केंद्र से मदद पर रार, आमने सामने सरकार और विपक्ष
हिमाचल प्रदेश में बारिश से आई आपदा ने खूब कहर बरपाया है । प्रदेश पर आसमान से बारिश कहर बनकर बरसी है जिससे पहले से आर्थिक तंगी का सामना कर रहे हिमाचल को लाखों का नुक्सान हुआ है। हर तरफ तबाही के निशान दिख रहे हैं। अब तक ये बारिश कई जाने ले चुकी है और सैकड़ो लोगों के आशियाने भी उजाड़ चुकी है। पिछले तीन दशकों में मानसून का ये सबसे भयावह रूप हिमाचल ने देखा है। ऐसे वक्त पर हिमाचल केंद्र से राहत की उम्मीद कर रहा है। प्रदेश को उम्मीद है कि आपदा की इस घड़ी में हिमाचल को अपना दूसरा घर कहने वाले प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी प्रदेश की सहायता करेंगे। हालांकि इस मसले पर प्रदेश में सियासत तेज़ हो रखी है। एक तरफ प्रदेश सरकार केंद्र से अब तक विशेष पैकेज न मिलने का आरोप लगा रही है तो वहीं विपक्ष प्रदेश सरकार को एहसान फरामोशी न करने की सलाह दे रहा है ।
मुख्यमंत्री अब तक कई बार स्पष्ट कर चुके है कि केंद्र सरकार से अब तक जो राहत मिली है वो केंद्र की ओर से प्रतिवर्ष सभी राज्यों को जुलाई और दिसम्बर माह में मिलती है। हिमाचल प्रदेश को भी 180-180 करोड़ की दोनों किश्ते दे दी गई हैं, जबकि आपदा से उपजी विशेष परिस्थितियों से राहत के लिए कोई धनराशि जारी नहीं की गई है। वहीँ नेता प्रतिपक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का कहना है कि केंद्र ने आपदा राहत के तहत प्रदेश को अग्रिम में राशि जारी की है। साथ ही एनडीआरएफ और सेना के हेलिकाप्टर को भी सहायता के लिए तैनात किया गया, केंद्र हिमाचल की हर संभव मदद कर रहा है मगर हिमाचल सरकार एहसान फरामोशी कर रही है। जयराम ठाकुर का कहना है कि हमने दूरभाष के माध्यम से और व्यक्तिगत जाकर केंद्रीय मंत्री अमित शाह राष्ट्रीय, अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा को हिमाचल में बाढ़ की स्थिति के बारे में अवगत करवाया है। जिसके उपरांत उन्होंने केंद्र सरकार के माध्यम से हिमाचल प्रदेश में एक 382 करोड़ की राहत राशि प्रदान की। एनडीआरएफ रेस्क्यू ऑपरेशन चलाए, जो टीम नुकसान का जायजा लेने के लिए नवंबर माह में आती है वह तुरंत आ गई और अपनी रिपोर्ट भी केंद्र को सौंपने वाली है। हालांकि, मुख्यमंत्री यह बयान देते हैं कि केंद्र से कोई मदद नहीं मिली है, यह झूठ है। कुल मिलाकर प्रदेश में आपदा के इस समय पर राहत राशि को लेकर पक्ष विपक्ष की आपसी रार साफ़ दिखाई दे रही है।