गहलोत बनाम मोदी हुआ राजस्थान का चुनाव !
जनसभाओं के लिए नड्डा-खरगे नहीं चाहिए !
राजस्थान में मोदी -शाह- योगी के बाद वसुंधरा की मांग
प्रियंका गाँधी की ज्यादा डिमांड, खरगे की सभा की मांग नहीं
गहलोत और पायलट ही संभाले हुए है मोर्चा
चुनाव में बड़े नेताओं की सभाएं माहौल बनाने का काम करती है। फ्लोटिंग वोट को साधने के लिहाज से ऐसी जन सभाओं का ख़ास महत्त्व होता है और राजनैतिक दल तमाम फैक्टर को जहन में रखकर बाकायदा रणनीतिक तौर पर इन सभाओं का आयोजन करते है। एक जनसभा चुनाव बना भी देती है और बिगाड़ भी देती है। पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में भी ऐसा ही दिख रहा है। भाजपा के पीएम मोदी, अमित शाह, योगी आदित्यनाथ की मांग है, वहीँ कांग्रेस में प्रियंका गाँधी इन डिमांड है। तो कहीं स्थानीय चेहरे राष्ट्रीय चेहरों से ज्यादा मांग में दिख रहे है। दिलचस्प बात ये है कि दोनों ही मुख्य राजनैतिक दल यानी कांग्रेस और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डिमांड लिस्ट में काफी नीच है। चुनाव लड़ने वालों को न खड़गे चाहिए और न नड्डा।
बात कांग्रेस से शुरू करते है जो राजस्थान में रिपीट कर इतिहास रचना चाहती है। राजस्थान का चुनावी समर बेहद दिलचस्प होता दिख रहा है और ये कांग्रेस ने एक किस्म से ये चुनाव पूरी तरह सीएम अशोक गहलोत के हवाले किया है। ख़ास बात ये है कि कांग्रेस की जिला इकाइयों से प्रचार के लिए डिमांड भी अशोक गहलोत की ज्यादा है। गहलोत खुद करीब डेढ़ सौ से ज्यादा विधानसभा सीटों पर प्रचार करते दिख सकते है। वहीँ कभी उनके डिप्टी रहे सचिन पायलट की भी खूब मांग है खासतौर से गुजर बहुल क्षेत्रों में। पायलट भी करीब सौ सीटों पर प्रचार करते दिख सकते है। राजस्थान में अब तक जो दिख रहा है उस लिहाज से स्थानीय नेता ही प्रचार के मोर्चे पर आगे दिखने वाले है। दिलचस्प बात ये है कि राहुल गाँधी राजस्थान से अब तक दूर दिखे है। सवाल ये भी उठा है कि क्या उन्हें किसी रणनीति के तहत राजस्थान से दूर रखा गया है ? केंद्रीय नेताओं में सबसे ज्यादा डिमांड प्रियंका गाँधी की है। सभी जिला इकाइयां प्रियंका गाँधी की जनसभा चाहती है। हालाँकि आदिवासी बाहुल ज़िलों से राहील गाँधी की भी मांग है। वहीँ कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की किसी भी जिला इकाई ने मांग नहीं की है। खरगे की सभा करवाने के लिए कोई भी जिला इकाई तैयार नहीं है।
उधर बिना सीएम फेस के चुनाव लड़ रही भाजपा में पीएम मोदी ही फेस है। भाजपा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बाद सबसे अधिक मांग केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की है। वहीँ प्रदेश के नेताओं में वसुंधरा राजे सबसे ज्यादा इन डिमांड है। जिला इकाईयों ने मोदी, शाह और योगी के बाद सिर्फ वसुंधरा की सभाओं के लिए ही ज्यादा आग्रह किया है। वहीँ प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी की जनसभाओं की भी लगभग कोई दंण्ड नहीं है। केंद्र्तीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और अर्जुन राम मेघवाल की मांग भी कुछ क्षेत्रों में ही ज्यादा है। यानी वसुंधरा राजे राजस्थान भाजपा की इकलौती ऐसी नेता है जिनकी डिमांड पुरे प्रदेश से है।
बहरहाल रैलियों और जनसभाओं के पैटर्न पर निगाह डाले तो राजस्थान का विधानसभा चुनाव अशोक गहलोत बनाम मोदी ज्यादा दिख रहा है। पीएम के हर वार का पलटवार भी गहलोत कर रहे है और अटैक का मोर्चा भी मुख्य तौर पर उन्होंने ही संभाला है। प्रदेश की मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी का अब तक यही स्टैंड है कि पीएम नरेंद्र मोदी के चेहरे पर ही विधानसभा चुनाव लड़ा जाएगा। केंद्रीय योजनाओं के सहारे बीजेपी लाभार्थी वोट बैंक साधने में जुटी है।
वहीँ, राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने भी कई योजनाओं की बिसात पर अपना बड़ा लाभार्थी वोट बैंक तैयार किया है। बहरहाल कांग्रेस में जहां सेंट्रल लीडरशिप से आगे गहलोत दिख रहे है, वहीँ भाजपा स्टेट लीडरशिप को पीछे रख पीएम मोदी के नाम पर चुनाव लड़ रही है। हालाँकि माहिर मान रहे है कि अंतिम वक्त तक दोनों ही दलों की रणनीति में बदलाव संभव है, खासतौर से बगैर सीएम फेस के चुनाव लड़ रही भाजपा जरूरत महसूस होने पर रणनीति बदल सकती है।