लगातार आठ हार, दांव पर होगी साख

**हमीरपुर लोकसभा सीट पर आखिरी बार 1996 में जीती थी कांग्रेस
**2024 में क्या थमेगा पराजय का सिलसिला ?
**सीएम और डिप्टी सीएम दोनों हमीरपुर संसदीय क्षेत्र से
**धूमल परिवार का गढ़ है हमीरपुर
**भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का क्षेत्र
चेहरे बदले, समीकरण बदले, सियासी फिजा बदली और सत्ता भी बदलती रही। पर जो बीते आठ चुनाव में नहीं बदला वो है हमीरपुर लोकसभा सीट पर कांग्रेस की हार का सिलसिला। 1996 में हमीरपुर लोकसभा सीट पर आखिरी बार कांग्रेस ने विजयश्री देखी थी और तब से कांग्रेस एक अदद जीत के लिए तरस रही है। 1996 के बाद से इस सीट पर दो उपचुनाव सहित आठ चुनाव हुए है और आठों मर्तबा कांग्रेस ने शिकस्त झेली है। ये प्रदेश की इकलौती ऐसी सीट है जिस पर अर्से से कांग्रेस हारती आ रही है। पराजय का ये सिलसिला क्या 2024 में थमेगा, फिलहाल ये कहना मुश्किल है।
सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू भी हमीरपुर से है और डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री भी इसी संसदीय क्षेत्र से ताल्लुख रखते है। पहली बार कांग्रेस में शिमला संसदीय क्षेत्र के बाहर से मुख्यमंत्री बना है और वो भी हमीरपुर से जो लम्बे वक्त से कांग्रेस की कमजोरी साबित हुआ है। जाहिर है ऐसे में इस बार कांग्रेस का जोश हाई होगा। साथ ही दांव पर होगी दो बड़े दिग्गजों की प्रतिष्ठता - सीएम और डिप्टी सीएम। इस बीच लोकसभा चनाव से पहले इसी संसदीय क्षेत्र को एक मंत्री पद और मिलना भी लगभय तय है। सो कांग्रेसी खेमे में 'दम कम' नहीं बल्कि इस बार 'दमखम' होगा।
ये तो बात हुई कांग्रेस के सियासी वजन की। अब निगाह डालते है भाजपा के पलड़े पर। मौजूदा सांसद अनुराग ठाकुर केंद्रीय मंत्री भी है और वो भी वजनदार। अनुराग यहाँ से चौथी बार सांसद है और भाजपा उनके लिए कोई और अहम् भूमिका तय नहीं करती है तो वे पांचवी बार मैदान में होंगे। अनुराग के पिता और दो बार के सीएम प्रो प्रेम कुमार धूमल भी इस सीट से तीन बार सांसद रहे है। यानी धूमल परिवार ने यहाँ सात लोकसभा चुनाव जीते है और अनुराग ठाकुर अब तक अपराजित है। इसके अलावा भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा भी इसी संसदीय क्षेत्र से ताल्लुख रखते है। नड्डा राज्य सभा सांसद है और मोदी सरकार पार्टी एक में केंद्रीय मंत्री थे। वहीँ राज्य सभा सांसद सिकंदर कुमार भी इसी संसदीय क्षेत्र से है। यानी वर्तमान में यहाँ से भाजपा के तीन सांसद है।
विधानसभा चुनाव 2022 में भाजपा को हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में झटका लगा था और पार्टी क्षेत्र के तहत आने वाली 17 में से महज पांच पर जीत सकी थी। पर इसे पूरी तरह शक्ति परीक्षण का पैमाना बनाना गलत होगा। विधानसभा चुनाव राज्य के मुद्दों पर लड़े जाते है और लोकसभा में मुद्दे भी अलग होंगे और चेहरे भी।
बहरहाल बात कांग्रेस की करते है। लाजमी है सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू और उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री दोनों पर भाजपा के इस अभेद किले को फ़तेह करने का दबाव जरूर होगा। पर हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में काफी कुछ पार्टी के कैंडिडेट पर भी निर्भर करेगा। कांग्रेस किसे मैदान में उतारती है इस पर भी सबकी निगाहें टिकी हुई है। 2014 के चुनाव में राजेंद्र राणा यहां से चुनाव हारे है तो 2019 में राम लाल ठाकुर की हार हुई। अब ये हार का सिलसिला बदलने को पार्टी किस पर भरोसा करेगी, ये देखना रोचक है।
यहाँ से तीन चुनाव हार चुके रामलाल ठाकुर को पार्टी फिर टिकट दे ये थोड़ा मुश्किल लगता है। वहीँ 2014 में अनुराग ठाकुर को टक्कर देने वाले राजेंद्र राणा एक मजबूत विकल्प तो है लेकिन राणा संभवतः कैबिनेट में एंट्री चाहते हो। निसंदेह राणा मजबूती से चुनाव लड़ने में सक्षम है। एक उड़ती उड़ती चर्चा डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री के नाम की भी है लेकिन इसके लिए मुकेश की रज़ा होना भी जरूरी है। स्वाभाविक है कि डिप्टी सीएम का ओहदा छोड़कर मुकेश केंद्र का रुख न करें। बाकी सियासत में कब समीकरण, स्थिति - परिस्तिथि बदल जाएँ कुछ कहा नहीं जा सकता
