सियासी इम्तिहान में शिक्षा मंत्री पास या फेल ?
** गोविन्द सिंह ठाकुर के लिए मुश्किल हो सकती है विधानसभा पहुंचने की डगर
चुनाव को लेकर सबकी अपनी राय और अपने -अपने विश्लेषण है, लेकिन मंत्री गोविन्द सिंह ठाकुर के निर्वाचन क्षेत्र मनाली में इस बार भाजपा की स्थिति ज्यादा सहज नहीं होने वाली, इसके संकेत काफी वक्त पहले ही मिल गए थे। दरअसल, पिछले वर्ष हुए मंडी संसदीय उपचुनाव में इस क्षेत्र से मंत्री भाजपा को लीड नहीं दिला पाए थे। क्षेत्र में मंत्री को लेकर एंटी इंकम्बेंसी की झलक भी दिखती रही। ऐसे में माना जा रहा था कि भाजपा इस सीट पर कोई प्रयोग कर सकती है, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। भाजपा ने फिर एक बार मनाली से ट्राइड एंड टेस्टेड गोविंद ठाकुर को ही मैदान में उतारा है। अब सीट पर भाजपा के साथ -साथ गोविन्द सिंह ठाकुर की भी साख दांव पर लगी हुई है। बहरहाल, लगातार दो चुनाव जीत चुके गोविन्द सिंह ठाकुर जीत की हैट्रिक लगा पाते है या इस बार मनाली में परिवर्तन होता है, ये तो आठ दिसम्बर को ही तय होगा।
मनाली विधानसभा सीट के अतीत पर निगाहें डाले तो, 2008 में परिसीमन बदलने के बाद कुल्लू से अलग होकर मनाली विधानसभा सीट अस्तित्व में आई। मनाली में अब तक कुल दो बार विधानसभा चुनाव हुए है और दोनों दफा यहाँ भाजपा का राज रहा। 2012 में कुल्लू के पूर्व विधायक रहे गोविंद सिंह ठाकुर ने मनाली विधानसभा सीट पर भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ा और तब कांग्रेस के भुवनेशवर गौड़ को हरा कर विधानसभा पहुंचे। फिर 2017 में गोविन्द सिंह ठाकुर ने कांग्रेस के हरिचंद शर्मा को हरा कर जीत दर्ज की। माना जाता है कि बीते दोनों चुनावों में यहाँ कांग्रेस की आपसी कलह के चलते भाजपा को लाभ पहुंचा। 2017 में जीतने के बाद ठाकुर को मंत्री पद भी मिल गया। जयराम कैबिनेट में पहले उन्हें वन, खेल व परिवहन जैसे महत्वपूर्ण विभाग सौंपे गए और फिर शिक्षा मंत्रालय उन्हें सौंपा गया। वे मंत्री बने तो जाहिर है उनसे लोगों की अपेक्षाएं भी बढ़ी। अब इन अपेक्षाओं पर वे खरा उतरे या नहीं, ये इस चुनाव के नतीजे तय करेंगे।
उधर कांग्रेस से इस बार भुवनेश्वर गौड़ मैदान में है और कांग्रेस काफी हद तक एकजुटता से चुनाव लड़ती दिखी है। इस पर ओपीएस और एंटी इंकम्बेंसी का लाभ भी कांग्रेस को हो सकता है। जाहिर है ऐसे में इस मर्तबा गोविन्द सिंह ठाकुर के लिए विधानसभा की डगर कठिन है।