शांता के गढ़ में बुटेल परिवार हार नहीं मानता, आशीष ने मनवाया काबिलियत का लोहा
हिमाचल में पानी वाले मुख्यमंत्री कहे जाने वाले पूर्व सीएम शांता कुमार के राजनीतिक गढ़ पालमपुर में बुटेल परिवार ने कांग्रेस का झंडा बुलंद रखा है। पिछले विधानसभा चुनाव से लेकर हाल ही में सम्पन्न हुए नगर निगम चुनाव पर गाैर करें ताे बुटेल परिवार ने पालमपुर की सियासत में किसी काे घुसने नहीं दिया। राजनीति में बुटेल परिवार की तीसरी पीढ़ी से आशीष बुटेल वर्तमान में विधायक भी है और जनता का भी उनको पूरा साथ मिल रहा है। विधानसभा के पूर्व स्पीकर बृज बिहारी लाल बुटेल के बाद अब आशीष बुटेल ने परिवार की राजनीतिक विरासत काे संभाल लिया है। जाहिर है अब उनका अगला टारगेट मिशन 2022 ही हाेगा। 2022 में कांग्रेस की सरकार बनी ताे लाज़मी है आशीष को विशेष महत्व मिलेगा।
नगर निगम चुनाव से लेकर काेराेना काल के दाैरान तक की सियासत पर कांग्रेस और भाजपा का विश्लेषण किया जाए तो स्पष्ट है कि पालमपुर में भाजपा के तीन दिग्गजों काे पस्त करने में आशीष बुटेल ने काेई कसर नहीं छाेड़ी। नगर निगम के चुनाव में भाजपा की ओर से पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार, राज्यसभा सांसद इंदू गाेस्वामी, भाजपा के प्रदेश महामंत्री त्रिलोक कपूर समेत कई नेताओं ने मोर्चा संभाला, मगर आशीष की रणनीति के आगे भाजपा के दिग्गज बाैने हाेते नजर आये। हालांकि शांता कुमार अब सक्रीय राजनीति में नहीं है लेकिन जिस तरह उन्होंने नगर निगम बनाने को लेकर मोर्चा खोला था जाहिर है उनकी साख भी इस चुनाव में दांव पर थी। पालमपुर एमसी में पहली बार चुनाव हुए और कांग्रेस काे शानदार जीत मिली।
कांग्रेस सत्ता में आई ताे मिली सकती है कैबिनेट की कुर्सी
प्रदेश कांग्रेस कमेटी में महासचिव और पालमपुर से विधयक आशीष बुटेल का अगला टारगेट मिशन-2022 है। हालांकि बुटेल कहते है कि उन्हें किसी पद की लालसा नहीं हैं, लेकिन अगले साल कांग्रेस सत्ता में आती है ताे उन्हें कैबिनेट में जगह भी मिल सकती है। आशीष बुटेल की काबिलीयत, संगठन में पैठ और जनता के बीच रुसूख काे देखते हुए यह तय माना जा रहा है कि आशीष बुटेल का कद अगले साल हाेने वाले चुनाव के बाद प्रदेश की सियासत में इस युवा नेता का कद और बढ़ सकता है। निसंदेह बुटेल परिवार की सियासत मात्र पालमपुर तक सिमित नहीं है, बल्कि पूरे हिमाचल में इनका प्रभाव हैं। इससे पहले यानी 2012 के विधानसभा चुनाव में पालमपुर से चुनाव जीतने के बाद बीबीएल बुटेल काे वीरभद्र सरकार में विधानसभा स्पीकर की कुर्सी मिली थी। उसके बाद 2017 के चुनाव में युवा आशीष बुटेल काे टिकट मिला और उन्होंने जीतकर अपनी काबिलियत सिद्ध की।
विधायक आशीष बुटेल के दादा कन्हैया लाल बुटेल 1952 के चुनाव में विधायक बने। आशीष के ताया कुंज बिहारी लाल बुटेल पूर्व में विधायक और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रह चुके हैं और 1985 से लेकर 2017 तक आशीष के पिता बृज बिहारी लाल बुटेल ने जमकर राजनीति की। अब आशीष बुटेल सियासत में माेर्चा संभाले हुए हैं। 1967 और 1972 में कुंज बिहारी लाल विधायक रहे। वहीँ बृज बिहारी बुटेल ने पहला चुनाव 1985 में लड़ा और दो बार के विधयक सरवण कुमार को परास्त किया। हालांकि 1990 का का चुनाव वे शांता कुमार से हार गए पर इसके बाद 1993, 1998 और 2003 में उन्हें फिर जनता ने आशीवार्द दिया। 2007 में एक बार फिर बृज बिहारी बुटेल को हार का सामना करना पड़ा लेकिन 2012 में वे फिर से जीतकर विधानसभा पहुंचे और स्पीकर भी बने।
काेराेना काल में संकट माेचक बन रहे आशीष
काेराेना काल में आशीष बुटेल अपने क्षेत्र में जरुरतमंदो के लिए संकट माेचक के रूप में उभर कर सामने आये हैं। पालमपुर विधायक ने अपना आलीशान व्यवसायिक भवन कोविड सेवा में लगाने का ऐलान कर अपनी तरफ से इस महामारी के खिलाफ लड़ाई में आहुति देने के प्रयास किया है। बुटेल उन चुनिंदा नेताओं में से है जो संकट की इस स्तिथि में जनता के बीच दिख रहे है, संजीदा दिख रहे है और फ्रंट से लीड करते दिख रहे है।