी जिला कांग्रेस की सक्रियता बंद कमरों तक सिमटी हैं, सरकार के खिलाफ मैदानी जंग में जिला कांग्रेस संगठन कही नहीं दिखा रहा. सरकार की बड़ी नाकामियां भी कांग्रेस मजबूती से उठाने में विफल रही हैं. ऐसे में कांग्रेस में जिस आक्रामकता की कमी दिख रही हैं उसकी भरपाई अब शांडिल करते दिख रहे हैं. न सिर्फ शांडिल के फैसलों में आक्रमता हैं बल्कि मैदान में भी उनकी बढ़ती मौजूदगी कांग्रेस में नया जोश भर रही हैं.
उधर जिला अध्यक्ष शिवकुमार को भी कुछ बड़े नेताओं का साथ मिला हुआ हैं, पर उनकी राह जरा भी आसान नहीं हैं. खासतौर से सोलन निर्वाचन क्षेत्र में कण्ट्रोल पूरी तरह कर्नल शांडिल के हाथ में हैं. शहरी कांग्रेस सोलन और ब्लॉक कांग्रेस पर भी शांडिल का ही पकड़ दिख रही हैं. ऐसे में कांग्रेस में कब जिला संगठन के खिलाफ मुख़ालफ़त देखने को मिल जाएं, कुछ कहा नहीं जा सकता.
सुल्तानपुरी की बढ़ती सक्रियता का चर्चा आम:
एक और बात जिसकी चर्चा इन दिनों सोलन के राजनैतिक गलियारों में हैं वो हैं विनोद सुल्तानपुरी की सोलन में बढ़ती सक्रियता. सुल्तानपुरी बेहद कड़े मुकाबले में बीते दो चुनाव कसौली निर्वाचन क्षेत्र से हार चुके हैं. उनकी हार का कारण भीतरघात को माना जाता रहा हैं. अब सुल्तानपुरी अचानक सोलन में क्यों इतने सक्रीय हो गए, इसे लेकर खूब चर्चा हैं. अब इसके क्या कारण हो सकते हैं इसे लेकर सब अपने हिसाब से अनुमान लगा रहे हैं.
2022 की तैयारी में शांडिल:
बहरहाल, 2022 के चुनाव में बेशक शांडिल की उम्र 82 वर्ष होगी लेकिन फिलवक्त वे ही सोलन निर्वाचन क्षेत्र में कांग्रेस का सबसे बड़ा चेहरा हैं और उनका विकलप कांग्रेस के पास नहीं दिख रहा हैं. उनके ताजा फैसलों को भी 2022 की चुनावी रणनीति के तौर पर ही देखा जा रहा हैं. दरअसल शांडिल संगठन में अपनी ब्रिगेड तैयार करना चाहते हैं ताकि 2022 में उनकी राह आसान हो. अब कर्नल के तेवर ज़ारी रहते हैं या कोई नया ट्विस्ट आता हैं, ये देखना रोचक होगा. आखिर राजनीति में कुछ भी मुमकिन हैं.